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Devdattag
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| Saturday, April 22, 2006 - 2:58 am: |
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अनिलभाई, सहि जमलंय विडंबन..
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Psg
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| Saturday, April 22, 2006 - 6:01 am: |
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अनिलभाई, मस्त जमलं आहे!
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Devdattag
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| Saturday, April 22, 2006 - 6:12 am: |
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परत एक मूळ गाणे: असा बेभान हा वारा असा बेफ़ाम हा मारा, कसा मी धाव रे घेऊ जोडीला दादा आलेला, कसा धावू कसा धावू हाता घेउन त्या बॉला त्रिफळे वेध रे घेती दिसे काळोख डोळ्यांना जराशी घेरी ही येती जीवाला कूल रे माझ्या सांगा तरी कसे ठेवू गलिचे पॉइंटचे मी मनी हे ठेविले रागे स्लिपचे काय रे आता फिल्डर झेलच मागे ऑफचे भान हे ठेवून बॅट बॉला कसा लावू दादाच्या क्षीण पायांचे विचारी ओवले जाळे बॉल चालले वाया रे रिस्क घ्याया तो ही टाळे जा तू रे माघारी आता, किती मी वाट ही पाहू
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Moodi
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| Saturday, April 22, 2006 - 8:30 am: |
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अनिलभाई, देवदत्त एकदम सही!! अजुन येऊ द्या.  
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Dineshvs
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| Saturday, April 22, 2006 - 10:11 am: |
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देवदत्त छानच. भाई बहोत खुब.
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Jayavi
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| Saturday, April 22, 2006 - 11:12 am: |
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अनिलभाई, देवा..........झकास ! लगे रहो
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देवा मस्त रे . सगळीच मस्त आहेत . अनिलभाई ... क्या बात है ... घरी पोचलात की नाही ?
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Milya
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| Sunday, April 23, 2006 - 4:08 am: |
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देवा सुटला आहेस एकदम.. मस्तच रे बारबालांनो एक्दम मस्त
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Shyamli
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| Sunday, April 23, 2006 - 4:49 am: |
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देवा सॉफ्टवेअर घेतलस का रे विडंबनाचं? सगळीच छान जमलियेत
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धन्यवाद लोकहो.. श्यामलि.. विकत नाहि घेतलं.. उधारीवर घेतलंय सध्या मिल्याकडून..
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