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अरे काय हे.... मी म्हटलं शिट्टीकर पेटलेत नुसते.. म्हणजे पूर्वी हा बाफ सुप्तनिद्रेत असायचा.. तो आता तुम्ही चांगलाच चालू केलाय (गेले तीन आठवडे). याबद्दल अभिनंदन केले. आता (यावर वादावादी झाली तर पेटतील, भुकंप येतील वगैरे वगैरे) ('चला बोळा निघाला पाणी वाहते झाले)
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Panna
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| Monday, March 31, 2008 - 3:48 pm: |
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म्हणुनच म्हटलं नं विनय की बारा वालेच जाणोत की कसं पेटवायचं ते!! अनिता, ते मा.बु.दो. अ. म्हणजे काय गं?
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D_ani
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| Monday, March 31, 2008 - 3:58 pm: |
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अग पन्ना, ही तर मायबोलीवरची प्रख्यात टिपण्णी आहे.. मी जरा वेगळ्या प्रकारे लिहिली. "माझ्या बुद्धीचा दोष असेल".
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Panna
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| Monday, March 31, 2008 - 4:11 pm: |
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धन्स अनिता!! हो ग, वाचते आजकाल जिकडे तिकडे पेटलेल्या बीबींवर
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पन्ना, पेटलेल्या बीबींवर???? आता नवर्यांचे काही खरे नाही... (बीबी पेटायला लागल्या तर) (पेटणे हा विशिष्ठ शहरातून आलेला शब्द आहे.. संदर्भ 'मुंबईकर, ..कर, नागपूरकर.... 'अरे इथे फोनवर पेटलाय ते कोणीतरी तुझ्यासाठी') 
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Amruta
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| Tuesday, April 01, 2008 - 3:06 pm: |
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छ्या,ह्याला काय पेटण म्हणतात का विनय?? पेटण तिथे पन्ना म्हणाली तस शेजार्यांकडे चाललेल असत. बाकी नवर्यांच म्हणाल तर बीबीला पेटवायला तेच जबाबदार असतात तर पुढच सहन नको का करायला. 
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Panna
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| Tuesday, April 01, 2008 - 3:15 pm: |
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गुड मॉर्निंग!! अमृता, मोदक खा ग बयो!! विनय आणि त्या विशिष्ठ शहराबद्दल न बोललेलच बरं!! लगेच 'पेट' घेईल हा बाफ!!
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Amruta
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| Tuesday, April 01, 2008 - 4:23 pm: |
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महाराष्ट्र मंडळाच्या कार्यक्रमाला येताय का? मी जाव अस म्हणत्ये. किट्टु तुझ नक्कि आहे ना यायच?? येताय का मंडळी?? आपल ए. वे. ए. ठी पण होइल. नंतर २७ एप्रिल ला कणेकरांचा पण कार्यक्रम आहे. तिकिट पण ठिक आहे. आम्ही जाउ बहुदा. इथे बघा. http://maharashtramandalct.org/
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Kittu
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| Tuesday, April 01, 2008 - 4:32 pm: |
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ho ga amruta maza nakki aahe...27 april cha maatra nahi...karan tyancha babysit 3yrs chya war mulansaathi aahe... e.vi.the.vi. te kay? maayboli warchi hi code language mala tari nahi samajat
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Amruta
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| Tuesday, April 01, 2008 - 5:23 pm: |
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अग ए. वे. ए. ठी. म्हणजे एक वेळ एक ठिकाण, GTG gettogether च मराठीकरण. शनिवारचा कार्यक्रम खुप लांब आहे ग पण. अजुन नवर्याशी बोल्ले नाहिये पण बहुदा येउ.
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हे सदर आता नवीन मायबोलीवर हलवण्यात आलेले आह. कृपया पुढील लेखन या दुव्यावर करावे. /node/1608
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हितगुज दिवाळी अंक २००७
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मायबोली |
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चोखंदळ ग्राहक |
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महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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पांढर्यावरचे काळे |
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गावातल्या गावात |
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तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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आरोह अवरोह |
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शुभंकरोती कल्याणम् |
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विखुरलेले मोती |
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हितगुज दिवाळी अंक २००६ |
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