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Chinnu
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| Tuesday, March 28, 2006 - 4:35 am: |
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हो. हो. अजुन लिही!
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Champak
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| Tuesday, March 28, 2006 - 1:57 pm: |
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Thamb re thode diwas. Sadhya wachayala weL naahee.
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Moodi
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| Tuesday, March 28, 2006 - 2:11 pm: |
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मग तू या लिखाणाच्या प्रिंटस घेऊन त्या वाच ना निवांत. आम्हाला का अडकवतो उगाच? 
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weekend ला छापतो आणखी एखादा लेख... हे देवनागरीत छापायला जरा वेळ लागतो म्हणून सवडीनी...
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Ninavi
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| Thursday, March 30, 2006 - 2:09 pm: |
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अमेय, क्या बात है! छान लिहीतोयस. Keep it up! 
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Aschig
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| Thursday, March 30, 2006 - 5:18 pm: |
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ameya, very well written!
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Champak
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| Monday, April 03, 2006 - 4:47 pm: |
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पु. लं. च आडनाव पण देशपांडे च होते ना?
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का रे चंपक असं का विचारतो आहेस?
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Moodi
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| Thursday, April 20, 2006 - 5:59 pm: |
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खुपच छान. श्री शिवलीलामृतातील एक ओळ आठवली रे. जळी उठती तरंग अपार | सवेंचि फुटती क्षणभंगुर | मृगजळचि मिथ्या समग्र | तरी बुडबुडे सत्य कैसेनी || चित्रींच्या वृक्षच्छाये बैसला कोण | चित्राग्निने कोणाचे जाळिले सदन | तेथे गंगा लिहीली सहित मीन | कोण वाहुन गेला तेथे ||
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Divya
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| Thursday, April 20, 2006 - 7:21 pm: |
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अमेय छान मनमोकळ लिहीतो आहेस. 
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thanku मुडी, शिवलिलामृत कुणी लिहिलयं?
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Aschig
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| Thursday, April 20, 2006 - 9:59 pm: |
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interesting concepts In western mythology it says that there is a pot of gold at the base of a rainbow. However, we know that that is not quiet true. If you do go there, you will find Murphy standing there saying "the pot is at the other end of the rainbow"
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Moodi
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| Tuesday, April 25, 2006 - 5:32 pm: |
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अमेय तुला माहिती मिळालीच आहे, मग मी मेल नाही करत.
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Moodi
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| Tuesday, May 30, 2006 - 9:15 pm: |
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वा!! सुरेख. असे उत्तुंग विचार तुझ्या लिखाणातुन प्रकटतात, तेच तर आवडते. हिमालयाची उंची लाभायला मन पण तेवढे विशाल हवे. जसे उंचीचे भान ठेवले जातेय तसेच पठाराचे ठेवले तर ती उंची जास्त सुसह्य होईल, कारण वर चढणार्याला कधी न कधी दुसर्या बाजूने का होईना पण उतरुन पठारावर यावे लागते, अन हाच निसर्ग नियम श्रेष्ठ आहे. 
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खरयं खरयं उत्स्फ़ूर्त प्रतिक्रीयेबद्दल मनापसून धन्यवाद मुडी
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Bee
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| Wednesday, May 31, 2006 - 6:34 am: |
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अमेय, मलाही आवडले हे २ नवे स्फ़ुट.
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BTW Amey, Empire State वरुन खाली आलास तर 5th Avenue वर बाहेर पडून 31 Street पर्यंत जायचं.. तिथे मिनार नावाचे सगळ्यात Popular, Indian fast food आहे... गेली कित्येक वर्षं ते चालू आहे...
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विनय हा 5th Avenue प्रकार आम्हाला कुणाला अगदीच माहीती नव्हता परत येईन तेव्हा नक्कीच visit द्यायला पाहिजे इथे.
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Sherpa
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| Tuesday, June 20, 2006 - 7:32 am: |
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अमेय, छान लिहीले आहेस जुन्या आठवणी जागृत ज़ाल्या
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Zelam
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| Thursday, June 22, 2006 - 1:02 pm: |
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अमेय छान ओघवतं लिहितोस. लिहित रहा.
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चोखंदळ ग्राहक |
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महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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पांढर्यावरचे काळे |
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गावातल्या गावात |
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तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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आरोह अवरोह |
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शुभंकरोती कल्याणम् |
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विखुरलेले मोती |
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हितगुज गणेशोत्सव २००६ |
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