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Gandhar
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| Wednesday, November 23, 2005 - 1:59 am: |
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मिल्या महान आहेस तू!!!
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imalyaaÊ pÜralaa ho gaaNao iXakvauna baaLkDu pajatÜyasa ka roÆ
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Athak
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| Wednesday, November 23, 2005 - 2:09 am: |
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मिल्या simply great आहे रे बाबा तु सलाम आपको
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Deepstambh
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| Wednesday, November 23, 2005 - 2:48 am: |
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मिल्या
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Champak
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| Wednesday, November 23, 2005 - 3:49 am: |
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मिल्या-- -- -- --
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Moodi
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| Wednesday, November 23, 2005 - 4:37 am: |
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मिल्या आम्हा बायकांचाही कधी तरी विचार कर रे बाबा. 
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Milindaa
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| Wednesday, November 23, 2005 - 6:31 am: |
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मिल्या आम्हा बायकांचाही कधी तरी विचार कर रे बाबा. <<< त्याने असे केलेले चालेल का ते आधी मिल्याच्या बायकोला विचारुन ये जा मूडी, दिवा घे...
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Raahul80
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| Wednesday, November 23, 2005 - 12:47 pm: |
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हे बुधवर' चे काय रह्स्य आहे?
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Milindaa
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| Wednesday, November 23, 2005 - 1:36 pm: |
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तुला माहिती नाही ?
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Raahul80
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| Wednesday, November 23, 2005 - 1:44 pm: |
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नाही , कोणी सागीतले तर बरे होईल
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Raahul80
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| Wednesday, November 23, 2005 - 1:47 pm: |
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आणी कोणी हे दिवा घेने म्हनजे नक्की काय ते सागेल काय?
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Pama
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| Wednesday, November 23, 2005 - 2:05 pm: |
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मूळ गाण: ऐन दुपारी, यमुनातीरी, खोडी उगा काढली.. ऐन दुपारी, गल्लीबोळी, शिट्टी कुणी मारली, राव तुम्ही नियमावली मोडली.. गाडी घेऊन मी जरा वळताना, कुठुन अचानक आला मामा गुपचुप येऊन पाठीमागुन, रसिट फाडली.. राव तुम्ही नियमावली मोडली... सोडेना मज वाद घालता कुठे लिहिलय हा प्रश्न करता.. (पाटी नसताना थांबवायच काय कारण होत का?) पैसे चारले, पायही धरले, तेव्हा कुठे सोडले.. राव तुम्ही नियमावली मोडली..
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Raahul80
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| Wednesday, November 23, 2005 - 3:46 pm: |
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पमा लै भारी गुड वन
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Arun
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| Wednesday, November 23, 2005 - 11:45 pm: |
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पमा : मस्तच .... मिल्या : तुफान सुटला आहेस तू !!!
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Milya
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| Thursday, November 24, 2005 - 12:27 am: |
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धन्यवाद मायबोलीकरांनो असेच प्रोत्साहन देत जावा... पमा सही विडंबन पण एक नम्र सुचना - शक्य असेल तेव्हा जर मूळ गाण्याचे शब्द दिलेस किंवा link दिलीस तर वाचायला जास्ती मजा येते.. राहुल : दिवा घ्या म्हणजे take it lightly चा स्वैर मराठी अनुवाद.. आणि बुधवारचे रहस्य जाणून घ्यायला सिंहगड BB ला भेट दे.. दर बुधवारी काही पुणेकर मायबोलीकर एकत्र जमुन तो साजरा करतात आता कसा ते मात्र विचारु नकोस 
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मिल्या... झाली का सध्यातरी विडंबने लिहून? दाद देवु आता? 'निराश असताना केव्हाही डोळे झाकुन तुझं कुठलंही विडंबन काढुन वाचाव.. रामबाण उपाय..' पमा... सुरेख
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Manee
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| Thursday, November 24, 2005 - 2:38 am: |
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मिल्या, अशक्य आहेस... पमा, सहीc...
