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Sanyojak
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| Thursday, September 13, 2007 - 12:48 pm: |
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बाप्पा मोरया! चला मंडळी आपापल्या लेखण्या, कुंचले,आणभव आणि डोकी परजून ठेवा. कोरे कागद, स्क्रीन्स, कॅनव्हास तुमच्या प्रतिभास्पर्शाने बहरून जाऊ दे. बाप्पांच्या मूर्तीचे बुकिंग झालेय. मखर सजतेय. तांदळाची पिठी, नारळ, गुळाच्या ढेपा, केशर, वेलदोडे यांचे वास वेगवेगळे का होईना पण दरवळायला लागलेत. जास्वंदीला फुलोरा आलाय. आरत्यांच्या कॅसेट्स, दिव्यांच्या माळा यांचे टेस्टिंग पण झालेय. घंटा, तबक, निरांजने, समया घासून पुसून लख्ख झाल्यात. बॅंड आणि टेम्पोही ठरलेत. तुम्ही सज्ज आहात ना?
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Itgirl
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| Monday, September 17, 2007 - 7:11 am: |
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नमस्कार मंडळी हे परवा असेच खरडले... 
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Abhija
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| Monday, September 17, 2007 - 2:46 pm: |
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chehryacha bhag mala awaDala. kes jara ajun vyavasthit zale aste tar ajun changla disla asata, asa mala waTta! mazi swatahachi chitrakala (???) ajun balwaDi_t aahe.. tyamuLe me ajun kahi TARE toDaNe uchit naahee:-)
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Itgirl
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| Monday, September 17, 2007 - 3:02 pm: |
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धन्यवाद अभिजित मी ही काही फ़ार ग्रेट चित्र नाही काढत हे असेच परवा मिटींगमधे बोअर होत होते म्हणून, बाजूला बसलेल्या मुलीचे
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Mmr
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| Tuesday, September 18, 2007 - 3:47 am: |
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CHAN REKHATLE AHES.HE PEN KADHLE AHES KA?
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Itgirl
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| Wednesday, September 19, 2007 - 6:09 am: |
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हो मंगेश, बॉलपेन ने काढलेय ते, त्यामुळे खाडाखोड करायला काही वाव नव्हता फ़ारसा
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Ajai
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| Wednesday, September 19, 2007 - 1:27 pm: |
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चित्र म्हणून qualify करणार नाहि तरिहि दुसरा BB नसल्याने येथेच post करतोय 
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Itgirl
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| Wednesday, September 19, 2007 - 1:53 pm: |
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अजय, हे पांढर्या पार्श्वभूमीवर परत करता येईल का? खूप सुरेख आहे
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Chioo
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| Thursday, September 20, 2007 - 8:58 am: |
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अजयने काढलेले चित्र. Itgirl ने सुचवल्याप्रमाणे पांढर्या पार्श्वभूमीवर. 
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Radha_t
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| Monday, September 24, 2007 - 8:17 am: |
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रांगोळी इथे टाकली तर चालेल काय?
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Itgirl
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| Monday, September 24, 2007 - 8:23 am: |
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टाकू नका रांगोळी, छान पैकी काढा इथे चालेल, मला वाटत
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Radha_t
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| Monday, September 24, 2007 - 8:27 am: |
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परवाच मी काढलेली रांगोळी
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Radha_t
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| Monday, September 24, 2007 - 8:31 am: |
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अजून एक, पेपरात बघून
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Psg
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| Monday, September 24, 2007 - 9:38 am: |
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सुरेख आल्यात दोन्ही रांगोळ्या राधा
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Aashu29
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| Monday, September 24, 2007 - 10:23 am: |
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पहिलीवाली टिळकरूपी रांगोळी अप्रतिमच आहे राधा!!
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Badbadi
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| Monday, September 24, 2007 - 10:25 am: |
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राधा, सुरेख रांगोळी!!! पहिल्यातली पोज मस्त आहे...आणि दुसर्यातले डोले
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Itgirl
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| Monday, September 24, 2007 - 11:19 am: |
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अरे वा, राधा, किती मस्त रांगोळ्या आहेत!! दुसरी जास्त आवडली, विषेशत: डोळे, एकदम ठसठशीत
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Bee
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| Tuesday, September 25, 2007 - 5:06 am: |
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राधेची रांगोळी छान आली हे नक्कीच पण आम्ही जेंव्हा रांगोळी काढायचो बालपणी तेंव्हा देवाची रांगोळी काढायला मोठे आम्हाला बंदी करत शिवाय आम्हाला देखील तसेच वाटायची की देवाची रांगोळी काढू नये. कारण कुणाचा पाय पडून ती विस्कटून जाईल ही भिती.. देव पाप देईल ही आणखी एक भिती.
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Radha_t
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| Tuesday, September 25, 2007 - 6:21 am: |
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धन्यवाद लोक्स. यश तुझ म्हणण बरोबर आहे. कुणाचा पाय लागू नये म्हणुन चारी बाजुला कुंड्या ठेवल्या होत्या मी.
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Bee
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| Tuesday, September 25, 2007 - 7:13 am: |
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राधा, तू तर छान मराठी बोलायची पूर्वी. हे 'लोक्स' वगैरे वाचून पाश्चिमात्यांच भूत तुझ्याही अंगी शिरल का.. अरेरे कस व्हायचं मर्हाटी भाषेच.. धन्स, लोक्स, पंखा.. अजून काय काय वाचायला मिळेल..
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