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Mansmi18
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| Saturday, June 02, 2007 - 11:36 am: |
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||अथ घोरकष्टोद्धरणस्तोत्रम्|| श्रीपाद्श्रीवल्लभ त्वं सदैव श्रीदत्तास्मान्पाही देवाधिदेव भावग्राह्य क्लेशहारिन्सुकीर्ते घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते ||१|| त्वन्नो माता त्वं पिताSप्तोSधिपस्त्वं त्रातायोगक्षेमक्रुत्सद्गुरुस्त्वम त्वं सर्वस्वं नो प्रभो विश्वमुर्ते घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते ||२|| पापं तापं व्याधिमाधिं च दैन्यं भितिं क्लेशं त्वं हराशु त्वदन्यं त्रातारं ना वीक्ष इशास्तजुर्ते घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते ||३|| नान्यस्त्राता नापि दाता न भर्ता त्वत्तो देवं त्वं शरण्योSकहर्ता कुर्वात्रेयानुग्रहं पूर्णराने घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते ||४|| धर्मे प्रीति सन्मतिं देवभक्तीं सत्सन्गाप्तिं देही भुक्तिं च मुक्तीम्| भावासक्तिं चाखिलानन्दमुर्ते घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते ||५|| श्लोकपंचकमेतद्यो लोकमन्गलवर्धनं प्रपठेन्नियतो भक्त्या श्रीदत्तप्रियो भवेत ||६|| इति श्रीमद्वासुदेवानंदसरस्वतीक्रुत घोरकष्टोद्धारण्स्तोत्रं सम्पूर्णम्||
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मन्स्मि१८, कधीपासुन शोधत होते मी हे स्तोत्र! मायबोलीची सभ्य झाले अन चट्कन सापडले की! पोस्टल्याबद्दल धन्यवाद!
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हितगुज गणेशोत्सव २००६ |
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चोखंदळ ग्राहक |
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महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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पांढर्यावरचे काळे |
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गावातल्या गावात |
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तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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आरोह अवरोह |
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शुभंकरोती कल्याणम् |
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विखुरलेले मोती |
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