Poojas
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| | Thursday, June 01, 2006 - 3:32 pm: |
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अगणित झाले श्वास तयांची गणना करुनी थकलो.. कित्येकदा जाणीव असूनही जगण्यापासून मुकलो.. चुकलेले काही श्वास चुकांचा साठा सलतोय मनाला अजून चुकीचा काटा.. चाललो जिथे ती वाट चुकीची होती वळणांत चुकांशी जुळली अतूट नाती.. मी जरी टाळल्या चुका तरीही चुकतो मग पुन्हा चुकांतून नवे काही तरी शिकतो.. व्हायचे अचूक मज नको चुकांचे ओझे मग रिक्त चुकांतून मुक्त आयुष्य माझे.. !!!
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Meenu
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| | Friday, June 02, 2006 - 12:11 am: |
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काय चुक अन बरोबर काय सांग कसं ठरवायचं घाबरत असं राहिले तर मग सांग कधी जगायचं
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Shyamli
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| | Friday, June 02, 2006 - 12:20 am: |
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चुकत चुकत जगावं अन परत वर अरेच्चा चुकलोच की..... अस म्हणुन टाकावं श्यामली!!!
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Meenu
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| | Friday, June 02, 2006 - 12:30 am: |
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मला वाटतं बरोबर आहे तु म्हणतोस साफ चुक मी म्हणते प्रेम आहे तुला वाटतं filmi खुप
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Meenu
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| | Friday, June 02, 2006 - 12:31 am: |
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सही श्यामली ये हुई ना बात
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Meenu
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| | Friday, June 02, 2006 - 12:36 am: |
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नियमांच्या कुंपणातच उगवायच्या भावना किती मजेशीर असा तुझा हा हट्ट आहे ? वाटेल ते नियम पाळायला त्या का तुझ्यासारख्या मठ्ठ आहेत ?
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Shyamli
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| | Friday, June 02, 2006 - 12:40 am: |
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मीनु.. .. .. .. मठ्ठ
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R_joshi
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| | Friday, June 02, 2006 - 4:38 am: |
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मीनु फारच छान. अशाच विनोदि चारोळ्या लिहित रहा.
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R_joshi
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| | Friday, June 02, 2006 - 4:43 am: |
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चार दिवसाची आपली ओळख किती जुनी वाटते तु माझी आहेस अशी आस मला वाटते. प्रिति
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मीनू, श्यामली, प्रीती तुमच्या चारोळ्या मस्तच... चालूदेत... आणखी यावे..
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जुनीच आपली ओळख, जुनीच आपली नाती, नवीन आयुष्याची सुरुवात, फ़क्त तुझ्याचसाठी... रुप...
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ऑं रुपल्या.... तू पण... एनीवे मस्तच आहे...
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जुन्या ओळखिचे ते गुपित, फ़क्त आपल्यातच राहु देत, नव्या आयुष्याची सुरुवात करताना, नवी नाती बहरु देत... रुप...
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रुपल्या चालूदेत... मस्त येतंय... ओघवतं वाटतंय...
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हो महेश आपल असच कधीतरी...
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मग या चारोळ्यांना एकत्र कर ना...
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अरे माझे सहज विचार आहेत हे... चारोळ्या करायला मी काही तेवढी ग्रेट नाही आहे रे...
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ओळखी ओळखीतुनच नवीन नाती जन्मतात रत्नांहुनही अनमोल ती मग आयुष्यभर पुरतात... रुप...
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ग्रेट नसली तर नसली... लिहित रहा
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Swaroop
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| | Saturday, June 03, 2006 - 2:16 pm: |
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माझ्या हातुन निसटुन गेलेले अलवार नात्याचे धागे............ करुन गेले पापणी ओली जेंव्हा वळुन पाहिले एकदा मागे...........
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