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अरे वा... तुला पण हक्काची खोली मिळाली की... अभिनंदन
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Congratulations सीमा... आणि हो... belated happy birthday
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सीमा... फवे लै बेस झालते बघ.. आनि काय म्हणतीस? 
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Dineshvs
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| Thursday, June 29, 2006 - 5:01 pm: |
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आत्ता हैण. नमनालाच घडाभर त्याल जाळताईसा, आता वग कंदी सुरु होनार त्यो.
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Lalu
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| Thursday, June 29, 2006 - 5:07 pm: |
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लय भारी. येकदम घरला आल्यागत वाटलं बघा. भाषा कशी ग्वाड वाटतिया, मदीच ते इन्ग्लिश झाडू नगासा! ~D
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एहे! फवं लय भारी झाल्ततं! काटा कीर्रर्र! आनी तुमी बी आग्रेव केलासा. (आता आमास्नी आग्रेव काय करायचा म्हना! ) आता फटफटीला बिरेक लाव नगासा..
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Chinnu
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| Friday, June 30, 2006 - 1:31 pm: |
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सु स्सा ssssss ट जावुं द्या गाडी!
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sundar aahe photo aajun de, navin bhaag baghaayalaa milel.. tevhadhaach..!!!
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Chinnu
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| Friday, July 21, 2006 - 5:10 pm: |
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आइसक्रीम छान आहे आणि खाणारे लयी लयी ग्व्वाड हेत!
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Mita
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| Friday, July 21, 2006 - 11:04 pm: |
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कसली गोडुली आहे गं तुझी मुलगी!! गोड गोड पापा घेउन टाक माझ्यावतीने तिचा
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Moodi
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| Saturday, July 22, 2006 - 11:56 am: |
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फारच गोड दिसतेय गं. एक बारीकशी काळी तीट लाव तिला 
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Savani
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| Saturday, September 09, 2006 - 2:13 pm: |
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सीमा, खूप छान लिहिल्या आहेस गौरी- गणपतीच्या आठवणी. तुझी लेक फ़ार गोड आहे. नाव काय गं तिच?
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फ़राळाचा फोटो फ़ार सुरेख आलाय.. !!! तुलाही दिवाळीच्या शुभेच्छा..!!!
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Nalini
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| Monday, October 23, 2006 - 10:24 am: |
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सीमा, दिवाळीचे फराळ मस्तच. पाहुनच तोंडाला पाणी सुटलेय.
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Bee
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| Monday, October 23, 2006 - 11:00 am: |
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सीमाताई, तू कुठली आहेस? हे फ़राळ तू केले... खूप छान..
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Seema_
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| Monday, October 23, 2006 - 3:37 pm: |
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Thanks यावेळी मुलीला कळाव फ़राळ म्हणजे काय ते म्हणुन सगळ करायचा संकल्प सोडला होता . करंज्या मात्र इतक्या चांगल्या जमल्या नाहीत . असो . लेक मात्र खुश आहे एकदम . तीला सकाळी रांगोळी काढुन दाखवली . daddy ने घरी आकाशकंदिल करुन दाखवला . घरासमोर lighting लावल नव्हत , पण शेजार्याचा बघुन तीन ते ही आणायला लावल . बी , मी कोल्हापुरची आहे रे . सगळ मीच केलय .
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Jayavi
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| Monday, October 23, 2006 - 4:07 pm: |
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सीमा, कसली गोड आहे तुझी लेक! माझ्याकडूनही एक गोड गोड पापा ए, दिवाळीचा फ़राळ मस्तच दिसतोय हं!
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Arch
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| Monday, October 23, 2006 - 4:16 pm: |
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सीमा, अगदी साग्रसंगीत दिवाळी साजरी केलेली दिसत्येस. कौतुक आहे आणि लेकीने सगळ आवडीने खाल्ल की केल्याच सार्थकपण होत नाही?
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Savani
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| Monday, October 23, 2006 - 5:36 pm: |
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सीमा, काय छान दिसतायेत फ़राळाचे पदार्थ. चकल्या तर किती छान सुबक आहेत. अगदी उचलुन तोंडात टाकावीशी वाटतेय. आणि अगं ती चांदीची भांडी काय चकचकीत आहेत. काय वापरतेस ग त्यासाठी?
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are wa, faraal ekdam zyaak. postane pathun dyaa.
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