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Itsme
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| Sunday, December 02, 2007 - 1:47 pm: |
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सुरेख .. .. .. ..
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Rprachi
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| Sunday, December 02, 2007 - 5:59 pm: |
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दाद, खूप सुरेख! अप्रतिम.
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Daad
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| Tuesday, December 04, 2007 - 9:05 pm: |
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सशलने बरोब्बर टिपलाय एक पॉइंट. ते "सासूचं..."तेरा-चौदा वर्षाची मुलगी नाही बोलायची. पण तापलेले गाल, मानेवर हुळहुळणारी बट.... ते ठीकय त्या वयाला. सगळ्यांचे आभार. इथे लिहून, तर कधी खास इमेलने आवडल्याचं, आणि न-आवडल्याचं ही कळवता.... परत एकदा धन्यवाद!
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Manogat
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| Wednesday, December 05, 2007 - 6:52 am: |
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दाद, तुझ लिख़ाण असल्यावर सुरेख़ वगैरे लिहायची सोयच नसते..कारण तुझ्या लेखणितुन निघाले म्हण्जे सुरेख असणारच याची खत्री असते. पण बालपणात पुन्हा एकदा फ़ेरफ़टका मारुन आल्यासारख़ वाटल. त्याबद्दल धन्स... असेच लिहित रहा...
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Zelam
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| Friday, December 07, 2007 - 1:10 pm: |
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दाद, अगदी गोड लिहिलयस गं. खरच teenage revisited !
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Rashmee
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| Friday, December 07, 2007 - 4:22 pm: |
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खूपच मस्त...एकदम माझं टीनेज आठवलं
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