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न... न ना.. मन्डई हाई कविता मनी नही... फक्त वाचील्या.
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राम राम रे भो सगळासले, बाय आज काल आठे येवान काय जमस नहि भो, सगळा कसा मज्या मा शेतस ना, नाना साहेब काय गयरा दिन मा चक्कर व्ह्ययना मंग, पिक पाणी काय म्हणस गाव कडे, तुम्ही कविता टाकेल मस्त शे बर का, टाईम हुईन ते हाई लिंक देखा, मस्त शे अहिर्राणी साठे, एक से एक भारी आना शेतस आठे
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राम राम भौसोन. चेतना ताइ.. मि शे ६ बहिनिसना भाउ.. मन्ग कावड ना आडे कोनति बहिन शे काय भरोसा.. तरि बि माफ़ कर बिन.. ..आनि काहो.. चिंतामन आन्ना.. बय सध्या काय गोट नहि लि र्हायनात तुमिन.. जिवन ले फ़ोन कर व्हता मि एक दिन... गनाभु तु लिन्क दिनि पन तठे ओर्कुट वर नाव नोंदनि करनि पडस.. देकस बर मि.. बाकि... कपिल, जाधव नाना, कथा ग्यात लोपा ताइ रुपा ताइ, चिनुताइ दिकत नहि.... बर मन्ग.. भेटत राहु.... आसच
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Chinnu
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| Tuesday, January 29, 2008 - 5:28 pm: |
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राम राम बठ्ठा. कशे शेतस? काय चिंतु भाव, निष्काम कर्म योग एकदम? काय झालं असं? नितिन भाव, हळदीकुकु कराले टाइम भेटना. वाण देउन आल्ये सर्वांना. माधाभो, अशोकभाव कशाला जत्रेची आठवण काढता? ग्राम पंचायत हपिसाच्या समोर बाजार भरायचा गावात. ताज्ज्या डाळ्यांचा आणि कुरकुरीत मुरमुर्यांचा मस्त घमघमाट सुटायचा.. आठवणीनेच तो. पा. सु.
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राम राम मन्डई गनाप्पा जरा कामेस्नी गडबड व्हती त्यामुळे आठे काही येवानं जमे नही. मन्डई ७ फेब्रुवारीले मना गावनी जत्रा से. सगळास्ले निवतं बरं का! माधाभु भोण्यानी जत्राले येयेलच हुईन. तो सध्या मलेशियानी जत्रामा शे. गनाप्पा, चिनू गुईनी जिलेबी खावाले या मंग. मना गावनी जत्रा ज्या मन्दीरवर भरसना तठे गरम पानी शे उनपदेव सारखं. ६ गरम पानीना नळ शेतस. या मन्ग सगळा. गनाप्पा अमिनो आणि ह्युमिक acid ना शेतीले कितला चांगला उपेग शे ते जरा सविस्तर सांगता ईन का? तेनी निर्मिती कोठे व्हस वगैरे......
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बयजु... ये रे.. हाउ कथा तानि र्हायना रे.. शेप मोडु का काय आते.. बय..गनाभु.. आर न पुरांड लय ते.. लोण्याभोन्यानि जत्राले जावन शेना.. बय लोकेसना गाडा भिडि ग्या व्हतिन तठे.. राम राम चिन्तामण आन्ना.. बय जत्रा गैरि.. जोर मा दिकि र्हायनि तुम्ना गावनि.... कोना तमासा शे मन्ग आवंदा जुल्या ना शे का लिलाबाई ना.... गरम गरम भजि ना वास यी र्हायना माले.. बय काय पायना मोठा शे भो.. आथा व्हा रे पोरे होन.. हाउ देक फ़ुगा साठे काय भुकि र्हायना ते.. आहा लाल्गुलाबि सरबत... चिंतामन भाउ.. बरोबर शे का.. आनि तो जवखेडा ना एक मित्र होता आपला बरोबर वयकस का तु तेले? बय मि नाव इसरि गौ भो तेन.. बर मन्ग.. मंडळि.. संद्याकाय हुइ गयी.. काम ना बैले शेतस.. दान, चारापानि करन पडि... चला जुपा हो बैलगाडि.. बठा रे पोरे हो.. बय गाडाले वंगन बि देतस नहि ह्या आधायेल..
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Chetnaa
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| Friday, February 01, 2008 - 5:56 pm: |
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माय माय माय.. आठे त जत्रा भरेल शे... राम राम रे भो सगळ्यास्नी... कसा शेतस? माधवराव, चिन्नु, चिंतामण भाउ.. बठ्ठा मजा मा शेतस ना?
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वो बापरे.. जत्रा व्हयनि तस कोनिच उन नहि भो आठे.. सगळाजने काय लगने जमाडाले गयात का काय? चेतना ताइ, लोपा ताइ.. चिनु माय गनाभु, चिंतामन, आशोक भाउ, कपिल... आनि आखो... नाये याद नि यी र्हाय्नात माले.. या ना भाउ सोन... बय आस सुन सोडु नका रे भाउसोन.. काय नवि जुनि चालु शे..टाकत र्हावा.. मि बरा शे.. मलेशिया मा.. मार्च मा यी र्हायनु हिन्दुस्तान मा..
