Milya
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| Tuesday, June 26, 2007 - 6:39 am: |
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पुण्याचे ट्रॅफ़िक पाहून पुणेकर गाडी चालवताना हे गाणे म्हणत असावेत असे वाटते चाल : नामंजूर जपत जनांना कार हाकणे - नामंजूर लाल दिव्याला उगा थांबणे - नामंजूर मी ठरवावी दिशा वाहत्या ट्रॅफ़िकची वनवे म्हणुनी लांबून जाणे - नामंजूर || मला फ़ालतू फलकांचा ह्या जाच नको कुठे कसेही वळण्यावर ह्या टाच नको थांबवितो मी गाडी जिथे मज हो इच्छा जागा बघुनी पार्कींग करणे - नामंजूर || रस्त्यांवरच्या अपघातांना कारण मी वेगासाठी देह ठेवतो तारण मी भले हाडांचा होवो सार्या चक्काचूर मज शिस्तीचे थिटे बहाणे - नामंजूर || पडणे-झडणे, भांडण तंटे रोज घडे संधिसाधू, लाचार मामू मध्ये पडे 'रोख' जरासे तिथेच द्यावे अन जावे चौकीला नेणे गार्हाणे - नामंजूर || ( मी गर्दीला ह्या शाप मानले नाही अन नियम तोडणे पाप मानले नाही खड्डा ज्यावर एकही पडला नाही मी पथ असला अद्याप पाहिला नाही || ) नो एन्ट्री अन स्पीड लिमिट्स ही दूर बरी मिळता जागा घुसण्याची ही ओढ खरी परदेशातून नियम पाळणे मज समजे पण नियमांना इथे पाळणे - नामंजूर ~ मिलिंद छत्रे
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मिल्या झक्कास! >> परदेशातून नियम पाळणे मज समजे पण नियमांना इथे पाळणे - नामंजूर

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Zakasrao
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| Tuesday, June 26, 2007 - 7:00 am: |
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सहिच रे. अजुन संदिप ची पाठ सोडत नहिस तु. संदिपची पाठ सोडणे नामंजुर.
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Meenu
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| Tuesday, June 26, 2007 - 7:08 am: |
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सही मिल्या ! अगदी अगदी नामंजुर ..
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Psg
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| Tuesday, June 26, 2007 - 7:09 am: |
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खड्डा ज्यावर एकही पडला नाही मी पथ असला अद्याप पाहिला नाही ||
मस्त! खास मिल्या टच!
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Krishnag
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| Tuesday, June 26, 2007 - 7:19 am: |
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मिल्या!!! धमाल आहेस तू अगदी!!! 
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मस्त रे मिल्या ... " चौकीला नेणे गार्हाणे ... नामंजूर " solid आलंय हे वाक्य विडंबन आवडलं
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Sarang23
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| Tuesday, June 26, 2007 - 8:44 am: |
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मिल्या good one रे!
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Hems
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| Tuesday, June 26, 2007 - 8:47 am: |
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सही जमलंय हे मिल्या! Full2 HHPV!!
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Jaijuee
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| Tuesday, June 26, 2007 - 9:01 am: |
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सही रे सही, झक्कास धमाल!
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Princess
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| Tuesday, June 26, 2007 - 9:39 am: |
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मिल्या too good 'रोख जरासे'... लई खास
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मज शिस्तीचे थिटे बहाणे - नामंजूर || >>>>. बरोबर नस पकडलीये... मस्तय!!!
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Cool
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| Tuesday, June 26, 2007 - 10:09 am: |
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सही रे मिल्या, खुप मस्त
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Arun
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| Tuesday, June 26, 2007 - 10:23 am: |
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मस्तच आहे रे मिल्या ..........
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मस्त रे मस्त रे मस्त रे. 
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Badbadi
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| Tuesday, June 26, 2007 - 11:49 am: |
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मिल्या...... जबरी!!!! तुझ्या विडंबनाची cassette 'त्या' जोडीला मागे टाकू शकेल
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मी ठरवावी दिशा वाहत्या ट्रॅफ़िकची वनवे म्हणुनी लांबून जाणे - नामंजूर <<<<< मिल्या, एकूणच विडंबन सही. मस्तच! 
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मिल्या, झकास.
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मिल्या, किती दिवसांनी आलास विडंबनात! फारच मस्त! परदेशातून नियम पाळणे मज समजे पण नियमांना इथे पाळणे - नामंजूर.. लै बेस!
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Abhija
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| Tuesday, June 26, 2007 - 3:48 pm: |
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हे विडंबन मस्तच! रेशमियाची लावणी सुद्धा आवडली होती!!!:-)
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