सुधीर मस्त रे ... मी इकडे पाहिलंच नाही .... मला वाटल अजून सवाल जवाब चालू आहे ...
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Rmd
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| Wednesday, May 10, 2006 - 7:36 am: |
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ninavi aani milya: sahich ekdum!!
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hi everyone !! my first poem see the attachment
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Smi_dod
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| Sunday, May 14, 2006 - 11:53 pm: |
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प्रशांत, फरच छान... पहिली कविता आहे असे वाटत नाही.. कल्पना वेगळी आणि मस्त आहे. छान लिहितोस... लिहित रहा
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Meenu
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| Monday, May 15, 2006 - 12:21 am: |
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प्रशांत मस्त लिहिलयस रे... लिहि अजुन काहितरी..
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Poojas
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| Monday, May 15, 2006 - 2:37 am: |
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प्रशांत.. एकदम झक्कास बरं का लगे रहो..:-)
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प्रशांत फारच अर्थपुर्ण मांडलीय कविता.
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प्रशांत, gud one!!! .. .. .. .. ..
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प्रशांत, देवाची असहायता फारच छान मांडलीस. अमोल
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Dineshvs
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| Monday, May 15, 2006 - 1:11 pm: |
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छान प्रशांत. वेगळा विषय, सुरेख मांडणी.
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hi everyone ! thanks for reply ptejam@annetsite.com
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छान आहे प्रशात खुप छान आहे तुझी कविता जेथे देवच नमला आहे तेथे मानव तरी काय करेल...
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hi all thanks for ur reviews on my poem this is the just thought, i have to convert it into poem but send me suggestion on it ptejam@annetsite.com prashant
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पाऊस डोळ्यात साठवत मी डोळे मिटून घेतले... तुझ्या आठवणिचे थेंब गालावरून निर्बन्ध ओघळले!
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bhramar hii chaaroli jhulakevar taak... !!!
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Shyamli
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| Friday, May 26, 2006 - 4:05 pm: |
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कधी जमणार? चालताना तारेवर तोल राखणं डावीऊजवीकडे न झुकता सरळ चालणं कधी जमणार.....? वाहताना कवीतेतुन शब्द सांभाळणं आणि व्यक्त होताना अव्यक्त राहाणं कधी जमणार.....? जगताना आयुष्य अपेक्षा ठेवणं आणि उपेक्षा झाली की निरपेक्ष दाखवणं कधी जमणार......? श्यामली!!!
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Krishnag
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| Saturday, May 27, 2006 - 12:04 am: |
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श्यामली, मस्तच!! पण ही काहीच्या काही कविता नाही!! 
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श्यामले, as usual ! kishna ला अनुमोदन!
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Shyamli
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| Saturday, May 27, 2006 - 1:26 am: |
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क्रिश,भ्रमा.. मला वाटल तिकडे नाही बसणार ही म्हणुन ईकडेच टाकली...
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Poojas
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| Saturday, May 27, 2006 - 1:36 am: |
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'' मला वाटल तिकडे नाही बसणार ही'' हम्म्म्म..ऽऽऽ काहीतरीच काय.. .. ?? श्यामले.. अगं छानच आहे कविता...
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