Gandhar
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| Wednesday, April 12, 2006 - 9:54 am: |
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वा! गिरी, श्यामली उत्तम!!! माझा एक पैसा आणि चैत्राचे डोहाळे फांदीतून मोहोर फुले सोसवेना भार तयाला झाड वयात आलेले...
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Shyamli
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| Wednesday, April 12, 2006 - 10:01 am: |
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केंव्हाची मी निघाले रे मनी चांदणे ओथंबले दारी पाऊल अडखळले झाड वयात आलेले श्यामली!!!
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Jaaaswand
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| Wednesday, April 12, 2006 - 10:02 am: |
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शरदात वेडा मोर फ़सला का रडते सारे रान आहे वेळ चुकतीय .. का आमच्या गजराचे सुटते भान आहे जास्वन्द...
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Shyamli
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| Wednesday, April 12, 2006 - 10:10 am: |
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ए जास्वंदा कुठे चालला.... वर बघ ना जरा.... वैशाली,दिलिप,गन्धार धन्यवद...पण सुरवात क्षिप्राची आहे ही
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Gandhar
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| Wednesday, April 12, 2006 - 10:20 am: |
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कोकीळ करी कूजन सप्तसूर मंतरलेले बहराच्या भेटीसाठी झाड वयात आलेले...
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Jayavi
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| Wednesday, April 12, 2006 - 10:21 am: |
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श्यामली, गिरी मस्त चाललीये जुगलबंदी. क्षिप्रा, एकदम सही सुरवात केलीस
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Giriraj
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| Wednesday, April 12, 2006 - 10:41 am: |
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काळजीने मुळांशी जरा घट्ट झाली माती जेव्हा पाहिले शेजीने झाड वयात आलेले..
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Giriraj
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| Wednesday, April 12, 2006 - 10:44 am: |
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जया,तू वाहती ठेव गं झुळूक, जमल्यास घरून लिहीन! गंधार,या ID चा छानच उपयोग करतोहेस! श्यामली,लगे रहो!मस्तच लिहितेस!
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Shyamli
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| Wednesday, April 12, 2006 - 10:44 am: |
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ऐकु येती का तुला सुर जे मी लावले? आला कधिचा बहर फुलपाकळी उमले झाड वयात आलेले श्यामली!!! जया, गिरि, कसच कसच धरुन धरुन चाललय उगाच
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Jaaaswand
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| Wednesday, April 12, 2006 - 11:04 am: |
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अग श्यामले... विषयाला धरून नव्हते म्हणून तर तसे लिहिले ना बर हे बघा.. सुगंधात स्वत:च्या ते सलज्जतेने मोहरलेले भ्रमर हवेत लिहून गेला झाड वयात आलेले जास्वन्द...
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Shonoo
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| Wednesday, April 12, 2006 - 2:01 pm: |
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अजुन नाही पालवीही दूरच अजून पाने फळे फ़ांदी फांदी फुलारलेले झाड वयात आलेले
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Shyamli
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| Wednesday, April 12, 2006 - 2:29 pm: |
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झाली केशरी सकाळ सरके धुक्याचा पदर गाल गुलाबी रंगले झाड वयात आलेले श्यामली!!!
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Puru
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| Wednesday, April 12, 2006 - 11:30 pm: |
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डान्स फ़्लोर वर पुन्हा एकदा थिरकणार आहेत बारबाला, पुन्हा एकदा नोटांच्या माळा बेशरमी लगट अन फ़ेसाळता प्याला.
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Kshipra
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| Thursday, April 13, 2006 - 1:01 am: |
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good going public .. ..
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Kshipra
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| Thursday, April 13, 2006 - 1:04 am: |
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टपोरल्या सार्या कळ्या फुलभाराने वाकले सभोवती कुज़बुज़ झाड वयात आले रे झाड वयात आले रे...
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Kandapohe
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| Thursday, April 13, 2006 - 1:26 am: |
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लोक्स जोरात चालले आहे! पुरु सहीच एकदम. येते की तुला मराठी. मग सगळी कडे मिंग्लीश का फाडतोस? 
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Jayavi
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| Thursday, April 13, 2006 - 1:33 am: |
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कळी कळी फ़ुलारली पान पान लाजले फ़ांदीतून उमटले सूर गोड गोजिरे काय आज जाहले......... ? अहो.........झाड वयात आले
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Puru
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| Thursday, April 13, 2006 - 1:57 am: |
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आभार केपी Aare, it just takes more time writing in devnaagari; so I revert to English while writing such TP & to Marathi only for Kavita ...& that's why prefer Charoli/Kinchitika -> saves typing )
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गिरी,शामली,गंधार,जयावी मस्तच ह एकदम नवी फुटली पालवी हिरवे वस्त्र ल्यालेले पानो पानी बहरले झाड वयात आलेले सानिका
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Athak
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| Thursday, April 13, 2006 - 3:58 am: |
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wow झाड वयात आलेले good good असेच छान लिहीत रहा आम्ही वाचक वाचतोय रोमातुन
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