|
|
Thread |
Posts |
Last Post |
  | Archive through October 17, 2005 | 5 | 10-17-05 5:21 pm |
  | Archive through October 23, 2005 | 5 | 10-23-05 11:23 am |
  | Archive through October 26, 2005 | 5 | 10-26-05 12:46 pm |
  | Archive through November 17, 2005 | 5 | 11-17-05 7:27 pm |
  | Archive through December 01, 2005 | 5 | 12-01-05 11:46 am |
  | Archive through December 07, 2005 | 15 | 12-07-05 1:33 pm |
  | Archive through January 10, 2006 | 10 | 01-10-06 9:56 am |
  | Archive through February 21, 2006 | 10 | 02-21-06 5:25 pm |
  | Archive through February 24, 2006 | 25 | 02-24-06 11:09 pm |
  | Archive through June 16, 2006 | 20 | 06-16-06 7:28 pm |
  | Archive through July 10, 2006 | 20 | 07-10-06 9:38 pm |
  | Archive through August 22, 2006 | 20 | 08-22-06 11:04 am |
  | Archive through September 26, 2006 | 20 | 09-26-06 12:41 pm |
  | Archive through October 03, 2006 | 20 | 10-03-06 2:12 pm |
  | Archive through October 27, 2006 | 20 | 10-27-06 7:57 am |
  | Archive through January 12, 2007 | 20 | 01-12-07 2:02 pm |
Storvi
| |
| Friday, January 12, 2007 - 8:38 pm: |
| 
|
वर, तू तरी अशी कशी अगदी शेवटच्या क्षणापर्यंत थांबतेस ग्रोसरी आणायला असे म्हणून त्यांना खजिल करावे! >>झक्की बायकांना ह्य क्लुप्त्या माहित नसतात काय? Mrs. विनयंना विचारा ति यादी पुढच्या शुक्रवारी येणार्या पाहुण्यांसाठी असणार 
|
Seema_
| |
| Friday, January 12, 2007 - 8:52 pm: |
| 
|
अगदी अगदी यादीतल्या अर्जंट,नि लवकर सापडल्या तरच, जास्तीत जास्त, एक दोन गोष्टीच आणीन, असे सांगायचे>>> अशा गोष्टीना मी पुरुन उरणारी आहे . मी पण मग त्या एक दोन गोष्टींचा एखादाच पदार्थ तेही एक दोन दिवसात करीन अस सांगते . विनय मस्त लिहिलय .
|
Zakki
| |
| Saturday, January 13, 2007 - 1:12 am: |
| 
|
Mrs. विनयंना विचारा ति यादी पुढच्या शुक्रवारी येणार्या पाहुण्यांसाठी असणार हो ना? मग आजच काय घाई आहे?
|
Badbadi
| |
| Wednesday, April 11, 2007 - 8:52 am: |
| 
|
विनय, तुमच्या amway च्या लेखाशी जरा साधर्म्य असलेला हा एक लेख... http://www.manogat.com/node/9857
|
लेख वाचला छान आहे...
|
Mi_anu
| |
| Friday, April 13, 2007 - 4:38 am: |
| 
|
आज पहिल्यांदाच हा ब्लॉग वाचला. चांगले लिहीले आहे. आमवे आणि भाग्मभाग विशेष आवडले.
|
Thanks मग उरलेले Archieves पण वाचून टाका.. कदाचीत अजून काही गोष्टी पण आवडतील...
|
विनय... परदेसाई वाचले.. मस्तच आहे...
|
विनय या दोन्ही आरत्या गणेशोत्सवात हलवल्या आहेत.
|
विनय, मस्त रे आज तुझे काही लेख वाचले. गार्हाणे मस्त जमले आहे. मला विशेष आवडले ते म्हणजे सोमवार पाळणार्यांका मंगळवारी माशे, मंगळवार पाळण्यारांका बुधवारी कोमडो... बुधवार पाळणार्यांक बाकीच्या दिवशी, तिरफाळ घालून तिकल्यातलो बांगडो... आता मी 'चित्रे' म्हणजे, ह्याच ओळी जास्त का आवडल्या ते वेगळे सांगू का चल मग..बोलू नंतर. संदीप www.atakmatak.blogspot.com
|
Vinaydesai
| |
| Wednesday, October 24, 2007 - 12:58 pm: |
| 
|
अरे आल्या आल्या Direct बांगड्यावर उडी..? खरा मत्यगोत्री शोभतोस.... माझी मेव्हणी रहायची राजस्थानमध्ये. एकदा मुंबईहून तिच्या वडिलांनी मासे पाठवले तिला. तिने मासे भाजायला घेतले, तर पाच मिनिटांनी बेल वाजली.. एक गृहस्थ उभे होते दारात... 'तुम्ही मासे आणलेत का हो...? रस्त्यावरून जात होतो. वास आला.. त्याच्यामागे आलो... अस मस्त वास कित्ती कित्ती दिवसात आला नव्हता इकडे...'... यांनाच पु.ल. म्हणतात खरे मत्स्यगोत्री....
|
|
चोखंदळ ग्राहक |
 |
महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
|
व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
|
पांढर्यावरचे काळे |
|
गावातल्या गावात |
|
तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
|
आरोह अवरोह |
|
शुभंकरोती कल्याणम् |
|
विखुरलेले मोती |
|
|
|
हितगुज गणेशोत्सव २००६ |
|
|