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Srk
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| Thursday, June 21, 2007 - 12:36 pm: |
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दाद हे गाण जितक्या वेळा ऐकलं तितक्या वेळा खुप आत काहीतरी जाणवत राहीलं. मनातलं कागदावर आणि तिथुन वाचकाच्या मनात जस्सच्या तस्स उतरवणं तुला एकदम जमलय. रेहमानचे काही उच्चार अज्जिबात कळत नाहीत हे मात्र खरं. गुरुच्या दम दरा पाथ पाथ मध्ये तो तेरे बिनानंतर "बेसुवादी" म्हणत असावा असा पक्का संशय आहे पण "तु ही रे"(बॉम्बे) मधली व्याकुळता छे! मी काय सांगणार?(तेव्हा अरविन्द स्वामी जाम आवडायचा. पुढे माझी मचुरिटी आणि त्याची जाडी वाढत गेली तशी ती आवड कमी झाली.)
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Srk
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| Friday, June 22, 2007 - 7:40 am: |
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My mistake. तु ही रे हरीहरन नी गायलय
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Aaftaab
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| Friday, June 22, 2007 - 8:37 am: |
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"दम दारा दम दारा मस्त मस्त" आहे ते srk पाथ पाथ नाही..
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Divya
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| Friday, June 22, 2007 - 3:37 pm: |
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दाद छान लिहीलेस, इजाजत मधल मेरा कुछ सामान हे गाण पण खुप खोलवर स्पर्शुन जात.काय वाटत ते शब्दात मांडण सहज जमलय तुला.
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Srk
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| Sunday, June 24, 2007 - 6:25 am: |
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खरच की! गडबड झाली खरी.
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Shyamli
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| Sunday, July 01, 2007 - 10:51 am: |
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एकाच ऐकण्यात दृश्यमान झालेल्या गाण्यांतली दोन गाणी श्रावणात घननीळा >>>>अगदि अगदि, ह्या गाण्याबद्दल लिहिशील ना? वाट पहातीये 
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