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Mandarp
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| Monday, April 23, 2007 - 11:23 am: |
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दाद, खुपच सुंदर लिहिले आहेस. डोळे पाण्याने भरुन गेले वाचता वाचता. एकदम ह्रुदयाला भिडले. मंदार
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Srk
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| Monday, April 23, 2007 - 12:14 pm: |
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दाद, सुंदर! खुपच छान.
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Supermom
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| Monday, April 23, 2007 - 12:39 pm: |
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दाद, विलक्षण सुरेख. सारं डोळ्यासमोर उभं राहिलं.
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दाद, अप्रतीम लिहिलंस!!!!!!!! नर्मदा गळ्याशी एक आवंढा आणून गेली!!
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शलाका, फ़ार सुंदर केलं आहेस व्यक्तिचित्रण!!
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Ashwini
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| Monday, April 23, 2007 - 2:55 pm: |
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शलाका, सुंदर! अगदी सहज आणि ओघवतं लिहीलं आहेस.
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>>>>> छ्छे... थोडी अजून मिळायला हवी होती, कळायला हवी होती, नर्मदा! व्वा!!! मी वाचलेला बेस्ट शेवट व्यक्तिचित्रणात्मक लिखाणाचा. आणि व्यक्तिचित्रण पण बेष्टच!! हॅट्स ऑफ!!
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Abhi_
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| Monday, April 23, 2007 - 4:40 pm: |
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अप्रतिम!!! छान लिहिलं आहेस!!
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Dineshvs
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| Monday, April 23, 2007 - 4:52 pm: |
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शलाका, खुपच छान जमलेय व्यक्तीचित्रं.
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Asami
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| Monday, April 23, 2007 - 5:58 pm: |
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सुंदर सुंदर सुंदर !!!
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Disha013
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| Monday, April 23, 2007 - 6:58 pm: |
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दाद,किती सुंदर लिहीलेयस. खरयं,आपल्या आजुबाजुच्या व्यक्ती आपल्याला पुर्ण कळतातच,असे काही नाही.
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Daad
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| Monday, April 23, 2007 - 10:38 pm: |
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माझी 'नर्मदा' तुम्हाला सगळ्यांना आवडली, भावली आणि तसं कळवलंतही अगदी अगदी मनापासून आभार.
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Divya
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| Monday, April 23, 2007 - 11:45 pm: |
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दाद खुप छान लिहीलयेस अगदी सहज आणि ओघवत लिखाण आहे. राहुन राहुन खंत वाटतीये की त्या आपलेपणाने काम करणारे गडीमाणस आता कुठे दिसत नाहीत. पुढच्या लिखाणासाठी मनापासुन शुभेच्छा.
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Peshawa
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| Tuesday, April 24, 2007 - 4:39 am: |
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सुंदर अप्रतीम डोळ्यासमोर उभ केलत नर्मदेला
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Gs1
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| Tuesday, April 24, 2007 - 5:43 am: |
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सुरेख व्यक्तीचित्रण. छान लिहिल आहेस दाद.
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अतिशय तरल आणि सुरेख लिहिलं आहेस
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Sas
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| Tuesday, April 24, 2007 - 5:25 pm: |
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दाद, खूप छान लिहिलयस.
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Arch
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| Tuesday, April 24, 2007 - 5:38 pm: |
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दाद छानच. मला तर ही नर्मदा व्यक्ति म्हणूनपण खूप आवडली. स्वातंत्र्यदिनाला आणि प्रजासत्ताकदिनाला उपवास करणारी, लहानमुलांची psychology उत्तमपणे जाणणारी, कुटुंबाला धरून ठेवणारी, मतदानाचा हक्क समजून बजावणारी. सुसंस्कृत असायला शिक्षणाची जरुरत लागत नाही हे परत एकदा लक्षात आणून दिलस. शलाका नर्मदेच रूप आमच्यासमोर अगदी हुबेहुब व्यक्त केल आहेस अस वाटल.
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Madhura
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| Tuesday, April 24, 2007 - 5:38 pm: |
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दाद , अतिशय उत्तम. दाद द्यायला शब्द नाहीत. तुझी मागची कथाही तितकीच छान होती. लिहित रहा please .
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Abhay
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| Tuesday, April 24, 2007 - 6:20 pm: |
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अप्रतिम, अतीशय प्रभावी आहे व्यक्तीचित्रण
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