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Jaideep
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| Sunday, February 17, 2008 - 6:04 pm: |
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नुकतेच वसंत पोतादारांनी लिहीलेले स्वामी विवेकानंदांचे चरित्र "योद्धा संन्यासी" वाचण्यात आले. स्वामींनी सांगीतलेल्या धर्माची आज गरज आहे. त्यात जाती व्यव्स्थेला जागा नाही. बाष्कळ रुढींना जागा नाही. पण हा धर्म वेदांत मानणारा आहे. त्यावर जास्त चर्चा, वाचन आणि पालन व्हावं म्हणुन हा B.B. चालु करतोय.
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हितगुज गणेशोत्सव २००६ |
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चोखंदळ ग्राहक |
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महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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पांढर्यावरचे काळे |
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गावातल्या गावात |
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तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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आरोह अवरोह |
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शुभंकरोती कल्याणम् |
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विखुरलेले मोती |
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