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P_nitin
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| Wednesday, February 20, 2008 - 7:27 am: |
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राम राम मन्डुइ... मी भारत मा येल शे बर का.. सध्या कामेसनी नुसती हुळिवर दुळी चालि रायनि.. परत चालनु USA ले २५ फ़ेब्रु. ले वापिस.. रुपा ले फोन करा व्हता मनि.. कपिल न बी फोन उना व्हता..
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राम राम हो.. बय आठे आज्काल कोनिज येत नहि.. नितिन भु, भिडना का मन्ग.. भेटा मन्ग ओनलाइन... चेतना ताइ, लोपा ताइ, चिनु ताइ, कथा लगिन मा जयेल शेत का काय? गनाभु, कपिल, चिंतामन आन्ना, जाधव आप्पा या ना भौसोन.. बर मन्ग.. भेटत र्हावा..
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Admin
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| Monday, February 25, 2008 - 5:39 am: |
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/user वर दिलेल्या लिन्क वर जाऊन एकदा तरी नवीन मायबोलीवर प्रवेश करून या. म्हणजे तुमचे खाते नवीन मायबोलिवर हि उघडेल. थोड्या दिवसानी इथले सगळे संदेश नवीन जागेवर हलवले जातील आणि तुमचे खाते (account) नवीन मायबोलीवर नसेल तर तुम्हाला लिहिता येणार नाही.
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आजकाल मायबोलि ना काय कटाया करि र्हाय्नात भौसोन..? टाइम भेटना का हजेरि तरि लावले पाहिजे बोवा आस.. बर मन्ग.. सगळासनि वाट देकस मि आते आठे देवना वट्टा वर बठिसन.., पिप्पय ना झाड खाले..
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आप्पा, तठेच बसं मी ऊनुच बर का, हाई थोडं बैले सले चारा पाणि करी लिहु दे.......
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Chetnaa
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| Monday, March 03, 2008 - 2:59 pm: |
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हाय आज हाय वाट्टं कोणी.. नमस्कार माधव भाऊ, गणेश भाऊ... सगळ्या बहिनी कुठे रायल्या? कोनि येत नाय आज काल हिकडं..
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राम राम मंडई कामेस्नी गडबडमुळे आठे येता उनं नही. माधाप्पाना बैलगाडीना उडेल फपुटा मना गहुव्हरतून आजून उठी नही र्हायना. बोरगावतून काकूना फोन व्हता, म्हणे, माधाले बैले हाकालानी सवय नहीनी कायनी, शेप मोडी मोडी बैले मात्र फोकाले लागी गयात.
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गनाभु... ना बैले गैरा तिश्या हुइ जायेल शेत वाटत. बकर्या बि शेत का भो.. हुइ ते ठेव त बकरि ना दुध नि च्याहा. .. चेतना ताइ.. सगळ्या बहिणिंले लयी कटाया येउन र्हाय्ला.. आढि कोनिच येत नहि.. सगळे सौसारात.. रमले..भावांकडे कोन पाहिल... आस हुइ गेल सद्या..
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बय चिंतामन मायच्यान भो..तु सपन मा उन्ता मना.. जसा काहि.. मन्वाल डोंबिवलि न घर तु र्हायी र्हायना.. आनि.. मन्ग मि उनु.. तवसा मा जाग यी लागनि.. माय हायी मन र्हास ना.. दुन्या मा कोठे बि जाय.. हाउ जिव जठुन उना.. तेना लागशेच फ़िरस रे भो.. आनि माले.. आजुन बि गाडबैल हाकलता येस बर,.... इसराव नहि मि.. हेर खन्दानि शे पुढला साल ले.. तु तधलोग पानि तपासनारा देकि ठेवजो..
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गनाप्पा कोठेशेतस aus कि भारत?
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बय आठे त आज काल कोनि गोट कोनि सुनि नि र्हायन भो... सगळासना म्हान्गे नुस्ता कामे लागेल शेतस.. चला मन्ग मि बि काय रिकामे रिकामे येत र्हास आथा.. बर बाय... बाय.. सी यु..
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राम राम मन्डई.. कसा काय शेतस?? काय चालि राह्यन माधु भवु, चिन्तामन आप्पा, चेतना ताई.
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राम राम हो अशोक आप्पा.. काय नि आते आम्बासना मोसम सुरु झाया का.. लगने यावेसले जावो.. खायी पि दोनि कुखा तट.. करिसन.. मस्त फ़िरवो गावमा लाकसे आस जिवन मान.. मस्त शे कनि.. डोकाले तान नहि..
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Amalner
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| Sunday, April 06, 2008 - 4:52 am: |
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समदा खान्देशी मित्र मन्डईसले गुडीपाडवा अन नवीन वरिसना हार्दिक शुभेच्छा.
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Chinnu
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| Sunday, April 06, 2008 - 11:20 am: |
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बट्ठासले गैर्या शुभेच्छा पाडव्याच्या!
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हे सदर आता खालील जागी हलवले आहे /node/1700
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हितगुज दिवाळी अंक २००७
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मायबोली |
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चोखंदळ ग्राहक |
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महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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पांढर्यावरचे काळे |
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गावातल्या गावात |
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तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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आरोह अवरोह |
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शुभंकरोती कल्याणम् |
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विखुरलेले मोती |
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हितगुज दिवाळी अंक २००६ |
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