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अहो झाकी हे काय लिहेताय काय. हे पनवेल माझं माहेर आहे हो म्हणुन इथे आले आणि सहज गंमत केली.
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हसायला शिकण खुप सोप्पय रे रुप. ह ची सगळी बाराखडी काढायची By The Way तू काय करतोस धिरुभाइ अंबानी का? आता हे मला कसं कळल
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Zakki
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| Thursday, August 31, 2006 - 2:24 pm: |
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दिलगीर आहे मनिषा लिमये! सहज गंमत म्हणून लिहीले. राग मानू नका! क्षमस्व.
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रागवत नाही हो झाक्की इट्स ओल राइट
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Roop
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| Friday, September 01, 2006 - 9:54 am: |
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मनीशा तु काय दिवसभर, मायबोली मधे गप्पा मारत असतेस की काय, सकाल पासुन सध्याकाळ पर्यत सगळीकडे तुज़ेच नाव असते, दिवस भर तु चागला टाइमपास करतेस.
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Prasik
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| Friday, September 01, 2006 - 6:52 pm: |
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हाय, एश पनवेल ठिक आहे पन हे तु क विचारतो आहेस? मला वाट्ले कि तु पण पनवेल लाच राहतो, बर ते जाउदे, विचारल्या बद्दल थ्यॉक्स आणि झक्कि, मिनीशा, रूप, तुम्ही ईतके पोस्ट कश्या करू शकता? तरी आजुन लिम्बुटीम्बू, आर्च, श्यामली, ईथे उगवले नाहीत. काही सिक्रेट आसल्यास आम्हालापन सान्गा प्लिज
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Prasik
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| Sunday, September 03, 2006 - 7:42 pm: |
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माझा पुढील आठवड्यात कर्नाळा पक्षी अभयाअरण्यात फिरायला जाण्याचा प्रोग्राम आहे पण कम्पनी साठी सोबत कोणीच नाही. कोणी ईथे ईन्ट्रेस्टेड आसल्यास प्लिज कॉन्ट्याक्ट करा 
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सुप्रभात पनवेलकर, कसे आहात सगळे?
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Wara
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| Wednesday, October 18, 2006 - 2:44 am: |
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सुप्रभात पनवेलकर After so many days.. somebody is writing here.
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are panavelkar 2006 sampayala aale kiti jhopa kadhanaar, aata tari jaga,
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आहे आहे मी जागीच आहे..बोला.
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Admin
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| Tuesday, April 01, 2008 - 3:40 am: |
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हे सदर आता नवीन मायबोलीवर हलवण्यात आलेले आह. कृपया पुढील लेखन या दुव्यावर करावे. /node/1587
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हितगुज दिवाळी अंक २००७
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मायबोली |
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चोखंदळ ग्राहक |
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महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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पांढर्यावरचे काळे |
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गावातल्या गावात |
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तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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आरोह अवरोह |
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शुभंकरोती कल्याणम् |
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विखुरलेले मोती |
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हितगुज दिवाळी अंक २००६ |
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