Zelam
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| Wednesday, March 22, 2006 - 4:57 pm: |
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गिरी ही चित्रवीणा कविता कुणाची आहे रे? नुकतेच शाळा पुस्तक वाचले त्यात या कवितेचा reference आहे. कुठे मिळेल का पूर्ण कविता? मायबोलीवर आहे का?
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Giriraj
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| Thursday, March 23, 2006 - 5:54 am: |
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ज़ेलम,ही बोरकरांची आहे. या ठिकाणि मिळते का बघ नाहीतर टाकतो मी नन्तर. बा.भ.बोरकर
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Zelam
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| Thursday, March 23, 2006 - 1:54 pm: |
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मिळाली रे गिरी त्याच BB वर. Thanks
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Giriraj
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| Friday, March 24, 2006 - 7:08 am: |
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स्वप्नाप्रमाणे भासेल सारे जातिल सार्या लयाला प्रथा भवती सुखाचे स्वर्गिय वारे नाही उदासी नाही व्यथा ना बंधने नाही गुलामी भीती अनामि विसरेन मी हरवेन मी हरपेन मी तरीही मला लाभेन मी!
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वाह वा गिरीभाऊ, रास्ता पेठेत कवितांची झुळूक आणल्याबद्दल धन्यवाद
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नीलाक्षी, तुला हवे असलेले गीत :- आ चल के तुझे
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Moodi
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| Wednesday, March 29, 2006 - 9:25 am: |
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फदी मेल चेक कर अन जमेल तेव्हा रीप्लाय दे.
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Phdixit
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| Wednesday, March 29, 2006 - 1:47 pm: |
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गिर्या अरे थांबलास का ?? चालु राहु दे तुझी गुण गुण मुडी E_Mali चेक केली, रीप्लाय पण केला आहे.
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Giriraj
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| Thursday, March 30, 2006 - 5:49 am: |
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वक़्त कटे नही कटता है तेरेबिना मेरे साजन काश ये हो के तू आजाये बित न जाये सावन! नमस्कार पेठकरांनो! पाडव्याच्या हार्दीक शुभेच्छा!
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Moodi
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| Friday, March 31, 2006 - 8:23 am: |
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प्रसाद नवीन वर्षाचा संदेश लक्षात ठेवेन. फदी काही त्रास नाही ना रे तुला तिथे?
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Phdixit
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| Friday, March 31, 2006 - 8:45 am: |
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मुडी इथे सातार्यात काही काळजीचे कारण नाही
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काल माझी पुतणी हे गाणे म्हणत होती...सातार्यावरून आठवण झाली A B C D सातारा त्यातून निघाला म्हातारा म्हातार्याने खाल्ले पेरू त्यातून निघाले नेहरू नेहरूंनी तोडला आंबा त्यात होती जगदंबा जगदंबेने आणला मिक्सर सचिन ने मारली सिक्सर
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Moodi
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| Monday, April 03, 2006 - 10:46 am: |
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प्रसाद हे गाणे खुप फेमस होते. फदी लिंब्याने मेल केली रे, अकाऊंट लिहावे ना तशी उत्तरे लिहीलीत. तू पण तेच काम करतोस का रे?
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>>>> अकाऊंट लिहावे ना तशी उत्तरे लिहीलीत. अग फदीला काय विचारतीस? त्याचा येकल्या अकाउन्टचा कारभार! जवा दोनाच चार होतील तवा शिकल अकाउण्ट लिहायला प्रमाण उत्तर द्यायला! 
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Phdixit
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| Monday, April 03, 2006 - 12:19 pm: |
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नशिब मुडे तिन महिने झाले लिम्ब्याने माझे एक छोटेसे काम नाही केले आजुन
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Moodi
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| Monday, April 03, 2006 - 12:30 pm: |
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क रे लिंब्या का केले नाहीस फदीचे काम? टाकाऊ गप्पा मारणा ऐवजी सत्कार्य कर ना एखादे. ~ddd
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अरे वाह ! पेठेमधे लिंबूनानांचे स्वागत. मूडी, ते गाणे पूर्ण माहीत आहे का तुला ?
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Giriraj
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| Wednesday, April 05, 2006 - 2:35 pm: |
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क्या कोई नई बात नज़र आति हे हममे आईना मुझे देखके हैरान सा क्यू है!
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गिर्या, केस कापल्यामुळे जरा वेगळा दिसतो आहेस, बाकी हैरान होण्यासारखे काही नाही
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Phdixit
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| Friday, November 10, 2006 - 5:04 am: |
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Phdixit
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| Sunday, November 12, 2006 - 4:12 am: |
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Jiten
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| Tuesday, October 09, 2007 - 2:13 pm: |
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namaskar dosta lokk, kase aahat....
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