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Disha013
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| Thursday, September 13, 2007 - 4:58 pm: |
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खुप खुप सुरेख नंदिनी.
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Prajaktad
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| Thursday, September 13, 2007 - 6:57 pm: |
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रेहान आवडणार्यांसाठी कथा लिही... आमच्यासाठी अस ललित लिखाण कर...परत एकदा केदारला अनुमोदन..
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Mansmi18
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| Friday, September 14, 2007 - 4:04 pm: |
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नंदिनी, fantastic अप्रतिम! ती "रेहान" पुर्ण करुन एकत्र paste करशील का please? तुला माहीत आहे का.. "रेहान" पुर्ण व्हावी म्हणुन काही लोकांनी नवस बोलले आहेत असे ऐकले
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Nilima_v
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| Friday, September 21, 2007 - 6:22 pm: |
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Nandini DO NOT hurry your story. The section is Katha - kadambari. This may not be katha, but it could be kadambari. main objective behind writing story is NOT just to complete it, but it should be meaningful for author.
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Amruta
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| Tuesday, September 25, 2007 - 3:25 pm: |
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काय सुंदर लिहिल आहेस नंदिनी... आमचे बाबा खुश झाले वाचुन
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Ladaki
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| Monday, October 01, 2007 - 9:23 am: |
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१०००वी पोस्ट करायच्या नादात तू वर काय लिहीले आहे ते वाचलेच नाही... ... आणि नन्तर वेळ न मिळाल्यामुळे वाचायचे राहून गेले... पण आज सहज म्हणुन link open केली आणि नेहमीपेक्षा वेगळ काहीतरी वाचायला मिळालं... अगदी अनापेक्षीतपणे... खुप छान लिहिलं आहेस... सगळेच प्रसंग डोळ्यापुढे उभे राहतात... कुठला प्रसंग जास्त आवडला हे नाही सांगता येणार... कारण सगळेच प्रसंग तेवढेच toching आहेत... keep writing... ALL THE BEST... ; : , ? . ! --- ही सगळी चिन्ह वापरताना पार वाट लागते माझी... म्हणुन एवढे सगळे टिंब...
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Jo_s
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| Tuesday, October 02, 2007 - 6:57 am: |
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व्वा नंदीनी छानच लिहीतेस, आवडल हेही
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Jhuluuk
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| Thursday, October 04, 2007 - 11:32 am: |
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खुप खुप आवडलं, मनापासुन
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Rajya
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| Tuesday, October 09, 2007 - 11:37 am: |
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अरे व्वा काय सॉलीड लिहीलंय आयला सगळे चेहेरे डोळ्यासमोर उभे राहीले बघ
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Anaghavn
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| Tuesday, October 09, 2007 - 12:08 pm: |
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अप्रतिम!!!!डोळ्यांत पाणी कधी आलं, कळंल नाही. हे असं वाचल्यावर डोळ्यांत पाणी येणं, हे संवेदनशिल मनाचं लक्षणं आहे, असं म्हणतात. आणि असं डोळ्यात पाणी आणणारा लेख लिहीणं हे? हॅटस ऑफ़ टू यू,नंदिनी. अनघा.
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