|
|
Thread |
Posts |
Last Post |
  | Archive through January 23, 2007 | 20 | 01-23-07 10:49 pm |
  | Archive through January 24, 2007 | 20 | 01-24-07 11:37 pm |
  | Archive through January 25, 2007 | 20 | 01-25-07 7:24 am |
  | Archive through January 26, 2007 | 20 | 01-26-07 12:23 pm |
  | Archive through January 29, 2007 | 20 | 01-29-07 11:46 pm |
  | Archive through January 30, 2007 | 20 | 01-30-07 9:01 am |
  | Archive through January 30, 2007 | 20 | 01-30-07 10:24 am |
  | Archive through January 31, 2007 | 20 | 01-31-07 12:47 am |
  | Archive through January 31, 2007 | 20 | 01-31-07 6:50 am |
  | Archive through January 31, 2007 | 20 | 01-31-07 11:48 pm |
  | Archive through February 01, 2007 | 20 | 02-01-07 3:57 am |
  | Archive through February 01, 2007 | 20 | 02-01-07 9:38 am |
  | Archive through February 02, 2007 | 20 | 02-02-07 3:50 am |
  | Archive through February 03, 2007 | 20 | 02-03-07 11:46 am |
  | Archive through February 04, 2007 | 20 | 02-04-07 5:14 pm |
  | Archive through February 05, 2007 | 20 | 02-05-07 6:22 am |
  | Archive through February 06, 2007 | 20 | 02-06-07 3:38 am |
  | Archive through February 06, 2007 | 20 | 02-06-07 2:55 pm |
  | Archive through February 07, 2007 | 20 | 02-07-07 9:05 am |
  | Archive through February 07, 2007 | 20 | 02-07-07 11:33 pm |
  | Archive through February 08, 2007 | 20 | 02-08-07 7:48 am |
  | Archive through February 09, 2007 | 20 | 02-09-07 2:07 pm |
  | Archive through February 12, 2007 | 20 | 02-12-07 5:58 am |
  | Archive through February 13, 2007 | 20 | 02-13-07 5:24 am |
  | Archive through February 14, 2007 | 20 | 02-14-07 3:08 am |
  | Archive through February 14, 2007 | 20 | 02-14-07 7:24 am |
  | Archive through February 15, 2007 | 16 | 02-15-07 5:31 am |
  | Archive through February 16, 2007 | 20 | 02-16-07 6:15 am |
  | Archive through February 17, 2007 | 20 | 02-17-07 2:13 am |
  | Archive through February 18, 2007 | 20 | 02-18-07 6:45 am |
एव्हाना श्रीकृष्णानं VRS घेतली असणार.. तान्ह्या बाळालाही न सोडणारे दुःशासन वावरताहेत चहुकडे.... विचार किती विचित्र असतात.... सुरू कुठे होतात... संपायचं मात्र नावही घेत नाहीत...
|
मीनु, मयसभा म्हणजे उघड्या डोळ्यांनी पहात राहीलेलं स्वप्नच.... भासाचा आभास... तुला ठाउक आहे..? 'भास' नावाचा संस्कृत नाटककार होऊन गेला.. नाटकावर लिहिलेलं असायचं..'भासविरचितम्'... मला त्याच्या नावाची गंमत वाटते अजूनही... 'भासविरचितम्'... म्हणजे... 'भासा'ने भासाची रचना केली आहे...
|
पायमोडका 'म' किंवा 'न' कसा काढायचा?
|
Jayavi
| |
| Sunday, February 18, 2007 - 9:23 am: |
| 
|
निलुताई, म हलंत लिहायचा तर m.h असं लिहायचं म्हणजे म् असा दिसतो
|
Jayavi
| |
| Sunday, February 18, 2007 - 9:24 am: |
| 
|
बाकी गाढवाच्या जन्माचं ऐकुन मज्जा वाटली
|
Chinnu
| |
| Sunday, February 18, 2007 - 9:34 am: |
| 
|
वैभवा तुझी भिजली संध्याकाळ सोमवारी तरी वाळते. आमच्याकडे मात्र असलेला पाऊस सुरुच राहतो. सगळ ंओलचं राहुन जातं! मीनु पदर उच्च. दुसरीपण छाने. अवि गझलेसाठी दुसरा बीबी आहे. कविता गोड आहे तुमची. नीलु तुमची abstract सहीये. मनातले विचारच जणु!
