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Kedar123
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| Thursday, January 31, 2008 - 8:46 am: |
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हिंदी चित्रपटातले काही काही संवाद अगदी विनोदी असतात उदा: सोल्जर म्हणून एक चित्रपट आहे त्यामधे बॉबी देओल च्या तोंडी एक संवाद आहे " गोली चलेगी कनपट्टी पे और खून कही और से निकलेगा" हा संवाद ऐकून मी आणि माझा मित्र बराच वेळ हसत होतो.
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Aashu29
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| Saturday, February 02, 2008 - 7:41 am: |
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बाथरुमको कायको कडी चाहिये रे बाबा? उधर क्या खज्जाना है?
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Kedar123
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| Sunday, February 17, 2008 - 6:08 am: |
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धडकन चित्रपटात शेट्टी अण्णांच्या तोंडी संवाद आहे " मै तूम्हे भूला नही सकता और तूम मूझे भूला दो ये मै होने नही दूंगा"
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Kedar123
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| Sunday, February 17, 2008 - 6:16 am: |
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हेराफेरी चित्रपटात दोन अफलातून संवाद आहेत मला खूप खूप आवडले. परिस्थीती जन्य विनोद म्हणतात तो हाच असावा. घरमालक बाबूराव आपटे नवीन भाडेकरू अक्षय कूमार ला घर दाखवत असतो. घराच्या मागे परसात उकीरडा असतो आणि कसली तरी रोपटी उगवलेली असतात. ते पाहून अक्षय कूमार तोंड वेंगाडणार तोच बाबूराव म्हणतो " ये इधर बगीचे जैसा बनाया है". अगदी अगदी आवडला हा प्रसंग. आणि दूसरा म्हणजे. ह्याच प्रसांगाचे पूढे एक्सटेन्शन. विहीरीत पाणी अगदी कमी आहे. तेंव्हा अक्षय कूमार तस म्हणून दाखवतो. बाबूराव लगेच म्हणतो " अरे बाबा अंदर जाके नही नहानेका. पानी बाहर निकालनेका और नहानेका."
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Ankyno1
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| Monday, February 18, 2008 - 4:58 am: |
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केदार, अक्षय नाही.... सुनील शेट्टी आहे य सीन्स मधे.....
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Kedar123
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| Monday, February 18, 2008 - 6:00 am: |
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अन्की धन्स बरोबर सुनील शेट्टी च आहे रे. चूक भूल द्यावी घ्यावी
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Shankasoor
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| Wednesday, February 20, 2008 - 3:52 pm: |
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सध्या B4U वर नवीन येउ घातलेल्या चित्रपटांचे trailors च्या वेळेला 123 नावाच्या चित्रपटाचे trailor दाखवतात. त्यात हा dialogue आहे. ते ऐकुन हल्लीच्या चित्रपटांचे dialogues किती भंकस असतात ते जाणवले. " बंदूक से निकलता है पौलाद, और पेट से निकलता है औलाद " .... किती टुकार ... शी.
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