Storvi
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| Monday, August 07, 2006 - 11:47 am: |
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सुरेख कथा! ..
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Shonoo, this is excellent writing!
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WOWमस्त लिहिलेस गं शोनू, शेवट पण सुरेख! मला तुझे लिखाण वाचताना अधून मधून मंगला गोडबोले आठवत होत्या, अशीच क्यूट, मिष्किल पात्रं असतात त्यांची
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Abcd
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| Monday, August 07, 2006 - 2:19 pm: |
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Fantastic writing!!! Nice end....u make me cry every time :-)))
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Savani
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| Monday, August 07, 2006 - 3:24 pm: |
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शोनू, मस्तच कथा लिहिली आहेस. शेवट फ़ार छान. तुझी शैली मला खूप आवडली.
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शोनु, लाजवाब! शैली, कथानक सगळंच खूप सुरेख! पुढली कथा कधी लिहीतेस?
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शोनु मस्तच. विषय पण वेगळा.
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शोनू, खरंच सुरेख कथा! तुझी लेखनशैली पण खूप छान आहे...
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Chinnu
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| Monday, August 07, 2006 - 6:25 pm: |
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मेधाताई, माझ्याकडे शब्दच नाहियेत. कथा खुप खुप खुप खुप...(कितीही जोडले तरी अपुरेच!) आवडली! कथेमध्ये एकाच परिच्छेदात रडवायची मग खळखळुन हसवायची हातोटी मस्त वाटली. मन नाहीच भरलं चारदा वाचुनही! पुढील कथेच्या प्रतिक्षेत..
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Raina
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| Monday, August 07, 2006 - 9:54 pm: |
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शोनू, ultimate जमलीये कथा. बेनझीरनी मनात घर केलंय.
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शोनु मस्त जमली आहे कथा. आणि शैली पण एकदम सही
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Kandapohe
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| Tuesday, August 08, 2006 - 10:16 pm: |
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शोनु सहीच लिहीले आहेस. हं बेनजीर काय म्हणेल!
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Lalu
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| Wednesday, August 09, 2006 - 12:04 pm: |
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शोनू, छानच जमली आहे कथा. अजून लिही आणि लिहिलेलं असशील तर टाक. नाहीतर आता एवढे फॅन्स झालेत ते काय म्हणतील?
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शोनू कथा एकदम सही लिहीलीय. खूप आवडली. उगीच दुक्खाचे अवडंबर नाहीये आणि पात्रं फार छान रंगवलीत. लगे रहो. मैत्रेयी अगदी. मला मंगला गोडबोलेंची शैली तर आठवलीच पण अशीच एक सासूला " हाय कमांड " म्हणणार्या सुनेची एक धमाल गोष्ट पण आठवली.
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Ek_mulagi
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| Thursday, August 10, 2006 - 12:26 pm: |
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छान लिहिलीस, आवडली. लेखनशैली आणि बेनजीर दोन्हीही.
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Dineshvs
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| Thursday, August 10, 2006 - 1:02 pm: |
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आपल्या मायबोलिवरचे अनेक छुपे लेखक पुढे येताहेत, हि खरेच आनंदाची गोष्ट आहे.
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Chafa
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| Thursday, August 10, 2006 - 10:57 pm: |
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मस्तच! इतकी छान होती की पटकन संपल्यासारखी वाटली.
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Seema_
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| Friday, August 11, 2006 - 12:08 am: |
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सुरेख . fan club मध्ये मी ही आहे हं . मागे कुठतरी तुम्ही सुनिता बाईंच्या लेखाचा आधार देवुन " ऐहिक गरजा " कमी करण्याविषयी लिहिलेल , तेव्हापासुन मी fan आहे बर का . कुठ लिहिलेल ते विसरले आता . अजुन लिहित रहा .
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Paragkan
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| Friday, August 11, 2006 - 1:25 am: |
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वाह! खासच आहे कथा आणि लिखाण!
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A_sayalee
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| Thursday, August 24, 2006 - 7:32 am: |
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मैत्रेयीने मंगला गोडबोले म्हटलंय पण मला तर आशा बगे, संध्या रानडे, कधी कधी रत्नाकर मतकरींच्या(मतकरींच्या अद्भूत वैगरे नसलेल्या छान कथा!) जुन्या दिवाळी अंकांतील कथांची आठवण आली वाचताना! अजून तुझ्या पुढच्या लिखाणाची उत्सुकता लागून रहिली आहे!
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Bee
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| Friday, August 25, 2006 - 2:25 am: |
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सीमा, ऐहीक गरजांची लिन्क देऊ शकशील का? काही hints पण चालतील..
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शोनु आगदी सही मस्त कथा लिहिली आहेस तु....... असच छान लिहित रहा!!
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