Shyamli
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| Tuesday, December 04, 2007 - 11:35 am: |
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ब-याच दिवसानी काहितरी लिहावस वाटल इथे कुणी मागायचे किती अन शोधायचे किती पुराव्यासाठी पुरावे सांग मी द्यायचे किती श्यामली!!!
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Meenu
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| Tuesday, December 04, 2007 - 5:34 pm: |
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शेवटी झालीच सुरुवात पुरावे मागायची नी द्यायची वाटलं नव्हतं तरी ही पण होतीच वेळ यायची ..
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Meenu
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| Tuesday, December 04, 2007 - 5:38 pm: |
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जाऊ दे कसले कसले, नी किती पुरावे द्यायचे ? हल्ली तर मागतात म्हणे, पुरावे जिवंत असल्याचे ..
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Meenu
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| Tuesday, December 04, 2007 - 5:40 pm: |
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पैशामधेच मोजते ती, सारं काही .. म्हणली तुझ्या उसाश्यांना, काहीसुद्धा किम्मत नाही ..
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Itgirl
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| Wednesday, December 05, 2007 - 12:09 am: |
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पुरावे आणि उसासे सारंच आता फ़ोल आहे लांडग्यांच्या मस्तवाल जगात माणूस कवडीमोल आहे
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Ajjuka
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| Wednesday, December 05, 2007 - 4:48 am: |
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कोसळलेला वड तुटलेली नाळ पुराव्यासाठी फक्त कागदांचा गाळ
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Meenu
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| Wednesday, December 05, 2007 - 5:35 am: |
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ऐक आता मान्य कर हो ! आहे दुरावा .. नको उगी शोधत फिरु नसलेला पुरावा ..
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Shyamli
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| Wednesday, December 05, 2007 - 5:50 am: |
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छे कुठय? कुठेच नाही दुराव्याच नावही नाही वाटत असच कधीतरी आणि शोधत मन कधीतरी गरज नाहिये पण असावा जवळ.......... पुरावा श्यामली!!!
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Devdattag
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| Wednesday, December 05, 2007 - 6:18 am: |
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जातानांही काळजाला एकच डागणी आहे नसण्यासाठी असण्याच्या पुराव्याची मागणी आहे
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Lopamudraa
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| Wednesday, December 05, 2007 - 6:26 am: |
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अरे वा.!! इथे तर मैफ़िलच भरली...!!!.. ... ... ..
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Jo_s
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| Wednesday, December 05, 2007 - 6:38 am: |
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व्वा, काय पुरावा आहे... सगळ्यांचाच छान आहे अग्नी परिक्षा दिलीस सिते रामही पाहे ज्यात पुरावा तुझीच आता पाळी रामा लागे तव असण्याचा पुरावा
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Swa_26
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| Wednesday, December 05, 2007 - 6:38 am: |
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पहिल्यांदाच पोस्ट करतेय.. या सगळ्यांच्या पंक्तीत बसेल का नाही माहित नाही... मी तुझी, तु माझा असावा नजरेने फक्त एवढेच सांग मी मागत नाही काही पुरावा...
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Satyajit_m
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| Wednesday, December 05, 2007 - 9:42 am: |
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पुरावा कशाचा का कोण मागतो जाळावा का पुरावा प्रष्ण येवढाच उरतो
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Devdattag
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| Wednesday, December 05, 2007 - 10:19 am: |
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ये बात.. सत्यजीत.. .. ..
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Swa_26
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| Wednesday, December 05, 2007 - 10:56 am: |
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सत्यजीत... too good ...
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Shyamli
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| Wednesday, December 05, 2007 - 11:34 am: |
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क्या बात है...व्वा!! .......
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Meenu
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| Wednesday, December 05, 2007 - 5:02 pm: |
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आता होते हिरवे, सारे उजाड झाले .. नको वाटते येथे, आता पल्याड जावे ..
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Meghdhara
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| Wednesday, December 05, 2007 - 6:39 pm: |
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पल्याडही गं सखये सारे असेच आहे कालच उजाड होते आज बहरले आहे! मेघा
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Pama
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| Wednesday, December 05, 2007 - 7:05 pm: |
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का द्यावे कुणाला वेगळे मी पुरावे, वागणे षंढ त्यांचे.. न जगाला कळावे?
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Mankya
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| Thursday, December 06, 2007 - 4:47 am: |
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जे पाहूनी दुःखानेही ऊर बडवले अन कळवळून वेदनांनीही कण्हावे खार्या वर्षेत, भेगाळलेल्या ह्रदयात उकरून वर शोधत रहा तुम्ही पुरावे ! माणिक !
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Itgirl
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| Thursday, December 06, 2007 - 5:33 am: |
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पुरावे शोध आधी पल्याडच्या हिरवाईचे ऐकतेस ना उसासे इथल्या निष्प्राण मनांचे?
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Satyajit_m
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| Thursday, December 06, 2007 - 10:39 am: |
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त्या शपथा ती वचने त्यांचा हवा का पुरावा? प्राण गेला ज्या देहातला तो देह मागे का उरावा? पर्थिव घेउन खांद्यावर नाते जपत चालते मी धगधगत्या सरणावर स्वप्नांच्या माझ्या सह जाळते मी
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Aktta
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| Friday, December 07, 2007 - 9:50 pm: |
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अरे वा इथे तर पुराव्याचा पुर आला आहे.... एकटा.....
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