|
kal pahilyandach navin album eikala.."sang sakhya re"....pan far nirasha zali... mala tar watate aatta parynat chya sandeep chya album madhala ha sagalyat nirashajanak ahe....kay watate?
|
Zaad
| |
| Wednesday, November 01, 2006 - 6:40 am: |
| 
|
I truely agree with neeta.
|
Ddeodikar
| |
| Tuesday, November 07, 2006 - 4:58 pm: |
| 
|
I don't think so. Mala tar ha album khup aavadala.
|
Shankha
| |
| Tuesday, December 05, 2006 - 7:33 am: |
| 
|
"Saang Sakhya Re" mala pun avadla. Mala ek janavtay te mhanje jar ka mazya avadi pramane utartya bhajanit Sandeep che aaj paryantche albums lavale tar te albums jya kramane release zaale barya-paikee tyach kramat yetil. Sandeep ne swat: chali lavlelya kavita aslele albums mazya list madhe top la aahet.
|
देवडीकर, धन्यवाद! सं खरेची खरेच सुन्दर कविता.
|
Neelu_n
| |
| Thursday, January 11, 2007 - 9:22 am: |
| 
|
लिहायला लागलाच तर... नुकत्याच कविता लिहु लागलेल्या अशक्त मुलाच्या आई वडिलांना डॉक्टरने सांगितले, आता लिहायला लागलाच आहे, तर लिहु दे त्याला कविता, टॉनिक वगैरे देतो मी पण शक्यतो कविता लिहण्याची वेळ त्याच्यावर न आणलीत तर बरं! असाध्यच रोग हा, पण प्रयत्न करु आपण... पथ्ये अवघड.. पाळणेही अवघड... त्याच्यादेखत न भांडलात तर बरं!!! वाटतं हो आपल्याला.. पण मातीच असते भुसभुशीत, तुम्हाला वाटेल सहज, साधी, नैसर्गिक शिवी पण त्याच्यासाठी असु शकतं ते आयुष्य उसवणारं गीत! पावसाळ्यात राहु देवु नका एकटं वा पाखरं धाखवु नका त्याला संध्याकाळची दिलीत तर तुमच्यासाठीच द्या कुशी मिजास नको तिला लालन पालनाची!! जगणं सुंदर असल्याचं सिद्ध करता आलं तर अवश्य दाखवा करुन.. कारण मृत्युच्या लेण्यांमधलं गुढ, सुंदर धुकं त्याच्या मनात दाटलयं अगदी जन्मापासुन! नाती, मित्र, प्रेम, मारवा, पैसा.. सगळ्यावर ठेचा खाईलच तो यथावकाश फळ पिकण्या आधीच घाई नको शक्यतो वा भरावं त्याचं पोट म्हणुन उपास तापास!! शहाण्यासारखा लिहतो म्हणुन शहाणा म्हणण्याची नको घाई... तो लिहतो त्याच्यावरुनच त्याचाच उडतो विश्वास सुकण्या आधी शाई!!! थोटे पडतील हात पाय.. घरामध्ये खचतेच भुई साता जन्माचे पापग्रह नाचत राहतील थुई थुई दिवसा झोप, रात्री जाग असे होवुन जाईल घर... बोलुनसुद्धा उपयोग नाही, तो असेल रानभर मुळातच उपचार कमीच या रोगाला तुम्ही नाही तर दुसरं एखादं कारण असेलच हजर त्यातुनही वाढलच तर वाढु दे हे दुखणं यातुनच ओसंडत येतो एखादा ज्ञानेश्वर!!
|
Tvs
| |
| Tuesday, January 16, 2007 - 9:22 am: |
| 
|
HI Mi navin member ahe.malahi tumchyapramanech sandeepchya kavita awadatat.ekhadi kavita jarur pathwa alokdeshpande1987@hotmail.com
|
Paarava
| |
| Sunday, February 18, 2007 - 11:24 am: |
| 
|
hii! maaybolikaranna maza namskar. saglyanchya comments mixed aahet? should i buy? me fakta "diwas ase kiii" aikaliiye.
