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Radhe
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| Wednesday, December 20, 2006 - 11:02 am: |
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तू अशी साधीभोळी....मनमोहक ह्सण...तर कधी हळूच बोलण..गालावर पड्णारी हास्Sखळी...मला वेड लावणारी. कधी तुज़्Zयाकडे पहाव तर दोन शब्द का होइना बोलण्याचा मोह आवरता येत नाही, पण तु काही म्हण तुज़्याशी बोलताना माज़्या भावना शब्दातुन व्यक्तच करता येत नाही. कधी तुज़ी नजर चुकवून तर कधी तुज़्या नजरेला नजर भीडवून माला तुज़्याकडे पाहील्याशीवाय राहवत नाही....मात्र माज़्या नजरेतील भाव तुला कळ्तात ली नाही ते मला समजत नाही. माज़ सोड पण तुज़ा तो ओज़रता कटाक्श्य माज़्या ह्रद्ययाच्या तारा चेड्ल्याशीवाय राहत नाही.
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Radhe
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| Wednesday, December 20, 2006 - 11:27 am: |
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\mee tuzyaa yeNyaachee aatoor hovoon vaaT pahaaN.. maatra tuza asa achaanak yeN...maazyaakaDe paahoonahee na paaheelyaasaarakha karaN...kaLtach naahee tulaa tuza he vaagan. maazyaasaaTee Taratay jeevagheN. malaa nehameech vaaTat tuzyaashee manamokaL bolaav...tu fakta bolat rahaav an mee maatra tuzyaa DoLyaat malaa shodhat rahaav. paN... paN asa hoil kaa? mee vaaT paaheelyaavar tuu kharach yesheel kaa? aalee taree maazyaakaDe paahasheel kaa? malaa paaheelyaavar tuzyaa gaalaavarachee haasyakhaLee punhaa ekadaa phulel kaa?....malaa maaheet aahe tu yenaar naahees...tuu na aalyaamuLe malaa aavaDNaaree haasyakhaLee fulaNaar naahee. he bagh tuz he as na yeN aataa maalaa sahan hot naahee an tuzyaashee asalelaa abolaa malaa chaLlyaasheevaay raahat naahee.}मी तुज़्या येण्याची आतूर होवून वाट पहाण.. मात्र तुज़ अस अचानक येण...माज़्याकडे पाहूनही न पाहील्यासारख करण...कळ्तच नाही तुला तुज़ हे वागन. माज़्यासाटी टरतय जीवघेण. मला नेहमीच वाटत तुज़्याशी मनमोकळ बोलाव...तु फ़क्त बोलत रहाव अन मी मात्र तुज़्या डोळ्यात मला शोधत रहाव. पण... पण अस होइल का? मी वाट पाहील्यावर तू खरच येशील का? आली तरी माज़्याकडे पाहशील का? मला पाहील्यावर तुज़्या गालावरची हास्यखळी पुन्हा एकदा फुलेल का?....मला माहीत आहे तु येनार नाहीस...तू न आल्यामुळे मला आवड्णारी हास्यखळी फ़ुलणार नाही. हे बघ तुज़ हे अस न येण आता माला सहन होत नाही अन तुज़्याशी असलेला अबोला मला चळ्ल्याशीवाय राहत नाही. }
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राधे... राधे.... राधे राधे जरा आम्हा पामरांना समजेल असं लिही. राधेक्रुष्ण राधेक्रुष्ण.. राधेक्रुष्ण
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Radhe
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| Thursday, December 21, 2006 - 4:10 am: |
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अहो चिंपा अजून नवीन आहे, थोड समजून घ्या. माणूस अनूभवातून शिकतो, पुधे बघा लई मजा ईल.
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