Bee
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| Saturday, October 29, 2005 - 2:27 am: |
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ra^baInaÊ var jaI maaihtI tumhI idlaI Aaho maÜD@yaa payaaba_la tI Aijabaat pTlaI naahI. maayabaÜilavar
Anausvaar baáyaacada idsat naahI toMvha AQaa- na ilahavaa laagatÜ tÜhI malaa caukIcaaca vaaTtÜ. pNa ]ccaarat
kahI Ôrk pDt naahI mhNaUna caalavaUna Gyaayacao.
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yaavar laÜ. iTLkaMcao cair~ vaacaNao haca ]paya rahtÜ ² hI gaÜYT malaa XaaLot paz\yapustkat hÜtI %yaamauLo itcyaa AiQaÌttoba_la XaMka nasaavaI..... baakI ihtgaujavar Anausvaar idsat naahI hI ADcaNa Aaho yaacyaaXaI maI sahmat Aaho .
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Champak
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| Saturday, October 29, 2005 - 2:49 pm: |
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gaMÊ gaMÊ gaMÊ gaMÊ gaMÊ gaMÊ gaMÊ gaM..........
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Saanjya
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| Tuesday, November 01, 2005 - 4:13 pm: |
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Aro Champak Ê sagaLo Anausvaar ka vaaprtÜ AahosaÆÊ maÜDko paya pNa vaapr naa.. ´´
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Bee
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| Wednesday, November 02, 2005 - 10:49 am: |
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ra^baInaÊ Asaola tI gaÜYT KrI maI naahI mhNat naahI. pNa laÜkmaanya iTLk AaiNa %yaaMcao sar (aMcaa marazI
vyaakrNaaXaI kaya saMbaMQaÆ ragavaU nakÜsa PlaIja
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Saanjya
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| Wednesday, February 15, 2006 - 5:40 pm: |
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sauKacyaa ZuM..laa duÁKa cao caTko
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Mbhure
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| Friday, February 17, 2006 - 5:03 pm: |
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ह्या म्हणी मल एका Email मध्ये मिळाल्या 
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Saanjya
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| Friday, March 03, 2006 - 4:40 am: |
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'खाजवुन खरुज काढणे' अर्थ: एखाद्या गॊष्टिच उगाच load घेणॆ..
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Saanjya, तुझी वरची पोस्ट वाक्प्रचाराच्या BB वर लिही जा. तू वर लिहिलेली म्हण अशीही वापरतात - सुखाच्या ..... दुःखाचा बिब्बा.
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Maanus
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| Friday, March 31, 2006 - 9:20 pm: |
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' दिवा घे ' ही म्हण कोणी प्रचलीत केली, त्याचा उगम कोठे झाला काही कल्पना आहे का?
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Asami
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| Friday, March 31, 2006 - 9:55 pm: |
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माझ्या आठवणीप्रमाणे २००० मधे etc किरणच्या बोलण्यामधे पहिल्यांदा आलेली आठवतेय. कदाचित समर्याच्या डोक्यातूनही निघालेली असेल. मिल्या किंवा svs ला आठवतेय का बघू CBDG
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yeah आणि पुढे पुढे GTP वर हे "दिवा घे" इतके बोकाळले की प्रत्येकाच्या प्रत्येक वाक्याच्या शेवटी "दिवा घे" हे fullstop दिल्या सारखे यायचेच. मग त्याचे irritation होऊ लागल्याने कुणीतरी ~D हा symbol टाका असे सुचवले आणि एक दिवस admin नी clipart मधे २ दिवे पण ठेवले. 
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Zakki
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| Saturday, April 01, 2006 - 1:02 am: |
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आणि त्यातला दिवा२ मला फार आवडला. मी तो माझ्या सर्व पोस्ट वर टाकत असे. पण लोक मला आगलाव्या म्हणायला लागले. म्हणजे इकडे आपण ज्ञानाचा प्रकाश सर्वत्र पसरावा म्हणून प्रयत्न करावा, तर लोकांची भलतीच प्रतिक्रिया. म्हणून आता मी सगळीकडे हटकेश्वर हटकेश्वर असे म्हणत असतो.

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Pendhya
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| Saturday, April 01, 2006 - 1:32 am: |
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म्हणजे इकडे आपण ज्ञानाचा प्रकाश सर्वत्र पसरावा म्हणून प्रयत्न करावा,.... झक्की, तुमची प्रतिक्रिया यायलाच पाहिजे, नाहीका!
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Zakki
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| Saturday, April 01, 2006 - 11:43 pm: |
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तुला त्रास होत असेल तर नाही देणार प्रतिक्रिया. मी आपले सहज लिहिले.
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आगलाव्या फारच छान, जगातली आतापर्यन्तची सर्वोत्कृष्ट उपमा
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मी पहातो आहे नवीन युनिकोड आल्यापासून उद्गारचिन्हे पोस्टच होत नाहीत. तसेच काही पोस्ट मध्ये चौकोन चौकोन दिसतात. उदा. वरच्या पेन्ढ्याच्या पोस्ट मध्ये पहिल्या दोन ओळी चौकोन चौकोन दिसतात शेवटची दुगाणी मात्र देवनागरीत दिसते. तुमचा काय अनुभव पावणं?
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Milindaa
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| Wednesday, April 05, 2006 - 4:37 pm: |
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\dev2{aagalaavyaa <?> phaarach chhaan, jagaatalee aataaparyantachee sarvotkRuShT upamaa <!>} = आगलाव्या ? फारच छान, जगातली आतापर्यन्तची सर्वोत्कृष्ट उपमा !
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मिलिन्दा, फारच छान ! पण ही एक स्टेप वाढली ! . पण जाता जाता ते चौकोनाचे सांगितले असते तर बरे झाले असते एनी वे धन्यवाद !
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Milindaa
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| Thursday, April 06, 2006 - 10:58 am: |
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ती चिन्हे जर अक्षरानंतर लगेच लिहीली तर हे कंस घालावे लागत नाहीत, असे.. आगलाव्या? फारच छान, जगातली आतापर्यन्तची सर्वोत्कृष्ट उपमा! = \dev2{aagalaavyaa? phaaracha chhaan, jagaatalee aataaparyantachee sarvotkRuShT upamaa!} tumachyaa browser che encoding "unicode" aahe ka te bagh, tya chaukonachya problem var hach upay aahe.
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Mrinmayee
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| Thursday, April 06, 2006 - 3:53 pm: |
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'खाजवून खरूज काढणे', 'नाकाने कांदे सोलणे' हे म्हणी नसून वाक्प्रचार आहेत असं नाही का वाटंत कुणाला?
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