चाय

गुस्सा भी तुम्ही पर होता हूं.. प्यार भी तुम्ही से करता हूं।.....

Submitted by Happyanand on 16 December, 2019 - 09:19

तु अल्फ़ाज़ सी मेरी
हर नज़्म में बसती है।
मैं जरा सा मुस्कुराता हू
और तू खिलखिलाकर हसती है।
तु सताती रहती है
मैं जताता रहता हू।
गुस्सा भी तुम्ही पर होता हू।
मैं प्यार भी तुम्ही से करता हूं।....
हर शाम ढलती है
तो इक रात सी होती है।
कोई नही होता साथ
बस तेरी याद ही होती है।
हर नज़्म में
मैं तेरा जिक्र करता हू।
जब पास तू नही होती
तेरी फिक्र करता हू।
गुस्सा भी तुम्ही पर होता हू।
मैं प्यार भी तुम्ही से करता हू।....
तुझे छू कर आने वाली हवा से
मेरी हर सांस बनती है।

तुम्हें कॉफी पसंद है और मैं चाय का दिवाना हूं।..

Submitted by Happyanand on 14 December, 2019 - 23:28

तुम्हे कॉफी पसंद है ।
और मैं चाय का दिवाना हू।....
तुझे पसंद है उची इमारतें
मैं वादियों में रहता हूं।..
तु धुंडती है हसने के बहाने
मैं बेवक्त मुस्कुराता हू।..
तु थोडी सी पागल है
मैं थोडा सा सयाना हूं।..
तुम्हे कॉफी पसंद है ।
और मैं चाय का दिवाना हू।....
तुम्हे नाचना पसंद है
मैं नज़्म सुनाता हूं।..
तुम्हे शौहरत पसंद है
मैं बेनाम ही रहता हूं।..
तुझे भीड़ पसंद है
मैं तन्हा रहता हूं।..
तुम्हे कॉफी पसंद है ।
और मैं चाय का दिवाना हू।....
तुम्हे ठंड पसंद है

शब्दखुणा: 
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