Abhija
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| Wednesday, May 30, 2007 - 5:51 am: |
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farach chhan lihila aahe. bhasha shailee khup awaDalee:-)
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Neelu_n
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| Wednesday, May 30, 2007 - 5:58 am: |
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शलाका.. अSSSप्रतिम लिहलयस... दाद द्यायला शब्द अपुरे आहेत.
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Manjud
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| Wednesday, May 30, 2007 - 6:42 am: |
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दाद...फा sssss रच अप्रतिम........ मी कालच वाचायला सुरुवात केली होती...शेवट असा असेल अस वाटलच नाही... फारच छान आहे...फारच सुन्दर...
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Swa_26
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| Wednesday, May 30, 2007 - 6:47 am: |
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अप्रतिम ... ... ...(काय यार ही ४ शब्दांची limit )
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Tulip
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| Wednesday, May 30, 2007 - 6:47 am: |
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अल्टीमेट!! .. .. ..
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Gobu
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| Wednesday, May 30, 2007 - 10:49 am: |
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दाद, दाद कशी द्यावी हेच कळत नाही!
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दाद, मस्त ! वाचायला मजा आला. (एका बैठकीत वाचायची होती ते मात्र जमले नाही.. पण फार बिघडले नाही)
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दाद छान लिहीलीय गोष्ट. तुझी भाषा खरंच जबरदस्त आहे.
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शलाका, तुझ्याकडेच शब्द उसने मागते मी या कथेची स्तुती करायला........
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Srk
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| Wednesday, May 30, 2007 - 12:45 pm: |
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शलाका, 'कथा आवडली ' इतकंसुद्धा तुझ्यासारख्या सुंदर शब्दांत व्यक्त करता येत नाहीये. तेव्हा भावनाओ को समझो| लगे रहो|
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Zelam
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| Wednesday, May 30, 2007 - 1:24 pm: |
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दाद छानच लिहिलस, तुझ्या बाकीच्या कथांप्रमाणेच अ प्र ति म.
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Asami
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| Wednesday, May 30, 2007 - 1:33 pm: |
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दाद देण्याएव्हढे लिहिण्यचीही आपली कुवत नाहीये. simply amazing
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सुंदर! मला सुशि च्या दुनियादारीची आठवण येत होती अधून मधून..
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अप्रतिम! इतक्या सफाईने लिहिलेय की, एक मुलगी लिहितेय हे profile मध्ये तसे लिहिलेय म्हणूनच विश्वास ठेवावा. hats off
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कथेनी एकदम वेगळच वळण घेतलं नंतर मस्तच लिहिली आहेस. आता अजून नव्या लिही म्हणजे आम्ही सगळे ऍडीक्ट होऊ तुझ्या कथांचे (कवितांचे पूर्वीपासूनच आहोत!)
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Nalini
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| Wednesday, May 30, 2007 - 3:10 pm: |
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अप्रतिम!
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Disha013
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| Wednesday, May 30, 2007 - 3:23 pm: |
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सुंदर... अतिसुंदर लिहीलय दाद! अगदी गजलमय कथा!
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Adm
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| Wednesday, May 30, 2007 - 3:48 pm: |
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अप्रतिम.....!!!!! keep it up..!
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Madhura
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| Wednesday, May 30, 2007 - 4:16 pm: |
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दाद, उत्तम. तुला काय ही दैवी देणगी मिळाली आहे ग! हेवा वाटतो तुझा. तुझ्या कथांची वाट बघते मी आजकाल.
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अप्रतीम, मस्त मांडनी. ऑफकोर्स कथेचा शेवट आधी लिहील्या प्रमाने ४ थ्या ५ व्या ओळीतच झाला होता पण त्याला मात्र पोलीसाच्या विचारनीने आणखी कलाटनी मिळाली. जबरी. पुढच्या कथांसाठी गुडलक कारण आता आम्हा वाचकांचा अपेक्षा खुप वाढल्या आहेत.
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