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Rajkumar
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| Tuesday, May 16, 2006 - 2:39 am: |
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जबरी रे.. .. .. ..
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देवा ... मस्त रे .... एकदम झकास
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देवा झक्कास जमलय रे भो... लगे रहो
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Psg
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| Tuesday, May 16, 2006 - 4:55 am: |
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वा, मस्त जमलं आहे
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देव मस्त रे... खरच मीनु म्हणते त्याप्रमाणे तु Ph.D. करणार यात शंका नाही. अमोल
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धन्यवाद मित्रांनो.. मीनु.. अनुभव असता तर लिहायला धजलो असतो का?
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Rmd
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| Wednesday, May 17, 2006 - 2:53 am: |
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dev: sahich ekdum. mast jamala ahe.
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Poojas
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| Wednesday, May 17, 2006 - 3:49 am: |
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अरेच्चा.. मी इथे पाहिलच नाही.. डॉ. देवदत्त.... सॉलिडच..!! एकदम सही.... !!
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देवा रं देवा काय काय लिव्हता राव....लै बेस!!! -चिंगी
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मूळ गीत : त्या तरूतळी त्या तरूतळी विसळते पीप रोज रिकामे घेउनि फिरते, इथे तिथे टेकित लुकड्या मला मग भार भावना कमरेतुनी चमकते वेदना तप्त रणे तुडवित हिंडते, ती छाया (मोलकरीण) आठवीत खुशालचेंडू तिने दांडी टाकली सुट्ट्यांची तीला सवय लागली संघटना जागोजागी झळकती, त्याचे कवडसे तीत उभी उगा मी गच्चीत रेलुनी वाट बघे तीची अधिर लोचनी केरसुणी सळसळे, वळे ती, मूठीत पगार कवळीत बोनस मिळे, पगार खणखणे नव्या वाटघाटीत घर दणकले अधरी पैसा उतू जाय परी, नाही पीप विसळीत मोरीवर ती काम न करता शिणली पदरी मम तनु थकली गळली एक पीप, परी बोलणे फिस्कटले, पितांबरी वापरीत एक छोटा प्रयत्न.
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पितांबरी वापरीत ... हा हा हा . केप्या ... घासुन पुसुन लख्ख विडंबन
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Psg
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| Wednesday, May 17, 2006 - 6:18 am: |
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केपी, उन्हाळ्यामुळे पाण्याचे पिंप हा फ़ारच crucial factor झालेला दिसतो! घरमालकीणीची व्यथा अगदी नीट पकडली आहेस!
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कान्द्या कान्द्या, अगदी अगदी स्वानुभवाचे बोल वाटताहेत हो! DDD
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Athak
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| Wednesday, May 17, 2006 - 6:30 am: |
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केपी , जम्या जम्या एकदम मिल्याला कॉम्पिटिशन
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Krishnag
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| Wednesday, May 17, 2006 - 6:33 am: |
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केपी छान!! शिर्षक दे ना 'केपीचे पीप'!! 
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Moodi
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| Wednesday, May 17, 2006 - 6:47 am: |
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केपी जबरदस्त जमलय रे, सुरु कर आता दुसरी पण गाणी. मिल्याला कॉम्पीटीशन नाही रे देऊ शकत कुणी. उस्तादोंका उस्ताद आहे तो. 
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Ruma
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| Wednesday, May 17, 2006 - 6:51 am: |
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केपी.. मस्तच रे जमलय.. घरी बायकोने भांडी घासायला लवलेली दिसतायत..
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Rajkumar
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| Wednesday, May 17, 2006 - 7:03 am: |
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केप्या... सहीच!!! .. .. ..
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Meenu
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| Wednesday, May 17, 2006 - 7:12 am: |
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शिर्षक दे ना 'केपीचे पीप'!! >>> <:-)>जमलं रे कांद्या.... ... ... .. ..
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कांदु.. '' ःः ःः
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