Ek_mulagi
| |
| Wednesday, April 25, 2007 - 2:33 pm: |
| 
|
अप्रतिम......., शब्द नाहीत लिहायला.
|
Storvi
| |
| Wednesday, April 25, 2007 - 7:48 pm: |
| 
|
मस्त... खुप आवडलं ..
|
Daad ....सुंदर सुंदर सुंदर !!!
|
Lukkhi
| |
| Thursday, April 26, 2007 - 6:38 am: |
| 
|
शलाका, फारच सुरेख लिहिले आहेस!
|
Bee
| |
| Friday, April 27, 2007 - 6:31 am: |
| 
|
दाद, आज वाचली नर्मदेची कथा. खूप भरून आले शेवट संपल्यानंतर...
|
Saee
| |
| Friday, April 27, 2007 - 8:25 am: |
| 
|
एका राजस व्यक्तीचं लोभस चित्रण! अशी व्यक्तिमत्वं प्रत्येकाला आयुष्यात कुठे ना कुठे भेटतात पण ती अशी इतरांनाही भिडवणं येरागबाळ्याचं काम नव्हे! नर्मदाइतकीच तुझ्या लेखणीतही जादू आहे गं! श्रेय नर्मदेला की तुझ्या लेखणीला असा गोंधळ उडाला आहे. पार्श्वभूमीतलं तुझं घर आणि त्यातल्या माणसांनीही मी वेडावुन गेले.
|
Divya
| |
| Friday, April 27, 2007 - 3:35 pm: |
| 
|
दाद मला तुझ्य लिखाणात प्रकाश नारायण संतांच्या कथांचा भास होतोय. ज्या प्रमाणे त्यांनी लंपन चे भावविश्व उलगडुन दाखवताना त्याच्या सहवासातल्याच व्यक्तींचे व्यक्तिचित्रण जस रेखाटलय तसच तुझी नर्मदा मनात रेंगाळत रहाते, परत परत वाचावीशी वाटते.
|
Daad
| |
| Sunday, April 29, 2007 - 10:23 pm: |
| 
|
परत एकदा सगळ्यांना धन्यवाद!
|
Sheshhnag
| |
| Wednesday, May 02, 2007 - 11:56 am: |
| 
|
अतिशय भावस्पर्शी व्यक्तिचित्रण. फारच सुंदर. पुढे लिहायला शब्द नाहीत.
|
Gargi
| |
| Wednesday, May 02, 2007 - 4:35 pm: |
| 
|
अतिशय सुरेख व्यक्तीचित्रण! मनापासुन आवडल...
|
दाद!अगदि भावस्पर्शी लिखाण...मनाला स्पर्शुन गेले.
|