Milya
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| Monday, September 25, 2006 - 7:25 am: |
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मंडळी एक बडबडगीत टाकतोय माकडाचा मोबाईल एक माकड घेऊन आले एकदा मोबाईल कलरफुल डिस्प्ले होता, लेटेस्ट होती स्टाईल स्कीनसेव्हर त्याचा होता बाल हनुमान रींगटोन म्हणून सेट केले जंगलबुकचे गान माकड पुसे वापरायचाय का तुम्हाला हा फोन एका कॉलला तीन रुपये एस. एम. एस. ला दोन दुसऱ्या जंगलात फोन करायला पडेल ज्यादा दर रोमिंग तेवढे घेतले नाहीये, उगा खर्चात भर अस्वल म्हणे वाट बघत असेल माझी हनी फोन करतो 'आलोच मी' काढुन ठेव हनी मनी आली मिशा चाटत घेउन पैसे नवे 'डायल ए मिल्क' कॉल करुन सांगते दूध हवे कोल्हा म्हणला माकडदादा होतेय फार बोअर एस.एम.एस. करुन मागवा क्रिकेटचा स्कोअर ससा मागे शर्यतीसाठी एकदाच फोन उधार अलार्म सेट करुनच झोपेन यंदा मीच जिंकणार कुत्रा बोले शेपुट हलवत सांगु का खरंच आयडीआ का घेतलेस भाऊ, वापरुन बघ ना हच इतक्यात आले वाघोबा डरकाळी फोडत पळती सारे सैरावैरा आरडा ओरडा करत माकड बोले घाबरु नका! पळताय काय असे? युक्ती ऐसी करतो आता वाघोबाही फसे हळुच त्याने बंदुकीचा ठो ठो रिंगटोन लावला घाबरुन तेथुन वाघोबाने लागलीच पळ काढला वाघोबाची फजिती बघुन हसु लागला जो तो माकड म्हणले नीट बसा काढू छानसा फोटॊ माकड म्हणले नीट बसा काढू छानसा फोटॊ ~मिलिंद छत्रे
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आयडिया का घेतलेस भाऊ वापरून बघ ना हच हा हा हा जबरी रे मिल्या
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Kiru
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| Monday, September 25, 2006 - 8:12 am: |
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मिल्या.. उच्च.. .. .. ..
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Moodi
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| Monday, September 25, 2006 - 8:21 am: |
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मिल्या खूपच गोऽऽड लिहीलयस रे. दिवाळी अंकाकरता काही राखलयस की नाही?  
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Milya
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| Monday, September 25, 2006 - 8:26 am: |
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वैभवा, किरु, मूडी धन्स.. वैभव मुलाला शिकव रे तुझ्या हे... अगं मूडी दिवाळी अंकात बडबडगीत चालेल की नाही माहित नाही म्हणून इथेच टाकले...
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Giriraj
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| Monday, September 25, 2006 - 8:33 am: |
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सही रे मिल्या! संपादक मंडळात यावेळेस माझ्यासारख्या लहानग्यांना घेतल्याने बडबडगीतच काय तर बाल - विषेशांकही काढता येईल...
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Asmaani
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| Monday, September 25, 2006 - 8:37 am: |
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मिल्या सही रे. मस्तच!.
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Milindaa
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| Monday, September 25, 2006 - 9:48 am: |
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चांगलं आहे रे तिकडे तो बालगीतांचा बीबी आहे त्यात पण टाक जा
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Meenu
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| Monday, September 25, 2006 - 11:05 am: |
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मिल्या सही रे ... ..
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Smi_dod
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| Monday, September 25, 2006 - 11:20 pm: |
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मिल्या... छान! मस्त झालेय बालगीत 
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Sarang23
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| Monday, September 25, 2006 - 11:23 pm: |
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सही रे मिल्या!
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Kandapohe
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| Tuesday, September 26, 2006 - 12:36 am: |
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मिल्या जबरीच.. कविता झकास आहे. मुलांना देतो प्रिंट काढून.
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Princess
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| Tuesday, September 26, 2006 - 12:54 am: |
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कित्ती गोड लिहिलिय कविता. माझा छकुला खुप हसला ऐकुन... छोट्यांसाठी लिहित जा ना असेच. मज्जा येते.
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एकदम मस्त मिलिन्द छ्त्रे....:-)
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Raina
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| Tuesday, September 26, 2006 - 5:29 am: |
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मिल्या. नेहमीप्रमाणेच मस्त जमलय. लगे रहो!
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Jayavi
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| Tuesday, September 26, 2006 - 5:30 am: |
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मिल्या, नुस्ती धमाल आहे रे.......! बालमंडळी एकदम खूष
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Mrinmayee
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| Tuesday, September 26, 2006 - 2:42 pm: |
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स्वातीनी पाठवलेल्या एका ईंग्रजी कवीतेचा स्वैरानुवाद "आमटीत तिखट जास्त झालंय" "भाजी झालीय अळणी" नवरोबाची कटकट तशी पडलीय अंगवळणी "आईसारखे नाहीत लाडु" "भात राहिलाय कच्चा" "आई माझी सुगरण भारी, मी तिचा 'बिचारा' बच्चा" "मोजे राहिलेत मळके आणि शर्टास इस्त्री नाही" आईशिवाय बापडा नवरा दु:खी राही मातृप्रेमी सुपुत्राचा बायकोस वैताग आला "आई अशी आई तशी" तिचाच बोलबाला 'कशी तिची जागा भरु' बायको विचार करी हातात लाटणं घेऊन म्हणते, "पाठ कर सख्याहरी" मूळ कवीता अशी: A Woman's Poem He didn't like the curry And he didn't like my cake. He said my biscuits were too hard... Not like his mother used to make. I didn't prepare the coffee right He didn't like the stew, I didn't mend his socks The way his mother used to do. I pondered for an answer I was looking for a clue. Isn't there anything I could do To match his mothers shoe Then I smiled as I saw light One thing I could definitely do I turned around and slapped him tight... Like his mother used to!!!!!
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Swara
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| Tuesday, September 26, 2006 - 2:55 pm: |
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एकदम सही म्रिण्मयी खूप आवडली. मिल्या, cute कविता.
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Milya
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| Wednesday, September 27, 2006 - 1:28 am: |
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परत एकदा धन्यवाद सर्वांना मृण्मयी मस्त गं सही अनुवाद केलायस
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Bee
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| Wednesday, September 27, 2006 - 2:21 am: |
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मुळ कवितेसह अनुवादही छान आहे मृ!
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