|
Sherloc
| |
| Monday, February 19, 2007 - 4:49 am: |
| 
|
मित्रा, तु "आयुष्यावर बोलु काही" घे. अजिबात पैसे वाया जाणार नाहीत.
|
Psg
| |
| Monday, February 19, 2007 - 5:36 am: |
| 
|
आणि 'नामंजूर'ही.. हे दोन्ही अल्बम फ़ारच छान आहेत..
|
Paarava
| |
| Sunday, February 25, 2007 - 2:39 pm: |
| 
|
sherloc aani psg thanks. lavkarach gheto albums. arey me tyacha latest fan aahe. tyamule jast mmahit nahi. maayboli war mulakhat chaan aahe tyachi.
|
Paarava
| |
| Sunday, March 11, 2007 - 11:57 am: |
| 
|
kai kase aahat mitranoo? aaj dupari "yashwantrao chavan" la "aayushyawar" baghanyacha chance hota pn kahi karanastva jamale nahi. Pn 31st march la 'Balgandhrva" la aahe parat. teva to chukvinar nahi. accha bye.
|
Milya
| |
| Monday, March 26, 2007 - 7:55 am: |
| 
|
संदिपची अजून एक कविता... साहेब म्हणतो चेपेन चेपेन... पोलीस म्हणतो चेपेन चेपेन काळ मोठ्ठा... वेळ खोटी.. जन्मच म्हणतो चेपेन चेपेन जगले साले अचके देता नाकापाशी धरतो सूत गचके खाऊन मेली स्वप्ने, त्या स्वप्नांचे झाले भूत भूत म्हणाले झाडाला, अस्तित्वाच्या फ़ांद्यांना सुटका नाही दिवसरात्र, घरात दारात भेटेन भेटेन दिवस रोजचा थापा मारत दारावरती देतो थाप 'दोरी दोरी' म्हणता म्हणता त्या इच्छांचे झाले साप धरता हाती डसती रे, सोडून देता पळती रे मन म्हणते पकडिन पकडिन... हात म्हणतो सोडेन सोडेन मी बुद्धाला मारून डोळा भरतो माझा प्याला रे प्याला तो ही गेला.... जो ना प्याला तो ही गेला रे या जगण्याला फ़ुटता घाम, छलकत जातो माझा जाम अर्थ म्हणतो दारू दारू..... शब्द म्हणती शँपेन शँपेन पानावरती कितिक मजकूर .. शब्द नव्हे ती, किटकिट रे या जगण्याचे झाले आहे पत्त्यावाचून पाकिट रे हसलो मी जरी रडलो मी, इथे येऊनी पडलो मी जन्म बोंबले सांगा सांगा... मृत्यू म्हणतो सांगेन सांगेन
|
Paarava
| |
| Wednesday, April 04, 2007 - 4:38 pm: |
| 
|
sandeep che "Maunachi bhashantare", baghitale. kavita sagraha chaan aahe.
|
navin kahi nahi evdhayaat?? sang sakhya re" nantar sandeep karyakramat bz jhale bahuda!!! navin eikayla utsuk ahe.
|
Yashfun
| |
| Monday, June 11, 2007 - 8:27 pm: |
| 
|
koni Champagne Deu shakel ka ?
|
Yashfun
| |
| Monday, June 11, 2007 - 8:30 pm: |
| 
|
कोनी हा प्याला शेवटचा...देउ शकेल का
|
Sherloc
| |
| Tuesday, June 12, 2007 - 9:54 am: |
| 
|
सा रे ग म प (मराठीमध्ये) प्रसाद ओकने संदिपला आणखी लोकप्रिय करायला घेतले आहे. आत्तापर्यंत त्याने संदिपची २-३ गाणीतरी सादर केली आहेत.
|
हो आणि प्रत्येक वेळी भाव खाउन जातो.
|
Paarava
| |
| Sunday, June 17, 2007 - 10:24 am: |
| 
|
नमस्कार, "नसतेस घरी तु जेव्हा" छान गायला तो. आवाजही उत्तम. "आयूश्यावर" ता. १९-०६, रात्री ९.३० ला ""यशवन्तराव चव्हाण", कोथ्रूड. ला आहे.
|
|
|