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Robeenhood
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| Wednesday, November 22, 2006 - 1:47 pm: |
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लोपे काय चावटपणा चाललाय? उगीच माझ्या वयाचा उल्लेख करून माझा confidence loose करू नकोस(दात विचकतो..) (मी म्हणजे काय झक्की आहे?[हे कृपया झक्की यानी वाचू नये])
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Sarang23
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| Thursday, November 23, 2006 - 8:53 am: |
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वा वा वा... नगर कसं बहरलं आहे! छान... अरे पण मायबोली असताना इथे तरी orkut चा विषय कशाला पाहिजे?
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nagaral layich changale dis aalet re bho... me pan he bho orkut var...
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Lopamudraa
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| Thursday, November 23, 2006 - 11:06 am: |
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एकमेव प्रकाश ठुबे दिसले तिथे>>>>>. एकमेवच असणार ना.. (अशी व्यक्ती शोधुन सापडणार नाही..)... ....
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ALL NAGARKAR, NAMASKAR, I JUST JOIN , NOW I AM IN BELGAUM, PRADEEP,
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नमस्कार मन्डळी.. मी ज़यन्त डि. कुलकर्णी. पाईपलाईन रोड ला राहतो. सध्या पुण्यात आहे. एक सन्गणक तज्ञ म्हणून काम करतो. आता भेट होतच राहील.
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nagarkar mitrano namaskar. mala ek maitreen pahije, tumcha wolkichi koni aheka. ho, tumi pan bhetat raha. yeto ata,bye bye
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icharal tar kaay icharal "maitrin"! kashi paahije te tar saang ekda...
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Nandkishor
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| Thursday, November 30, 2006 - 11:55 am: |
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sakhrewani goud, jagat nahi tod, tumhi mhanal sod...mee mhanen surendra bari nahi hee khod ! dost ase kase he? maitra jiwala lawi pise....!!
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Sarang23
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| Friday, December 29, 2006 - 4:38 am: |
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समस्त नगरकरांना नविन वर्षाच्या हार्दिक शुभेच्छा!
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kunakade "jenvha tujhya baTaanna udhaLi mujor vaara" he gaane aahe ka (MP3)?
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Mavla
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| Thursday, February 15, 2007 - 5:22 am: |
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नविन वर्षामधे ईकडे कोनीच फ़िरकलेले दिसत नाही?
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Krishnag
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| Tuesday, April 03, 2007 - 4:48 am: |
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नमस्कार नगरजण हो!! आज काल इथे एवढे शांत का?
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मी खडाम्बा तालुका राहुरी येथील, सध्या पुण्यात राहतोय. असेच येथे तरी भेटत जा मित्रानो. आनिल लटके
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समस्त नगरकरांना गुडीपाडव्याच्या हार्दिक शुभेच्छा!
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nagarch koni belgaola aahe kaho.
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Krishnag
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| Friday, November 16, 2007 - 12:17 pm: |
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जागा नगरकरांनो! दिवाळीचा पाडवा होऊन गेला तरी इथे गुढी पाडव्याच्या शुभेच्छाच दिसतायेत!! हे आम्हा नगरी लोकांना शोभत नाही!!
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Mavla
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| Thursday, February 28, 2008 - 7:26 pm: |
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सगळी नगरकर मन्डळी कुठे गेली??
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हितगुज दिवाळी अंक २००७
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मायबोली |
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चोखंदळ ग्राहक |
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महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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पांढर्यावरचे काळे |
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गावातल्या गावात |
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तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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आरोह अवरोह |
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शुभंकरोती कल्याणम् |
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विखुरलेले मोती |
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हितगुज दिवाळी अंक २००६ |
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