Dineshvs
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| Tuesday, June 26, 2007 - 5:17 pm: |
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सगळीच कडवी झकास आहेत.
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Storvi
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| Wednesday, June 27, 2007 - 1:20 am: |
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काय पण आगदी चपखल बसवलय 
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T_pritam
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| Wednesday, June 27, 2007 - 1:51 am: |
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साहेब, एकदम झकास लिहीलय....
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मिल्या, जबरी रे मित्रा
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Devdattag
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| Wednesday, June 27, 2007 - 3:59 am: |
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मिल्या सहीच रे.. याच कवितेचं मी मागच्यावर्षी विडंबन केलं होतं.. पण याची सर त्याला नाही.. शेवटी मिल्या इज मिल्या..
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Rajankul
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| Wednesday, June 27, 2007 - 4:24 am: |
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साहेब लयी झक्कास... .. .. .. ..
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Abhi_
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| Wednesday, June 27, 2007 - 4:43 am: |
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मिल्या मस्त रे!! .. ..
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Vhj
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| Wednesday, June 27, 2007 - 4:55 am: |
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एकदम मस्त विडंबन केलय.गाडी घेउन रस्त्यावर लागलो कि विडंबनातल्या एक एक ओळी आठवायला लागतात.
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Gs1
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| Wednesday, June 27, 2007 - 5:16 am: |
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मस्त रे मिल्या ..
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Neel_ved
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| Wednesday, June 27, 2007 - 5:25 am: |
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मिल्याऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ.... अप्रतिम रे अप्रतिम.... YOU ARE GREAT
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मिल्याभाऊ, Top Class !!!!!!
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Maitreyee
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| Wednesday, June 27, 2007 - 10:24 am: |
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मिल्या बर्याच दिवसांनी एन्ट्री! पर्फ़ेक्ट जमलय!! 
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Chyayla
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| Wednesday, June 27, 2007 - 11:53 am: |
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मिल्या तुझी कविता वाचावी आणी मस्त न म्हणता जाणे कोणालाही नामन्जुर...
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Gharuanna
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| Wednesday, June 27, 2007 - 12:09 pm: |
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मिल्या सहीच जमलय असच काही तरी वविला ही घेउन येणार ना
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Gharuanna
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| Wednesday, June 27, 2007 - 12:13 pm: |
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मिल्या मुम्बैची गर्दी आणि लोकल वर अस काही लिहीत येइल कारे
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सॉलिड... अरे काय मस्त आहे... एक एक ओळ चपखल बसली आहे... 
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Ashwini
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| Wednesday, June 27, 2007 - 1:35 pm: |
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मिल्या, एकदम खास रे!
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Disha013
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| Wednesday, June 27, 2007 - 7:42 pm: |
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सगळीच कडवी मस्त! >>>>>>>>मला फ़ालतू फलकांचा ह्या जाच नको
आणि पुणेरी पाट्या हे यांचेच वैशिष्ट्य!
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Chetnaa
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| Thursday, June 28, 2007 - 3:20 am: |
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मिल्या..साॅलिड..एकेक ओळ झकास!!!!! आणखी येऊ दे...
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Pillu
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| Thursday, June 28, 2007 - 6:16 am: |
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मिल्या मेल्या जरा तरी तरी पुनेकरांची ठेवावी ना का ते ही नामंजुर सही एकदम
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