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Devdattag
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| Tuesday, February 28, 2006 - 5:40 am: |
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आता सुर्यालाही वाटतय जळण्याचं भय गुदमरतोय श्वास.. वाट पाणक्याची सुखद शिडकाव्याचा ध्यास विरघळताहेत हिमशिखरे त्यांचच रक्त वाहतय आता धमन्यातून मग निर्जन,निर्जल वाळवंटी उभा राहून संधीप्रकाशात वाट पाहतोय एका काळ्याकुट्ट धुक्याची असू देत रातकिड्यांची किरकिर पण रातराणीचा सुगंध असेल ना सोबतिला आणि.. आणि असेल साथ काही काजव्यांची
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Puru
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| Tuesday, February 28, 2006 - 6:02 am: |
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कैवल्याचा नक्की अर्थ काय आहे? Is there a BB for "Kaavya-ras-grahan"? (In short - discuss famous poems of Bha.Ra.Tambe, Ga.Di.Ma. etc?
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Milindaa
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| Tuesday, February 28, 2006 - 6:39 am: |
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Puru , खालील ठिकाणी जा पद्य
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Puru
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| Tuesday, February 28, 2006 - 7:40 am: |
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Thanks Milindaa. That takes care of the latter part; hope someone answers the former one.
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पुरु , माझ्यामते कैवल्य म्हणजे मोक्ष , बाकी जाणकार मंडळी सांगतील ...
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