Jo_s
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| Tuesday, April 11, 2006 - 1:57 am: |
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झुळूक नाही वारा नाही सोसाट्याचे वादळ ही तर मनातली भावना मंजूळ, कोमल . . . .
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Dilippwr
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| Tuesday, April 11, 2006 - 1:58 am: |
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रिकाम्या पेल्याने ओठ होता ओले वाटे आयुष्य किती छान गेले
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Dilippwr
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| Tuesday, April 11, 2006 - 2:14 am: |
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मित्रा विद्रोही च्या मुळे व्यथित का होतोस लक्श्यात ठेव समुद्र मंथना शीवाय अम्रुत नाही आणी रावणा शीवाय राम नाही
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Puru
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| Tuesday, April 11, 2006 - 5:04 am: |
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अश्वत्थाम्याच्या जखमेसारखं अंतरीचं दु:ख सलतं, ज्याचं जळतं त्यालाच कळतं.
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Kshipra
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| Wednesday, April 12, 2006 - 5:31 am: |
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झाला फुलांचा बोभाटा पान पान तरारले घेते फांदी अंगडाई झाड वयात आलेले...
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Giriraj
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| Wednesday, April 12, 2006 - 8:03 am: |
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वर झाला गंध धुंद त्याला कसे आवरावे? हे तर उघड गुपित झाड वयात आलेले..
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Shyamli
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| Wednesday, April 12, 2006 - 8:25 am: |
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गिरि वाराला काना राहिलाय फांदि फांदी आळवते एक अवीट सुरावट पानापानातुन निथळे गंध मादक मोहक पानालाही नाद आला झाड वयात आलेले श्यामली!!!
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Giriraj
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| Wednesday, April 12, 2006 - 8:32 am: |
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मधूकूजनात दंग झाड किलबिलते झाले पाखरांनाही कळले झाड वयात आलेले...
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Shyamli
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| Wednesday, April 12, 2006 - 8:37 am: |
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नादावलि जाई जुई मधुकर धाव घेई शब्दावीना प्रीती फुले झाड वयात आलेले श्यामली!!!
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shyamali, giri, kshipraa... jhuluk vayaat aali....
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Giriraj
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| Wednesday, April 12, 2006 - 8:48 am: |
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तुझ्या कुंतलिचे फ़ूल मन मधुकर झाले तुझ्या डोळ्यांत कळले झाड वयात आलेले..
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Shyamli
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| Wednesday, April 12, 2006 - 8:50 am: |
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झाली पहा संध्याकाळ मावळला रे दिनकर पाखरेही फिरली अन..... मी ही........ निघाले झाड वयात आलेले श्यामली!!
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Zaad
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| Wednesday, April 12, 2006 - 9:02 am: |
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तुझे जाईचे सखे ओठ मऊ सायीचे. केसांवरी उन्ह बिलोरी असे घाईचे.
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Giriraj
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| Wednesday, April 12, 2006 - 9:13 am: |
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पाखरांनाही तुझे भिणे आता नेहेमीचे झाले बहरला निशीगंध झाड वयात गं आले
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Shyamli
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| Wednesday, April 12, 2006 - 9:21 am: |
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थरथरती अधर शहारले अंग अंग एकाच स्पर्शाचि झाली जादु झाड वयात आलेले श्यामली!!!
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Dilippwr
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| Wednesday, April 12, 2006 - 9:27 am: |
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शामली, गुरुराज वाह वाह वाह मस्तच झाड तुझी पण मस्तच नाजुका
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Giriraj
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| Wednesday, April 12, 2006 - 9:31 am: |
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अहो दिलिपदादा,मी गिरीराज आहे हो! श्यामली,ते वारा नाही 'वर' असेच आहे... पुन्हा या अर्थाने!
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Giriraj
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| Wednesday, April 12, 2006 - 9:37 am: |
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असे चोरू नको अंग हे स्पर्शाचे सोहळे आणि चैत्राचे डोहाळे झाड वयात आलेले..
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Shyamli
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| Wednesday, April 12, 2006 - 9:42 am: |
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हे स्पर्शाचे सोहळे भीती रे, मनी दाटे पाहील ना कुणीतरी झाड वयात आलेले श्यामली!!! मग ठिके....मला वारा वाटला होता
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Giriraj
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| Wednesday, April 12, 2006 - 9:50 am: |
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आता कशाची गं भीती? का हे तुझे बावरणे? सार्या जगाला कळले झाड वयात आलेले..
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