चित्र अपलोड करण्याची सुविधा सध्या तांत्रिक कारणामुळे बंद आहे. या संदर्भातले admin चे पोस्ट पाहा File Upload unavailable temporarily सुविधा परत उपलब्ध झाली की तसे कळविले जाईल
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Admin
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| Monday, December 19, 2005 - 12:24 am: |
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हि सुविधा गेल्या काही दिवसांपासून पुन्हा उपलब्ध आहे
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Gandhar
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| Tuesday, December 20, 2005 - 7:48 am: |
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Pha
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| Tuesday, December 20, 2005 - 7:56 am: |
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सही रे! सईला रेघोट्या मारायला शिकवण्याआधी स्वतः होमवर्क करतोयस वाटतं! फोटोशॉप का कागद - पेन?
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Gandhar
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| Tuesday, December 20, 2005 - 8:03 am: |
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कागद पेन रे!! ..
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गंधोबा,झ्याक रे मित्रा.. चला निदान सईला चित्रकला तरी नीट शिकवशील तू याची खात्री झाली
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Gandhar
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| Wednesday, December 21, 2005 - 8:51 am: |
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Champak
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| Wednesday, December 21, 2005 - 11:16 am: |
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जमशेदजी टाटा का रे भो?
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सही रे गंधार मस्तच
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Gandhar
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| Wednesday, December 21, 2005 - 10:31 pm: |
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चंप्या, जमतंय तर मला रचना धन्यवाद
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Sarang23
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| Wednesday, December 21, 2005 - 11:15 pm: |
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जबरी रे गंधार. एक स्टीलचा रॉड भेट तुला... (गिर्या तर्फे) 1mm X 1mm dia 1mm.
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Dineshvs
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| Thursday, December 22, 2005 - 12:06 pm: |
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गंधार फ़ारच छान. शाळेच्या पुस्तकात होते हे चित्र
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Jo_s
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| Monday, December 26, 2005 - 12:37 am: |
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हे काढतानाच पिक्सलाइज काढलं आहे.
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Dineshvs
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| Monday, December 26, 2005 - 11:57 am: |
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वेगळाच प्रयोग Jo_s , छान
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गंधार, wow , एकदम cute कुत्री अहेत, दोन्ही sketches सहीच रे !
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Gandhar
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| Monday, December 26, 2005 - 11:23 pm: |
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दिनेश, सारंग, DJ मनःपूर्वक धन्यवाद!!
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Sarang23
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| Monday, December 26, 2005 - 11:43 pm: |
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jo_s that is awesome!
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Milya
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| Tuesday, December 27, 2005 - 2:19 am: |
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गंधार : सहीच रे... jo_s छान दिनेश म्हणाले तसे खरेच वेगळा प्रयोग
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Jo_s
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| Wednesday, December 28, 2005 - 12:37 am: |
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दिनेश, सारंग, मिल्या धंन्यवाद हे ही तसेच काढलेले आहे. नीट दिसत नसल्यास झुम डाउन करुन अथवा लांबून बघावे.

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Dineshvs
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| Wednesday, December 28, 2005 - 11:46 am: |
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JO_s यासाठी ग्राफ पेपरसारखा पेपर वापरला आहे का ? मग एक्सेल वापरुनहि अशी चित्रे काढता येतील. टाईमपास म्हणुन मी एक्सेलमधे रांगोळ्या काढत असतो.
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Naarad
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| Thursday, December 29, 2005 - 11:24 pm: |
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namaskar maMDLI²² kahI pentings upload krtÜya.. comments expected..
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Naarad
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| Thursday, December 29, 2005 - 11:33 pm: |
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Pha
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| Friday, December 30, 2005 - 1:52 am: |
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गंधार : जमशेद टाटांचं चित्र छान आलंय! तुझ्या घरात तुझे जुने दस्त ऐवज, दप्तरं असतील तर तीही जतन करून ठेव. कधीतरी येऊन घेऊन जाईन. सुधीर : स्टाईल एकदम आगळीवेगळी! नारद : अप्रतिम चित्र! जलरंगाचा subtle बाज छान वापरलाय! या माध्यमात बर्यापैकी खेळला आहात वाटतं!
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Bgovekar
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| Friday, December 30, 2005 - 3:08 am: |
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नारद, चित्र पाहताक्षणीच आवडलं पण तो बाक एव्हढा कलता का?
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Jo_s
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| Friday, December 30, 2005 - 3:47 am: |
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नारद, छानच आलय, पुढचि लवकर टाक
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नारद, जलरंग झकास! आवडले... गंधार, सुधीर छानच! सुधीर दुसरं चित्र स्ट्रेच करून टाकलेय का? भावना, पार्कातली बाकं अशीच असतात! :P
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Badbadi
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| Friday, December 30, 2005 - 1:24 pm: |
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नारद, सुंदर चित्र अजून येउ देत..
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नारद सुरेखच. wet on wet वापरल का? मस्तच आलय. हे देवा मला कधी जमणार हे अस
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Bee
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| Friday, December 30, 2005 - 10:13 pm: |
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रचना हा न्यूनगंड कशाला.. तुझी चित्रही A1 असतात! जो, खरच चित्रांचा हा बाज वेगळा वाटतो आहे. गोवेकर.. अहो झाडांची पाळेमुळे इतकी वाढली की भुई वर आली नि दगडी बाकडे कलती झाली असेल.. असे होते खरच.. आमच्या घरा जवळच्या बागेत अशी बाकडे बरीच होती.. गेटचीही तिच अवस्था होती..
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Gandhar
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| Friday, December 30, 2005 - 11:14 pm: |
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नारद, सुंदर चित्र आहे!!
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