Kashi
| |
| Thursday, May 04, 2006 - 11:19 am: |
| 
|
kay dhamal lihita tumhi...ekdam sahi..
|
Milya
| |
| Thursday, May 04, 2006 - 1:05 pm: |
| 
|
धन्यवाद मंडळी निनावी तुला विशेष धन्यवाद गं.. तुझ्यासारखे 'हलकेच' घेणारे लोक इथे आहेत हेच मायबोलीचे वेगळेपण आहे आता या GTG ला गाऊन दाखवायचा हा पोवाडा तूच!लागेल तर मी साथ करीन तुला >>> हो ना गिर्या... म्हणजे जीटीजी साठी वर्गणी गोळा करायला नको.. पैसे आपोआप जमा होतील 
|
Moodi
| |
| Thursday, May 04, 2006 - 1:13 pm: |
| 
|
मिल्या महाकठिण आहेस रे बाबा तू, एकदा तुझी रास सांगुन टाक, फार उत्सुकता वाटतेय.( मिथुन आहेस की बुध पॉवरबाज आहे तुझा?) 
|
Dineshvs
| |
| Thursday, May 04, 2006 - 1:19 pm: |
| 
|
निनावि आणि मिल्या दोन्ही लावण्या छान जमल्यात. पापडवाल्या पाडगावकरांच्या यादीत बसवायला हवे तुम्हाला.
|
Paragkan
| |
| Thursday, May 04, 2006 - 5:35 pm: |
| 
|
झकास रे 
|
Yog
| |
| Thursday, May 04, 2006 - 9:07 pm: |
| 
|
अरे वा छान चालले आहे... 
|
Jo_s
| |
| Friday, May 05, 2006 - 12:20 am: |
| 
|
vaa chhaanach सहज एकदा बाहेर डोकावलो आश्चर्यानी थक्क झालो सगळीकडे एकच चर्चा देवांनी होता काढला मोर्चा म्हणे सगळीकडेच रडारड देवपण आता झालय जड संख्येनेही मोजकेच उरलो सगळीकडेच पर्के ठरलो मागणे हेच सर्वां मुखी आल्पसंख्यांकांचा दर्जा हवा सवलती द्या, ठेवा सुखी
|
Smi_dod
| |
| Friday, May 05, 2006 - 12:26 am: |
| 
|
अरे वा.. छानच..ज्यो..देवांचा मोर्चा संकल्पना छान 
|
Ruchita
| |
| Friday, May 05, 2006 - 9:36 am: |
| 
|
निनावि, मिल्या..सहीच काय लिहिता रे तुम्ही...आफ़लातून, निनावि आत चितल्यान्चि पुपो खाताना तुझ्या लावणीचा ठसका लागणार बर का:ड..आअणि मिल्या..काय रे निनावि ने केलेल्या लाडवाचे प्रात्यक्शिक बघितल्यासारखे जणु लिहिले आहेस...... ) ज़ो...आरे देवा.... काय हे, आम्ही देवाला सुखि ठेवा म्हणतो, तर जो तुझ्या मोर्च्या मध्ये देवच माणसाना आम्हाला सुखि ठेवा म्हणतायत...देवा लक्श ठेवा..
|
Jo_s
| |
| Saturday, May 06, 2006 - 12:14 am: |
| 
|
Smita, Ruchita thanks Ruchita, देवपण कमीहोउन दानव नाहीतर सामान्य मानवच जास्त दिसुलागलेतना त्यामूळे देव . . . .
|
Ninavi
| |
| Saturday, May 06, 2006 - 12:51 am: |
| 
|
सुधीर, मस्त.. ... ... 
|
Shyamli
| |
| Saturday, May 06, 2006 - 1:39 am: |
| 
|
सुधिर तुमच्या कल्पना छानच असतात
|
Jayavi
| |
| Saturday, May 06, 2006 - 5:06 am: |
| 
|
निनावी,मिल्या, एकदम सही रे !!
|
Milya
| |
| Saturday, May 06, 2006 - 5:26 am: |
| 
|
सुधीर सही कल्पना ....
|
Jo_s
| |
| Monday, May 08, 2006 - 4:33 am: |
| 
|
ninavi, shyamali, milya thanks
|
Princess
| |
| Monday, May 08, 2006 - 6:08 am: |
| 
|
हे निनावी, तुझी लावणी वाचली आत्ताच..... मिल्याचे उत्तर ही वाचले.... धन्य आहात तुम्ही. खिदिखिदि हसतेय मी एकटीच.... आजुबाजुचे कन्नड मात्र मला वेड लागलेय कि काय या विचाराने चिन्तित झले आहेत...
|
Jo_s देवान्चा मोर्चा अफलातून कल्पना. बापू.
|
Meenu
| |
| Tuesday, May 09, 2006 - 2:15 am: |
| 
|
वा... निनावी, मिल्या, सुधीर छानच लिहीलय तिघांनीही... मजा आली वाचुन..
|
Jo_s
| |
| Tuesday, May 09, 2006 - 6:30 am: |
| 
|
बापू, मीनू मनापासून धन्यवाद सुधीर
|
निनावी जबरीच! पण चितळे हल्ली कंत्राट देतात सानेबाइंना (संगम साडी सेंटरच्या बोळातील) पुरणपोळीचे. इतर पण कंत्राटदार आहेतच. मिल्या सातमजली गडगडाट! सही जवाब! सुधीर मस्तच. एकदम Bruce Almighty आठवला. 
|