दगड
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उजाडलं होतं, माणसांची वर्दळ सुरू झाली होती.
ती भिकारीण पडल्या जागेवर उठून बसली . तिने आजूबाजूला नजर फिरवली.तिच्याही पोटात आग पडली होती. रात्रीपासून खायला काहीच मिळालं नव्हतं