|
मीनु, तुझ्या 'पदराला' एक आतला पदर आहे... undercurrent .. अन् तो जबरदस्त current मारतो... ४४० व्होल्ट्चा... DC ... प्रत्येक शब्दाला एक Visual आहे... अन् ते या झिरझिरीत पदराखाली लपलेलं आहे... दिसून न दिसल्यासारखं... आपणही असाच काणाडोळा करतो... समजून न समजल्यासारखं... 'वर्हाडी मानसं' ( मी १० वर्षाची होते तेव्हा पाहीलं होतं) नाटकात एक वाक्य फार जीवघेणं होतं... 'पोरी, स्त्री ची अब्रू म्हणजे पदरातला निखारा... पदर तर पेटला नाही पाहीजे.... निखारा ही विझला नाही पाहिजे...' तसा तुझा काटा...
|
Daad
| |
| Sunday, February 18, 2007 - 5:40 pm: |
| 
|
वैभव saturday night छानय, रे. त्यातली - 'मग चुकून म्हणता मुद्दाम हाताला लागणार्या काही आठवणी'... मस्तच आहे कल्पना. अविकुमार, तुमची "प्रिती" आवडली. मीनु, तुझ्या सगळ्याच कविता थोड्या शब्दांत खूप कही सांगून जातात. पण पदर जबरदस्तच उतरलीये. आश्चर्य या गोष्टीचं वाटतं की, नेसणारीलाच कसा जाब विचारला जातो.....? वार्याचा, काट्याचा काहीच दोष कसा नाही? की तो त्यांचा "सहजधर्म" म्हणून सोडून द्यायचं आणि जमेल तितकं, जपून, काटे टाळत, पदर संभाळायचा? मग त्यातुनही काही झालच तर काय? "जन्माचे भोग?" काहीजणी मात्र आपला मार्ग "निष्कंटक" करतात काट्यानं काटा काढावा लागला तरीही ;) नीलुताई, तुमची या कवितेला दाद एक कविताच होऊन आलीये. मजा आली, वाचताना!
|
अरे, पूर्वी पद्धत होती म्हणायची 'पोरीला पदर आला...' मग जपायचं कुणी पदराला..? पोरीनेच...
|
मायबोलीच्या होम पेजवर प्रमोद महाजनांच्या निधनाची बातमी होती.. म्हणजे केव्हापासून अपडेट झालेलं नाहीये ते...?
|
Psg
| |
| Sunday, February 18, 2007 - 11:47 pm: |
| 
|
मीनु, दोन्ही कविता आवडल्या.. 'पदर' जास्त आवडली..
|
मीनु, पदर अप्रतिम!निलुताई, धन्स कविता समजावुन सांगितल्याबद्दल. वैभव, भिजलेली संध्याकाळ.. वाह! आमच्याकडे सध्या सगळं भिजलेलच असतं.. छोटी दुपटि ईतकी ओली करतेय ना!
|
Princess
| |
| Monday, February 19, 2007 - 12:45 am: |
| 
|
भ्रमा मीनु, दोन्ही कविता जबरदस्त. नीलुताई तुमच्या कविता आणि प्रतिक्रिया सगळच छान. वैभव, तुझा तर प्रश्नच नाही... तुला काय बोलणार...
|
वैभव.. saturday मस्तच.. मीनु, पदर एकदम सही आहे.
|
Devdattag
| |
| Monday, February 19, 2007 - 1:32 am: |
| 
|
>>रुंदन नाही रे सोन्या.... रूदन... अरेच्चा.. हो की.. नीलुताई... धन्यवाद.. बाकी पब्लिक सही लिहितय.. मजा येतेय..
|
|
|