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Sas
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| Friday, December 02, 2005 - 1:55 pm: |
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मैत्री काळा सोबत घट्ट होत जाणार नात मैत्री वाढत्या वया बरोबर तरुण होणार नात मैत्री दुरावलोतरी जवळच कधी हसवीणार कधी रडविणार नात मैत्री .....संप्रदा
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तो भर्भरून ओथम्बतो जीवाच्या आकान्ताने झडी लावतो अर्थान्नाहि मग लुसलुशीत शब्दान्ची पाती फ़ुटतात...
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'जिगरी आहेस खरा' ती म्हणाली. 'आयुष्य अवघे पणाला लावलेस. पण लक्षात नव्हते का आले तुझ्या? तो डावच मुळी रडीचा होता. बापू करन्दिकर
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गल्लित बसून मारलेलि प्रत्येक आरोळी गर्जना नसते बाश्कळ कोट्या नि यमके जुळवलेलि प्रत्येक चारोळी कविता नसते या माझ्या चारोळीवरचि निनाविचि प्रतिक्रिया वाचून वाटले की काहीतरी गफलत होतेय. 'झूळूक'मधल्या चारोळ्यान्च्या बद्दलची ती माझी टीका-टीप्पणी नव्हती. मला झुळूक मधल्या चारोळ्या आणि कविता आवडतात. त्यातल्या काही तर साठवून ठेवाव्याशा वाटतात. माझी 'ती' चारोळी अशीच एक टाइम-पास चारोळी आहे. ती उगाचच सीरियसली घ्यायची नाहीये. -बापू करन्दिकर
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(१) ये तो राजकी बाते है छाव्यान्नी घेतले एकमेकान्चे चावे नरडीला नखे लावत, धावले वाघोबा बिचारे, करतात काय? जपमाळ ओढत म्हणाले, "शिव शिव" (२) अशीही एक निवडणूक विकेट तीच, ताज बेन्गालची समोर तेच, डालमे काळे मिया फक्त अम्पायर तेव्हढा बदलला 'क्रुष्णा'ने 'मूर्ती'मन्त जय मिळवून दिला बापू करन्दिकर
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Urmilaq
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| Saturday, December 03, 2005 - 2:53 pm: |
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maO~I var JauLuk ilahu ka p`omaavar JauLuk ilahu Aaja iDmaanD ksalaa Aaho maaramarIvar kuNaI JauLuk ilaiht naahI mhNaUna tÜ ibacaara Éslaa Aaho just kidding folks !!
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Jo_s
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| Sunday, December 04, 2005 - 3:51 am: |
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Urmilaq मारामारी रुसलाय तर रुसूदे मैत्री वर झुळूक नको पण झुळूकशी मैत्री असूदे
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Urmilaq
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| Sunday, December 04, 2005 - 6:07 am: |
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jo s p`omaÊ maOi~ var JauLuk vaacaayalaa malaaih AavaD\to pNa AQauna maQauna gammat kolaI tr kuzo kuNaacao ibaGaDto
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Athak
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| Sunday, December 04, 2005 - 6:42 am: |
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बिघडले तरी वाचनारे वाचणार जगलेच तर मायबोलीला जागणार
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Gurudasb
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| Sunday, December 04, 2005 - 7:55 am: |
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घडतय बिघडतय कर्नाटकात 'मायबोली ' पडली आहे संभ्रमात कृष्णा, आता अवतार घे सीमावासियाना न्याय दे
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Gurudasb
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| Sunday, December 04, 2005 - 9:06 am: |
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काही ऐकीवातल्या चारोळ्या १] चारोळ्या म्हणजे फ़क्त चार ओळी नसतात त्या भावनांच्या उसळत्या आरोळ्या असतात. २] मला सोडून जावू नकोस मला तुझी सोबत राहु दे तू दिवा आहेस त्याखालचा मला अंधार तरी बनून राहू दे ३] काही माणसे भेटतात आयुष्यात का भेटतात म्हणून विचारायचे नसते काही धागे गुंततात हृदयात का गुंतात म्हणून विचारायचे नसते.
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Jo_s
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| Sunday, December 04, 2005 - 11:44 pm: |
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मराठी भाषा, स्वाभिमान सारं निवडणुकीत आठवतं एरवी काहिही झालं तरी काय कुणाचं जातं
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निवडणुकीआधी त्यांचे एकमेकांविरुद्ध दावे असतात. बहुमतासाठी मात्र ते एकमेकांना हवे असतात
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