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अरे वा! अभिनंदन robinhood !
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Raina
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| Tuesday, December 12, 2006 - 1:50 am: |
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RH अभिनंदन- पण एक विनंती आहे. झक्कीकाकापुराण सोडून काहीही लिहा.तुमच्या कडे मराठी म्हणी आणि वाक्प्रचारांचा खूप संग्रह आहे असे एकंदरीत जाणवते. त्याबद्दल वाचायला नक्कीच आवडेल. ही आपली फक्त एक फर्माईश! 
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Satishm27
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| Tuesday, December 12, 2006 - 7:50 am: |
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यहा पे इतना शन्नटा क्यो है भाई???????? robinhood बरोबर ना????
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Giriraj
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| Tuesday, December 12, 2006 - 10:14 am: |
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वावा! चला तर मग.. आता लिहित सुटा काही ना काही!
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Robeenhood
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| Wednesday, December 13, 2006 - 2:11 pm: |
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अरे व्वा! मलाच माहीत नव्हतं माझं पेज सुरू झालेलं! मी ही तुमच्यासारखीच माझ्या कोर्या पेजला दाद देतो.
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Dineshvs
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| Wednesday, December 13, 2006 - 6:27 pm: |
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रॉबीन, तुझा फोटो छानच आहे.
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मरने की दुआएं क्यूं मांगूं , जीने की तमन्ना कौन करे यह दुनिया हो या वह दुनिया अब ख्वाहिश-ए-दुनिया कौन करे जब कश्ती साबित-ओ-सालिम थी तब साहिल की तमन्ना किस्को थी अब ऐसी शिकस्ता कश्ती पर साहिल की तमन्ना कौन करे! जो आग लगाई थी तुमने उसको तो बुझाया अश्कों से जो अश्कों ने भड़्काई है उस आग को ठन्डा कौन करे दुनिया ने हमें छोड़ा जज़्बी हम छोड़ न दें क्यूं दुनिया को दुनिया को समझ कर बैठे हैं अब दुनिया दुनिया कौन करे
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वाह वाह.. RH ... क्या बात है !!!
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Dineshvs
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| Monday, December 18, 2006 - 3:59 am: |
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रॉबीन, ईथे नाही, मेन पेजवर लिहायचं असतं. हि जागा आमच्यासाठी.
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Shonoo
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| Wednesday, February 07, 2007 - 6:32 pm: |
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लवकर लवकर चांगले लेख लिहा पाहू. भाषा, व्याकरण, शब्दार्थ, व्युत्पत्ती किती विषय आहेत..... हे काय उगीच अमराठी TP करताय? :-) जागा मिळाल्याबद्दल अभिनंदन.
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Bee
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| Thursday, February 08, 2007 - 4:18 am: |
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अरे वा हूडाला नविन बीबी.. अभिनंदन!!!! पण हे अमराठी ह्यांच्याकडून शो. ना. हो.
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Gs1
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| Wednesday, February 14, 2007 - 9:54 am: |
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रॉबिन तुमच्याकडे लिहिण्यासारखे बरेच काही आहे. तेंव्हा आता दिसामाजी काहीतरी... असा निश्चय करा बर..
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Limbutimbu
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| Wednesday, February 14, 2007 - 10:27 am: |
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बोवाजीन्ची पायधूळ हिथ झडल्याखेरीज हुडाला लिहायला कसा बर जोर येइल????? होनारे हुडा???? बोवाऽऽऽजीऽऽऽ ओऽऽ बोवाऽऽजीऽऽऽ, कुठ हैसा?? या बिगी बिगी!
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Lopamudraa
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| Wednesday, February 14, 2007 - 10:48 am: |
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मी म्हणते दुसर्याच्या मागे बेल घालित फ़िरण्यापेक्षा स्वता लिहाव की काहितरी.... आपल पेज रिकाम पडल असतांना झोप तरी कशी येते या माणसाला...
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Saee
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| Wednesday, February 14, 2007 - 12:28 pm: |
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अंताक्षरी bb वर गाण्यांच्या अनुषंगाने जे काही लिहीत असतोस ते इथे सविस्तर आणि सातत्याने लिही आता. फक्त तेवढंच नाही, इतरही खुप काही लिही. (नाशिकला न आल्यामुळे मी बरंच काही miss केलं) जंगलाबद्दल अभिनंदन!
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Kandapohe
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| Thursday, February 15, 2007 - 7:13 am: |
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शेरवूड करता अभिनंदन. तो फोटू बघुन एकदम मला लहानपणची सगळी पुस्तके आठवली. टारझन, रॉबीनहूड, गुलबकावली, टॉऽऽऽक फा.फे. 
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धोक्याचा इशारा....कुठे टाकावे ते न कळल्याने अखेर इथे टाकतो. Must read it can happen with anyone... Her handbag which contained her mobile, credit card, purse.. .etc....was stolen. 20 minutes later when she called her hubby, telling him what happened. Husband says, "I've just received your SMS asking about your Pin number. And I've replied a little while ago". When they rushed down to the bank. Bank staff told them all the money was already withdrawn. The pickpocket had actually used the stolen hand phone to sms "hubby" in the contact list and got hold of the pin number. Within 20 mins he had withdrawn all the money from the bank account. Moral of the lesson : Do not disclose the relationship between you and the people in your contact list. Avoid using names like Home, Honey, Hubby, sweetheart, Jaanu, Dad,Mum etc. And very importantly, when sensitive info is being asked thru SMS, CONFIRM by calling back . Forward this to all your well wishers, so that they'll be careful too must read it can happen with anyone.....
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Nalini
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| Friday, February 16, 2007 - 3:45 pm: |
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धोक्याचा इशारा....कुठे टाकावे ते न कळल्याने अखेर इथे टाकतो.>> आणखी ईथेच कुठेतरी वाचल्यासारखे वाटतेय.
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Zpratibha
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| Tuesday, February 27, 2007 - 11:18 am: |
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घर मिळाल्याबद्दल अभिनंदन रॉबिनहुड. चला भटक्याची भटकंती संपली म्हणायची. आता शब्द भंडाराच पोत उघडा, आम्हि आहोच दाद द्यायला.
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सुप्रभात जुन्नरकर. श्रावण माझ मत मी सिरीयसलीच लिहलय रे फक्त smile मुळे तुला विनोदि वाटले असेल. तु म्हणतोस तेहि बरोबरच आहे रे कि महिला दिन एकच दिवस साजरा करण्याची गरजच का वाटावी? नेहमिच थोडस सौजन्य नाहि का दाखवता येणार? शिवाय त्यामुळे राखिव गोष्टिंचीहि गरज भासणार नाहि. जाऊ दे हा बराच वादाचा विषय आहे. प्रतिभा झालतेने जुन्नर बी बी वर लिहिलेले पोस्ट
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चोखंदळ ग्राहक |
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महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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पांढर्यावरचे काळे |
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गावातल्या गावात |
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तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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आरोह अवरोह |
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शुभंकरोती कल्याणम् |
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विखुरलेले मोती |
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हितगुज गणेशोत्सव २००६ |
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