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Rahuricha kuni aahe ka?
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Champak
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| Saturday, December 11, 2004 - 12:06 pm: |
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mhMjaI to dÜna BaÜsko XaaLot tulaa Asalaa p`ÜÔala ilavhayalaa iXaiklaa ka baoT\yaa²²² ²²
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Smile
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| Tuesday, December 14, 2004 - 1:53 pm: |
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gorakshnath, tu engineering kartoyes ka ra ajun!!! reply de baba!!!
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Aerosoft
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| Saturday, June 18, 2005 - 10:53 am: |
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Namskar mi Dhananjay Aghav , Nagpurla asto.Nandgaon tal-nagar la rahto.kuni nagarche nagpurla asal tar SWAGAT
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Mavla
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| Tuesday, January 17, 2006 - 10:49 am: |
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नमस्कार दोस्तहो. लेकहो तुम्च्याच गावचा, तुम्च्याच नावचा, नगर च्या लस्सीचा, नगर च्या खाव्याचा, अन मनामधल्या माव्याचा अभिमान बालगनारा, तुमचाच पत्थेबापुराव, मुजरा धाड्तोय नगरकराना.
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Mavla
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| Tuesday, January 17, 2006 - 10:57 am: |
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Ahmednagar BB वर मी नेहमिच भेटत जायील ईथुन पुढे येत जा तिकडे गप्पा मरायला. भेटुच मग. मावळा
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Mavla
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| Tuesday, January 17, 2006 - 11:06 am: |
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दोस्त हो, काहि च्या कहि कवितेत आम्हि पन येक टाकली... वाच बरका हो. तिच general kavita मधे पन टाकतो. Reply कळवा. प्रेम असो...
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Mavla
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| Monday, January 23, 2006 - 6:57 am: |
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गावातल्या गावात भेदभाव, बोळातल्या बोळात भेदभाव, सदाशिवपेठी नारयनपेठी, सोमवर मगळवार.... वार, आर या आसल्या फ़द फ़ितुरगिरी, पक्शपाती पणा, देशाच्या वाटन्या कराव्या त्या पुनेकारान्नी. आपल्या सारख्या नगर्रीं नी नाही. काय हे? ईथपन राहुरि वेगलि संगमनेर वेगल? तालुक वेगल नगर्करन्नि गावात्ल्या गावात भेदभाव, शोभत का हे? आर थु आपल्या गटबाजीवर....
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Sharmi
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| Sunday, July 30, 2006 - 1:26 pm: |
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गटबजी काय?....कुनी गावच भेटाव ह उद्देश
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हितगुज दिवाळी अंक २००७
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मायबोली |
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चोखंदळ ग्राहक |
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महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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पांढर्यावरचे काळे |
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गावातल्या गावात |
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तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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आरोह अवरोह |
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शुभंकरोती कल्याणम् |
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विखुरलेले मोती |
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हितगुज दिवाळी अंक २००६ |
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