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Meenu
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| Friday, March 24, 2006 - 4:39 am: |
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दिमडु किती मनापासुन लिहिलयस ग.. वाचतानाहि जाणवतय तुला किती दु:ख झालयं ते... Take Care
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Bee
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| Friday, March 24, 2006 - 4:41 am: |
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psg- अग धाडकन नाही विचारल, विचारच केला पण तो परिच्छेद वेगळा आहे हे माझ्या लक्षात आल नाही कारण दीमडुनी ती वाक्ये एकात्रच लिहिलीत. धन्यवाद! तू रागवली नसेल अशी अपेक्षा.
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Seema_
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| Friday, March 24, 2006 - 12:16 pm: |
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दिमडु खरच फ़ार touching लिहिल आहेस . अगदी आतुन हलल्यासारख वाटल 
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Ldhule
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| Friday, March 24, 2006 - 2:22 pm: |
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दिमडु, very very touching.... माझी पण आदरपुर्वक श्रद्धाजंली. 
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Jo_s
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| Saturday, March 25, 2006 - 4:19 am: |
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Deemdu mastach, faarch hrudaya sparshi likhaan.
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Aparnas
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| Tuesday, March 28, 2006 - 12:17 am: |
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दिमडु, खूपच छान लिहिल आहेस. मला पण माझ्या बाबान्ची खूप आठवण आली हे वाचून. दुर्दैवाने माझ्याजवळ त्यान्च्या फार आठवणी नाहियेत कारण मी फ़क्त ८ वर्षान्ची होते ते गेले तेव्हा......खरच व.पु. नी म्हटलय ना 'बाप' कथेत तसे प्रत्येकाला वडील हवेतच शेवटपर्यन्त....मी अजुनही खूप मिस करते त्यान्ना......
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Maudee
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| Tuesday, March 28, 2006 - 3:51 am: |
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khupach touching..........dolyatun panich aale.........
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Pendhya
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| Tuesday, March 28, 2006 - 11:11 pm: |
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दिम्डु, वडिलांना छान श्रद्धांजली वाहिलीयेस.
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