Shyamli
| |
| Friday, February 17, 2006 - 4:10 am: |
| 
|
अबोलीच ती.. तीला कस जमणार रातराणीसारखी ती कशी बहरणार श्यामली!!!
|
रातराणी ती नवयौवना चंचल तीला फ़क्त रात्रीचाच बहर..... अबोलीचा रंगच न्यारा तिच्या अव्यक्ततेतच दिसतो, मीरेचा त्याग सारा....
|
Jaaaswand
| |
| Friday, February 17, 2006 - 4:29 am: |
| 
|
आपल्या धाग्यांचे बंध उरले ओवलेल्या सुईत कित्येक उन्हाळे सोसलेत मी ओल्या जाईजुईत जास्वन्द...
|
Shyamli
| |
| Friday, February 17, 2006 - 4:32 am: |
| 
|
क्या बात है जास्वदा!!!! सहीच!!!!! त्या देवदत्ताला पण आण बर धरुन ईकडे वैशाली अजुन येऊ दे
|
जुगलबंदि मस्त जमलिय, येउ देत अजुन
|
Jaaaswand
| |
| Friday, February 17, 2006 - 9:52 am: |
| 
|
कुठे आहात सगळे...??? अबोलीच्या गाण्याच्याही आमच्या कानी गोडवा शिष्ठ गुलाब उगीचच गातो सुगंधी मारवा जास्वन्द...
|
आता नाही पेलवत तुझी वाट बघणे.. आणि तुझ ते येतो येतो म्हणुन दुरुनच साद घालणे!
|
Sparsh
| |
| Saturday, February 18, 2006 - 12:31 am: |
| 
|
आनंदात आयुष्य जगण्यासाठी काय लागतं? थोडंसं आयुष्य आणि बराचसा तु....
|
Sparsh
| |
| Saturday, February 18, 2006 - 12:36 am: |
| 
|
प्रेम... 'मुक्यानेही' होतं आणि मुक्या'ने ही!!
|
स्पर्श, क्या बात है! बापू.
|
Bhovra
| |
| Monday, February 20, 2006 - 10:18 pm: |
| 
|
अरे व, तुम्च्य चरोल्य मस्त अहेत, मल अवदल्य. अश चरोल्य लिहयल मल जमेल क कधितरि?
|
Shyamli
| |
| Monday, February 20, 2006 - 10:41 pm: |
| 
|
काय मनी हे आज चालले अगम्य अकल्पीत! मीच मज भासे आज अनामीक....! श्यामली!!!
|
Jayavi
| |
| Monday, February 20, 2006 - 11:16 pm: |
| 
|
स्पर्श, Just too good !! श्यामली.......... मस्त !!
|
Devdattag
| |
| Monday, February 20, 2006 - 11:25 pm: |
| 
|
अगम्य अकल्पित जरी वाटते सखे वागणे तुझेच तुजला ह्या प्रीतिचा भाव माझ्या मनीही ऐसाच होता रुजला
|
Shyamli
| |
| Monday, February 20, 2006 - 11:34 pm: |
| 
|
भाव प्रीतीचा ह्या तुझ्या रे नाही मज गवसला पण तुझ्यात रहाणे तुलाच पहाणे आवडते रे मजला श्यामली!!!
|
Devdattag
| |
| Monday, February 20, 2006 - 11:47 pm: |
| 
|
फ़र्ग्युसनवर चक्कर टाकणे माझा रोजचा नेम आहे पण माझ्या हृदयातल्या जागेवर फक्त तुझाच क्लेम आहे
|
Sparsh
| |
| Tuesday, February 21, 2006 - 2:04 am: |
| 
|
धन्यवाद!! झाडापलिकडुन चंद्राला पहाताना सांगु काय आठवले? तुझ्या सळसळत्या केसांतुन तुझे गोंडस रुप पाहिलेले...
|
Sparsh
| |
| Tuesday, February 21, 2006 - 3:20 am: |
| 
|
जीथे जाशील तिथे आनंदात रहा कधी सवड मिळालीच तर स्वत:च्या ह्रुदयात पहा बघ, तिथे आठवणींच्या शिंपल्यात माझं मन तुझी आतुरतेने वाट पहातंय!! .
|
कधीतरी आयुष्यात नक्कीच माझी तू आठवण काढशील माझ्या वांझोट्या प्रेमाला अश्रुंनी तिलांजली देशील
|
" स्पर्श " या शब्दात किती भावनांची छाया आहे, दाटलेला कंठ आणि शेवटच्या निरोपाची हात हातात घेण्याची माया आहे.........
|
Jaaaswand
| |
| Tuesday, February 21, 2006 - 9:36 am: |
| 
|
माझा कोरडा जीव एका मयसुरेच्या शोधात आहे एक प्याला " त्याच्या " हाती अन दुसरा तुझ्या ओठात आहे जास्वन्द...
|
Gash16
| |
| Wednesday, February 22, 2006 - 1:07 am: |
| 
|
प्रेम असे असावे...... कि प्रेम म्हणजेच जीवन असावे...... ..प्रेमभन्ग झाल्यावर जिवन्तपणीच...मरण अनुभवावे..!! ---गणेश
|
Gash16
| |
| Wednesday, February 22, 2006 - 1:11 am: |
| 
|
घरात कुणी नसताना... उश्टा चहा देणारी.... एक मुलगी माझी मैत्रिण आहे... ---गणेश.
|
Gash16
| |
| Wednesday, February 22, 2006 - 1:15 am: |
| 
|
जाताना ती अन्धाराचे झरे देऊन गेली.... दुःखाच्या आठवणीन्ना सुखद चरे देऊन गेली.... --गणेश.
|
Gash16
| |
| Wednesday, February 22, 2006 - 1:23 am: |
| 
|
कुणी इथे हसावे... कुणी इथे रडावे... जसे जमेल त्याला... तसे त्याने करावे... प्रेम असते खोटे... म्हणतात जे त्यान्नी... ह्रदयात माझ्या... उतरुन तिला पहावे... --गणेश.
|