(प्रवेश करून)खामोष!!कोणाची माय व्याली आहे ऑब्जेक्शन घ्यायला अन उडवायला. आमच्या प्रेतावरूनच जावे लागेल त्याला. याद राखा!!(डोळे गरगरा फिरवीत, जातो...)
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Tulip
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| Thursday, December 07, 2006 - 1:41 am: |
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सायकीएट्रीस्ट कसल्या परफ़ेक्ट लकबी उचलल्यास HH
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Raina
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| Thursday, December 07, 2006 - 2:05 am: |
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RH केकता किंवा तळवलकरांच्या वाईट्ट शिरीयल बगून तुमास्नी हे डोळं गरगरा फिरवायचे सुचतया. शो ना. हो.. आणि सारखं खामोष- म्हणून का दरडावता हो? धिस ईज म्हणजे अभिव्यक्तिस्वातंत्र्यावर गदा हंSSS. 
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Himscool
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| Thursday, December 07, 2006 - 2:11 am: |
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हवाहवाई, एकुण एक खेळ भारी आहेत... सायकीऍट्रीस्ट आणि statue सर्वोत्तम...
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Bee
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| Thursday, December 07, 2006 - 3:07 am: |
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सगळेच खेळ entertaining आहेत HH!!! :-) दरवेळी तुझी कुजबुजची कल्पना वेगळी असते ह्याचे फ़ार कौतूक वाटते. U r simply creative!
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Saee
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| Thursday, December 07, 2006 - 3:13 am: |
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कस्स्स्सले डोकेबाज खेळ   खोख्खो हसले
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Jhuluuk
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| Thursday, December 07, 2006 - 4:17 am: |
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भन्नाट आहे हे HHPV
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Neelu_n
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| Thursday, December 07, 2006 - 5:40 am: |
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who तु तु हवाहवाई लई मजा आली वाचुन.
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Pinaz
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| Thursday, December 07, 2006 - 5:44 am: |
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बाई गं हवा हवाई, तुला फारच वाईट वाटले का मी बी ला जे म्हणाले ते? sorry हं.. मस्त लिहिलेस पण.. मज्जा आली.
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Anilbhai
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| Thursday, December 07, 2006 - 8:12 am: |
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सुस्वागतम ह ह
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Mrinmayee
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| Thursday, December 07, 2006 - 8:47 am: |
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यकदम फस्क्लास!!! ललितं आणि कथा वाचून मनावर आलेल्या मरगळीवर खास इलाज.... ह. ह. ची कुजबुज!!!!!
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Seema_
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| Thursday, December 07, 2006 - 11:49 am: |
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LOL . बरेच मुद्दे राहिले ना पण .
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मुख्य म्हणजे 'खवट'या महांकाळ राहिला ना!!
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Asmaani
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| Thursday, December 07, 2006 - 2:17 pm: |
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हवा हवाई, कुजबूज कसली? हा तर (हास्य)स्फोट आहे!
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Vadini
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| Thursday, December 07, 2006 - 3:33 pm: |
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वा! फारच धमाल कल्पना आहे ही! आणि सुचवलेले खेळ पण कसले सही आहेत.
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Peshawa
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| Thursday, December 07, 2006 - 6:14 pm: |
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>> LOL . बरेच मुद्दे राहिले ना पण ती मुद्यांसाठी नाही गुद्द्यांसाठी famous आहे.
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Upas
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| Thursday, December 07, 2006 - 11:51 pm: |
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जय हो! खेळीयाड मस्तच लिहिलयस.. पण मसाला थोडा कमीच वाटलास..
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नेहेमीप्रमाणेच झक्कास! हू तू तू...... पण काय ग? मी ती तशी पोस्ट खरच पुर्वी कुठ केली हे का? (अन्धुक अन्धुक आठवत्ये)
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>>>> मुख्य म्हणजे 'खवट'या महांकाळ राहिला ना!! हूडा, कोण रे खवट्या महाकाळ?
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'खवट'या महांकाळ म्हणजे आपले ते ज्ञानवन्त, प्रज्ञावन्त,परम आदरणीय.... जाऊ दे आता मला कंटाळा आला. नन्तर कधीतरी सांगेन...
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