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Vikram
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| Sunday, October 29, 2006 - 6:23 am: |
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मी १९८८ मधे माज़्या वयाच्या १६ व्या वर्शि १० वि नन्तर कुस्रो मध्ये डिप्लोमा एलेक्त्रिकल ला प्रवेश घेतला १९८८ ला आमचे क्वालेज रौप्य महोस्तवि वर्शामधे प्रवेश करत होते १९३८ मधे हे क्वालेज चालु ज़्हाले आनि आम्ही या कोलेज चे रौप्य महोस्तवी विद्यार्थि, याच आम्हाला आझि खुप आभिमान आनी आनन्द होतोये आमचे क्वालेज एक आदार्श क्वालेज होते आनि आजहि आहे मला या क्वालेज ने खुप काही दीले मी जवल जवल एक दशक या क्वालेज शि नातेबन्ध होतो आझि अहे मी ईलेकत्रिकल ईन्जीनियारिन्ग दीप्लोमा पार्त ताईम बी ई व कोम्पुतर दीप्लोम ईथेच केला आझि मला ईथिल वातावरन भारुन ताकते क्वालेज मधे सतत उस्ताह ओसन्दुन वहायचा शिक्शनामधे खेलामधे, सन्स्क्रुतिक कार्यक्रम सर्व बाबतित पुधे असनारे हे पुन्यातिल एक्मेव क्वालेज आता खुप काही बदल ज़ालेयेत पुर्न वेल बी ई क्वालेज सुरु ज़ालेय खूप कहि बद्ललेय पन्न मी आजही माज़्या क्वालेज चि होत आसलेली प्रगति पाहुन आन्नदि होतोये मला आनि मज़्या सारख्या असन्ख्य विद्यार्थ्याना उजवल भविश्य व चान्गले सन्स्कार देनारे माज़्ये क्वालेज मी खुप नशिब्वान आहे आनी मला अभिमान ही आहे की मी कुस्रो चा विद्यार्थी होतो आनि आज जो कोनि अहे [सन्मान्य जीवन आसनारा ] तो फ़कत कुस्रो मुलेच आहे.
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मायबोली |
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चोखंदळ ग्राहक |
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महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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पांढर्यावरचे काळे |
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गावातल्या गावात |
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तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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आरोह अवरोह |
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शुभंकरोती कल्याणम् |
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विखुरलेले मोती |
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