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Milya
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| Friday, November 25, 2005 - 4:10 am: |
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चाल : शालू हिरवा, पाचु नि मरवा लालू हरला, पास्वान नडला, पेढे सर्वांना वाटा बिहारी बाबू, येणार नीतीश आता आसवे गाळी, राबडी काळी, द्या साधूला लोटा बिहारी बाबू, येणार नीतीश आता शासन असले चालवे जणू, भातुकलीचा खेळ गं भ्रष्टाचारी कारभाराची, संपत आली वेळ गं गुरे नि ढोरे नाचती सारे, ना चार्याला तोटा बिहारी बाबू, येणार नीतीश आता निर्णय घेते जनता येथे, बसेल लालू घरी वाजत गाजत मिरवित आली, नितिशकुमारची स्वारी ही जयमाला घालू त्याला, जनतेचा पण होता बिहारी बाबू, येणार नीतीश आता दंगल करुनी, मते पळवुनी, पैसे वाटून पाही पण ' रावा ' च्या वादळामध्ये कंदिल विझून जाई बूटासिंगच्या ढुंगणावरही मारा दोन्-चार लाथा बिहारी बाबू, येणार नीतीश आता लालू, पासवान हारले सारे, संपले जंगलराज पोकळ धर्म निरपेक्षवाद्यांचा उतरेल आता माज 'MY' मतांनीही दिला ह्यावेळी, त्यांना चांगलाच धोका बिहारी बाबू, येणार नीतीश आता
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Gandhar
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| Friday, November 25, 2005 - 4:19 am: |
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मिल्या जबर्या रे!!! ....
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Moodi
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| Friday, November 25, 2005 - 4:27 am: |
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मिल्या एकदम दणदणीत रे 
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Arun
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| Friday, November 25, 2005 - 4:28 am: |
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imalyaa : tU mahana Aahosa ....
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Deemdu
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| Friday, November 25, 2005 - 4:31 am: |
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imalyaa
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सही आहे रे मिल्या.....
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Krishnag
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| Friday, November 25, 2005 - 4:50 am: |
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मिल्या जबरदस्त!! लईच भारी...
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>> rabaDI kaLIÊ Aasavao gaaLI... >> naa caaáyaalaa tÜTa....
imalyaa AXa@ya Aahosa.
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मिल्या, too much, hhpv
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Nalini
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| Friday, November 25, 2005 - 6:31 am: |
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मिल्या, H H P V.. .. ..
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गजानन, 'क्लोन', 'नको वैद्यराजा' आणि 'फ़ुटे ड्रेनेजचे जाळे'..सहीच जमलीत तिन्हिही वैभव, 'भुणभुणाया लागते ती'..... अरे किती हसायच पमा, 'शिट्टी कुणी मारली'.... छान आहे आई शप्पथ मिल्या, सणकून हाणलय.... जबरीच 'ना चार्याला तोटा'.........मस्त टोला हाणलाय. एकुणच 'अबु माझा', 'मालवणीच्या दादा तुला' मजा आ गया......
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काय धमाल चालली आहे इथे?  फ, ठांकू!
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मिल्या, 'राज' कि बात कह दू तो जाने मेहफ़िल मे फ़िर क्या हो' च विडंबन होउन जाउ दे रे
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Cool
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| Wednesday, November 30, 2005 - 5:24 am: |
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कालच शरद पवार क्रिकेट मंडळाचे अध्यक्ष झाले आणि लगेचच त्यांनी गांगुलीला निवडणार्या सदस्यांना बाहेरचा रस्ता दाखवला.. गांगुली आता हेच गाणं म्हणतं असेल.. चाल : मागे उभा मंगेश, पुढे उभा मंगेश मागे उभे मंडळ पुढे उभे मंडळ माझ्याकडे जगु' माझा पाहतो आहे खेळतो मी शुन्यावरी, निवडही तरी करी कोलकता घेई शीरी वशिल्याच्या जोरावरी टिकुनी राहे पवार येता अग्रभागी, उरला न वाली जगी अंगा आली अती सलगी जाहिरातीसाठी कोणी ढुकुंनी न पाहे
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Cool
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| Wednesday, November 30, 2005 - 5:25 am: |
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कल्पना उधार.. दैनिक सामना कडुन..
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Kandapohe
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| Thursday, December 01, 2005 - 1:25 am: |
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कूल सहीच. मी पण उधारी करणार होतो. पण तो पर्यंत तू सव्याज फ़ेडलीस. 
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मिल्या, लै उशिरा वाचलं रे हे विडंबन.. येकदम झ्याक रे भो... कुल,सही रे मित्रा
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