|
श्रद्धा, एकदम सही लिहितेस गं. आज सलगच वाचून काढली. नेहमीप्रमाणेच मस्त, पूनम ला माझेही अनुमोदन.
|
Upas
| |
| Tuesday, March 07, 2006 - 11:11 am: |
|
|
श्र.. छानच लिहीलेयस... कथा आवडली..
|
Chafa
| |
| Tuesday, March 07, 2006 - 5:24 pm: |
|
|
छान लिहीलीयेस श्रद्धा! तिसरा भाग जास्त आवडला.
|
Shraddhak
| |
| Tuesday, March 07, 2006 - 11:01 pm: |
|
|
सगळ्यांच्या इतक्या छान प्रतिक्रियांसाठी मनापासून धन्यवाद. कादंबरीच्या दृष्टीने एखादा विषय घोळतोय की नाही मनात? <<<< कादंबरी लिहिण्याएवढा confidence आला की शोधेन विषय.
|
Gs1
| |
| Wednesday, March 08, 2006 - 12:23 am: |
|
|
कथेची सुंदर ओघवती शैली आवडली. एकुणच तुझ्या कथात सर्व संदर्भ, वातावरण, संवाद हे अगदी आजचे असते fresh, cotemporary and original.
|
Gandhar
| |
| Wednesday, March 08, 2006 - 6:51 am: |
|
|
श्रद्धे मस्तच गं!!! पण तरीही अजून एक प्रकरण मिसलंयस वाटतं
|
छान लिहीलंयस श्रद्धा....! मनापासून आवडलं. संवाद इतके साधे, सहज आहेत आणि त्यामुळेच इतके touching !
|
Jayavi
| |
| Wednesday, March 08, 2006 - 9:07 am: |
|
|
श्रद्धा, Terrific ! इतकं ओघवतं, अगदी आतून आलेलं, जणू काही हे सगळं स्वत: जगली आहेस इतकं जिवंत........ great!!
|
Dineshvs
| |
| Wednesday, March 08, 2006 - 11:08 am: |
|
|
श्रद्धा, मुद्दाम निवान्तपणे वाचली कथा. छान वाटली. मला फ़क्त सगळ्या वाचकाना नम्र विनंति करावीशी वाटतेय, लेखकानी समाप्त लिहिल्याशिवाय प्रतिक्रिया देऊ नयेत. अश्या कथा सलग वाचण्यातच खरी मजा आहे.
|
Sashal
| |
| Wednesday, March 08, 2006 - 11:59 am: |
|
|
मस्त लिहीलं आहेस श्रध्दा .. agree with GS1 .. fresh, contemporary and original ..
|
Yog
| |
| Thursday, March 09, 2006 - 2:30 pm: |
|
|
श्रध्धा, लेखनशैली(नेहेमीप्रमाणे)छान! एकाच दिवसाच्या पार्श्वभूमीवर तीन उपकथान्ची tv serial type मान्डणी आवडली तरी पण त्याहीपेक्षा एकाच कथेत एक धागा पकडून मग ती फ़ुलवत नेलीस तर ते लिखाण अधिक appealing वाटेल अस माझ मत. वरील उपकथातून एक सम्पूर्ण कथासूत्र व्यक्त होत नसल्याने थोडं चुकल्या सारख वाटल, and yeah couldn't corelate to bangalore stuff
|
Savoo
| |
| Friday, March 10, 2006 - 2:12 am: |
|
|
very very gooooood !!!!!
|
Champak
| |
| Sunday, March 12, 2006 - 11:40 am: |
|
|
Nice .. .. ..
|
Charu_ag
| |
| Sunday, March 12, 2006 - 12:19 pm: |
|
|
छान लिहीलयस श्रद्धा. पावसाचा आणि व्यक्तीरेखांचा मुड छान टिपलायस.
|
श्रद्धा , केवळ ..........!!!! पण तरीही अजून एक प्रकरण मिसलंयस वाटतं <<<गंधार , मर्डर किंवा Unfaithful मधली वादळी पावसाची भेट का रे
|
shraddha , u r great !!! mastach lihilay
|
श्रद्धा अगदी सुरेख रेखाटले आहेस बघ वर्णन. सगळ्या कथा आजच वाचल्या बघ.
|
|
|