Ajjuka
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| Saturday, February 23, 2008 - 4:42 am: |
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सोप्पं देते... ओळखा बरं चैन कैसा जो पहलू मे तूही नही मार डाले ना दर्द ए जुदाइ कही ऋत हंसी है तो क्या चांदनी है तो क्या चांदनी जुल्म है और जुदाइ सितम
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Abhi_
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| Saturday, February 23, 2008 - 4:55 am: |
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अज्जुका, तू दिलेलं गाणं शाम ए गम की कसम, आज गम ही है हम आ भी जा आ भी जा आज मेरे सनम तलत मेहमूद / खैय्याम / फूटपाथ
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Ajjuka
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| Saturday, February 23, 2008 - 6:22 am: |
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श्या! फारच सोप्पं झालं. आता नवीन. उंची घटाके साये तले छुप जाये धुंधली फिजामे कुछ खोये कुछ पाये सासोंकी लयपर कोइ ऐसी धुन गाये
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Abhi_
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| Saturday, February 23, 2008 - 9:29 am: |
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अज्जुका फैली हुई है सपनों की बांहे, आजा चल दे कहीं दूर वहीं मेरी मंझिल वहीं मेरी राहे आजा चल दे कही दूर लता मंगेशकर / एस. डी. बर्मन / हाऊस नं. ४४
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Prachee
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| Sunday, February 24, 2008 - 4:26 am: |
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अरे, मी वर दिलेले गाणे ओळखा की.
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Ankyno1
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| Monday, February 25, 2008 - 5:23 am: |
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प्राची... समाँ ये सुहाना अकेले तुम हो, अकेले हम है.... (हे गाणं मला महिती नव्हतं... पण अत्ताच ऑफिस मधे कोणीतरी लावलं... आणि मला कळलं.... चित्रपट्-अल्बम कोणता ते माहिती नाही कारण गाणं general folder मधे आहे....)
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Ankyno1
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| Monday, February 25, 2008 - 7:40 am: |
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हे ओळखा.... दिल तो देते है लेते है लोग कई बार दिल तो देते है लेते है लोग कई बार हुआ क्या किसी से किया था तुमने प्यार यादोंको छोड दे वादोंको तोड दे
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मी काही कोडं घालत नाहिये. पण खुप वर्षांपुर्वी मी कुणाकडे तरी एक गाणं ऐकलं होतं.. गाणं लताचं आहे. पण सुरुवातीला मदन मोहनने संपूर्ण गाणं गावून दाखवले आहे (बॅकग्राउंडला फक्त पेटी आहे).. आणि लताने त्याचे गाणे संपता संपताच ते गाणे उचलले आहे.. अफलातून आहे केवळ.. मला चाल लक्षात आहे.. शब्द मुळीच नाही.. मुखडा साधारण असा आहे- माएरीSSS, मै कासे कहुं प्रीत...
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Dineshvs
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| Monday, February 25, 2008 - 8:43 am: |
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माई री मैं कासे कहूँ पीर अपने जिया की ओस नयन की उनके मेरी लगी को बुझाये ना तन मन भीगो दे आके ऐसी घटा कोई छाये ना मोहे बहा ले जाये ऐसी लहर कोइ आये ना ओस नयन की उनके मेरी लगी को बुझाये ना पडी नदिया के किनारे मैं प्यासी पी की डगर में बैठा मैला हुआ री मोरा आंचरा मुखडा है फीका फीका नैनों में सोहे नहीं काजरा कोई जो देखे मैया प्रीत का वासे कहूं माजरा पी की डगर में बैठा मैला हुआ री मोरा आंचरा लट में पडी कैसी बिरहा की माटी असे ते, गाणे आहे. सिनेमा दस्तक.
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Zelam
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| Monday, February 25, 2008 - 5:28 pm: |
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Anky01 समा है सुहाना चित्रपट गुंज. कुमार गौरव, जुही चावला अभिनीत.
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धन्यवाद दिनेश.. मदन मोहनने का पहिल्यांदा गायले आहे?
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Ankyno1
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| Tuesday, February 26, 2008 - 4:46 am: |
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झेलम... उत्तर चुकलय... देव आनंद च्या सिनेमातलं गाणं आहे.....
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Ajjuka
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| Tuesday, February 26, 2008 - 6:01 am: |
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अजून एक कडवं राह्यलं माइ री मधलं. आंखोंमे चलते फिरते रोज मिलेंगे पिया बावरे बैंया की छैय्या आके मिलते नही है कभी सावरे दुख ये मिलन का लेके क्या करू मै कहा जाऊ रे आंखोंमे चलते फिरते रोज मिलेंगे पिया बावरे पाकर भी नही उनको मै पाती माइ री!!
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Ajjuka
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| Tuesday, February 26, 2008 - 6:03 am: |
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माझ्याकडे आहे हे गाणं. मदनमोहनने म्हणलेलं आणि लताचं वेगवेगळं. पण लताने जे काही 'हा माइ री' असं म्हणत उचललंय ना गाणं.. व्वा!!
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पन्न की तमना है के हीरा मुझे मिल जाये.. हेच आहे ना ते गाण???
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Ankyno1
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| Tuesday, February 26, 2008 - 7:43 am: |
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योगिता... बरोबर आहे उत्तर.....
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Aaftaab
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| Tuesday, February 26, 2008 - 8:26 am: |
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आता हे ओळखा जाने कहा कैसे शहर लेके चला ये दिल मुझे तेरे बगैर दिन ना जला तेरे बगैर शब ना बुझे
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Ankyno1
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| Tuesday, February 26, 2008 - 8:58 am: |
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सिली हवा छू गयी सिला बदन छिल गया नीली नदी के परे पीला सा चाँद खिल गया लिबास मधलं
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Ankyno1
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| Tuesday, February 26, 2008 - 9:42 am: |
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खूपच सोप्पं देतोय..... हर वक्त तेरा ही नशा है ये प्यार करने की सज़ा है तूने इतना बेचैन किया दिल ओ जान तुझपे कुर्बान किया
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Abhi_
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| Tuesday, February 26, 2008 - 11:27 am: |
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24*7 I think of you... शान / हिमेश रेशमिया / ३६ छायना टाऊन
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