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Parya
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| Friday, August 18, 2006 - 3:56 pm: |
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नमस्कार्: मला खालील कवितेचे कवी आणि पूर्ण कविता हवी आहे. "भव्य हिमालय तुमचा आमुचा, केवळ माझा सह्य-कडा!!! गौरी-शंकर उभ्या जगाचा, मनात पूजीन रायगडा!!!" पर्या
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Sayuri
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| Wednesday, September 06, 2006 - 6:18 pm: |
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माझ्याकडे पूर्वी एक कविता होती. 'अधांतरी' नावाची. 'अमेरिकेत शिकण्यासाठी जाणार्या मुलाच्या मनातील भावना...' अश्या काहीश्या विषयावर होती...कोणाकडे असल्यास हवी आहे मला...
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Mahaguru
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| Wednesday, September 06, 2006 - 7:33 pm: |
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ती कविता इथे आहे: http://rclsgi.eng.ohio-state.edu/~tambe/VTT/Kavita/adhantari.htm ह्याकवितेचा कवी मिळाल्यास कृपया कळवावे. धन्यवाद
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Mansmi18
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| Thursday, March 15, 2007 - 6:01 pm: |
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नमस्कार कोणाला "आम्बा पिकतो रस गळतो" हे पुर्ण गाणे येते का?
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आम्बा पिकतो, रस गळतो, कोकणचा राजा झिम्मा खेळतो, झिम पोरी झिम, कपाळाला बिंग बिंग गेलं फुटून, पोरी आल्या नटून सरसर गोविंदा येतो, मजवरी गुलाल फेकितो, या बाई गुलालाचा लाल? आमुच्या वेण्या झाल्या लाल एक वेणी मोकळी, सोनाराची साखळी, घडव घडव रे सोनारा, माणिकमोत्यांचा बिलवरा, बिलवराला खिडक्या, आम्ही दोघी बहिणी लाडक्या, लाड सांगू बाबाना, मोती मागू कानाना..... सासूबाई माझ्या मुळीला आणि तिच्या मैत्रिणीला शिकवायच्या (ती अमेरिकन गोरी आहे)...तेव्हा ऐकलंय.. CBDG
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Mansmi18
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| Thursday, April 12, 2007 - 5:08 pm: |
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विनय धन्यवाद. what is CBDG?
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Mansmi18
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| Thursday, April 12, 2007 - 5:09 pm: |
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ओह चु भु द्या घ्या ओके
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Runi
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| Friday, May 25, 2007 - 11:25 pm: |
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आम्हाला शाळेत असतांना एक कविता होती, कोणाची होती ते आठवत नाही. कोणाला पुर्ण कविता आणि कवी माहित असेल तर सांगा. त्याचे शब्द असे काहिसे होते, संथ निळे हे पाणी वर शुक्राचा तारा अर्ध्या लहरी मधुनी शीळ घालतो वारा
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रुनी ही कविता आहे मंगेश पाडगावकरांची. संथ निळे हे पाणी वर शुक्राचा तारा कुरळ्या लहंरीमधुनी शिळ घालतो वारा दुर कमान पुलाची एकलीच अंधारी थरथरत्या पाण्याला कसले गुपीत विचारी भरुन काजव्याने हा चमके पिंपळ सारा स्तिमीत होऊनी तेथे अवचित थबके वारा किरकीर रात किड्यांची निरवतेस किनारी ओढ लागुनी छाया थरथरते अंधारी मध्येच क्षितीजावरुनी विज लकाकुन जाई अन ध्यानस्थ गिरी ही उघडुनी लोचन पाही हळुच चांदने ओले थिबके पाणावरुनी कसला क्षन सोनेरी उमले प्राणामधुनी संथ निळे हे पाणी वर शुक्राचा तारा दरवळला गंधाने मओनाचा गाभारा
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Aadi_gem
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| Sunday, May 27, 2007 - 7:23 pm: |
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usha mangeshkar yaanni gaaylela 'maati bole maay' he geet have aahe ....!! krupaya madat karavi....! adityapu@gmail.com
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Runi
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| Sunday, May 27, 2007 - 8:34 pm: |
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धन्यवाद केदार. मला माहित नव्हते की ती कविता पाडगावकरांची आहे.
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Sas
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| Thursday, June 14, 2007 - 7:30 pm: |
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मला 'पावसावर' कविता हव्या आहेत कुणी Please मदत करेल काय.???
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Ladaki
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| Friday, July 27, 2007 - 7:39 am: |
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नमस्ते मायबोलीकर्स, मला माहित नाही की मी बरोबर बीबीवर विचारतेय का नाही... पण कुणी मला झी मराठीवरील 'वादळवाट' या मालिकेचे शीर्षक गीत पुर्ण लिहून देईल का???...
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Aktta
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| Monday, August 27, 2007 - 8:57 pm: |
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लाडके... हे घे वादळ आनी लाव त्याची वाट.... http://www.esnips.com/doc/11bc14c8-e896-4251-a167-bfc7a22ea8a5/Wadalwat एकटा...
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ek kavita ahe jyat sagali 27 nakshtre ahet...barich juni asawi hi kavita...konala mahit ahe ka...mala kavi mahit nahiet
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Rahuly
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| Thursday, September 04, 2008 - 10:17 am: |
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silicon valleyt jaa pan sahyadrila visru nako.........he kavita kunakade aslyas plz mala smartrahul20006@gmail.com var email kara....plz!!
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मायबोली |
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चोखंदळ ग्राहक |
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महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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पांढर्यावरचे काळे |
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गावातल्या गावात |
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तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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आरोह अवरोह |
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शुभंकरोती कल्याणम् |
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विखुरलेले मोती |
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हितगुज दिवाळी अंक २००८ |
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