Vadini
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| Tuesday, December 05, 2006 - 3:30 pm: |
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वा!आशाकाकींच्या कथाभागाने एक वेगळेच वळण दिले आहे कथेला! उत्तम.पुढील भागाची आतुरतेने वाट पहात आहोत.
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Jhuluuk
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| Wednesday, December 06, 2006 - 1:20 am: |
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अरे वा ! आता खरी तिघींची कथा उलगडत आहे. श्रद्धा, मी fan झालेय तुमची तुझी लेखनशैली मला मनापासुन आवडते.
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Sahi
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| Wednesday, December 06, 2006 - 9:08 pm: |
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मला वाटायला लागले आहे कि ह्या लेखक मन्ड्ळीसाटी एखादी सोय हवी की जेथे ह्यान्ना त्यान्च्या कथान्चे भाग सवडीनी लिहिता आणी स्टोअर करता येतील.कथा पुर्ण ज़ाली की पब्लीश बटन दाबायचे की आम हितगुजकरान्ना अखन्ड वाचता येतील. माज़्या ओनलाईन क्लासमधे टर्म पेपर साठी ही सोय आहे
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hi...me naween ahe ithe pan sarkhi ithe articles waachat aste majja yete..pan hi story chaan asun pan late zalyamule kantala ala..please pudhe wachaychiye itki chaan story..
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Ramani
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| Thursday, December 07, 2006 - 10:44 am: |
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खरोखरच कथेने अगदी वेगळेच वळण घेतलेले आहे. आता उत्सुकता आणि अपेक्षा इतकी वाढली आहे की लवकर लिहिण्याची घाई न करता सावकाशीने तब्येतीत कथा रंगवा आणि पोस्ट करत जा.
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Kiru
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| Thursday, December 14, 2006 - 7:17 am: |
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श्रद्धा.. खरच खूप छान, शैलीदार लिहितेयस. वाट पहातोय आम्ही पुढल्या भागांची.
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Prajaktad
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| Monday, December 18, 2006 - 6:25 am: |
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श्र ! इतकी रंगलेली कथा सोडुन कुठे गायब झालीस...?
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Ramani
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| Thursday, December 21, 2006 - 1:57 am: |
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अहो इतकी पण तब्येतीत नाही. थोडी तरी टाकत जा कथा.
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Srk
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| Thursday, December 21, 2006 - 5:42 am: |
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कथेचं नाव 'आम्हा सगळ्यांची व्यथा' अस बदलायला हव म्हणजे वाचणार्यांची
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